आखिर इस्लाम और मुसलमान भारत से चाहते क्या है ----?

 मुहम्मद बिन कासिम केवल लुटेरा नहीं ?

हम भारतीयों को ७१२ इशवी सन ध्यान में रखने की आवश्यकता है लेकिन हम हिन्दू कैसे है कि सब कुछ भूल जाते है, ऐसा नहीं था कि मुहम्मद बिनकासिम केवल लुटेरा ही था, वह लूट के साथ धर्मपरिवर्तन कराता था भारतीय जनमानस की उदारता इन सारी बातो को समझ नहीं पाता लेकिन जब  समझने लगा तो लुटेरे जब वापस जाते तो हमारे महापुरुषों ने धर्मान्तरित लोगो की पुनः वापसी कर उन्हें राष्ट्र के मुख्य धारा में जोड़ लेते उसी समय देवल ऋषि  ने घर वापसी हेतु देवलस्मृति लिखा, मै केवल मुहम्मद बिनकासिम की बात नहीं कारता बल्कि इस्लाम के नाम पर चाहे महमूद गजनवी हो या बख्तियार खिलजी अथवा चंगेज खा या कोई बाबर और उनकी संताने सभी ने इस्लाम के नाम पर भारतीयों को केवल लूटा ही नहीं बलात धर्म परिवर्तन कराया हमारी माँ -बहन- बेटियों के साथ घिनौना कृत्य किया, हमारे ही यहाँ हमारी बहन बेटियों को मीना बाज़ार में बेचा जाने लगा तब भी हम मुसलमान और इस्लाम को समझ नहीं पा रहे है तो आखिर हम कब इन राक्षसों को जानेगे  कही गाड़ी छूट न जाय.

इस्लाम के नाम पर सब कुछ जायज !

 इस्लाम के नाम पर सब जायज है कितना ही घृणित कृत्य किया जाय किसी की बहन बेटी को प्रेम जाल में फसाकर उसे वैश्या बनाना इस्लाम की सेवा है, उसे आतंकबादी गतिबिधियो में सामिल करना इस्लाम की सबसे बड़ी सेवा है,  किसी भी के साथ ब्यभिचार करना भी इस्लाम की सेवा है, हिन्दुओ के मठ-मंदिरों को तोडना, धर्मग्रंथो को जलाना और शंख, घंटा, घरियारी बजाने से रोकना इससे अधिक तो इस्लाम की सेवा और कुछ हो ही नहीं सकती, आइये हम बंगलादेश जिसको हमने अपने खून से आजाद कराया लगभग हमारी कृपा पर ही है को ही देखे, अयोध्या विबादित ढाचा टूटने के पश्चात् एक लाख मंदिर तोड़ डाले इतना ही नहीं वहाँ की सियासी पार्टियों ने हिन्दुओ की लाखो एकड़ जमीन कब्ज़ा कर लिया सरे आम हिन्दुओ की बहन- बेटियों को उठा ले जाना, बलात्कार करना तो आम बात हो गयी है मुसलमान कितना राक्षसी हो गया है, कि बलात्कार करते-करते जब थक जाता है तो बॉस को पोंगल हिन्दु महिलाओ के गुप्तांग में डालकर अट्टहास करता है और कई महिलाये मर जाती है कोई भी दस वर्ष की हिन्दू बालिका नहीं बची है जिसके साथ बलात्कार नहीं हुआ है [टुटा मठ, बंगलादेश में हिन्दू नरसंहार, आधीरात की संताने 'सलाम आजाद' ]. पाकिस्तान की हालत तो और भी बदतर है जबरदस्ती हिन्दु लडकियों को इस्लाम काबुल करवाना और जबरदस्ती शादी करना आम बात है आये दिन अखबारों में समाचार बना हुआ है कोई पूछने वाला नहीं है, भारतीय संसद चुप है सेकुलर के नाम पर देशद्रोह करना आदत सी हो गयी है, अपने ही देश कश्मीर में हिन्दू समाप्त कर दिया गया एक भी कश्मीरी पंडित श्रीनगर जो मंदिरों का शहर के नाते जाना जाता था आज एक भी मंदिर नहीं है जहा सेना की छावनी वही मंदिर है, आज घाटी भी सेना के सहारे ही भारत में है जिस दिन सेना हटा ली जायगी कश्मीर घाटी हमारे पास नहीं रहेगी, यदि थोड़े में इस्लाम को समझना हो तो इतना ही पर्याप्त है.
हमारी समझदारी कब होगी ?

 आखिर भारत कब समझेगा इस्लाम को, १२०० वर्ष तो हो गया कुरान और इस्लाम के अनुयायियों के अत्याचार को सहते, देखते, और पढ़ते, हमारी सहने की सीमा क्या होगी --? हमारी यादास्त इतनी कमजोर हो गयी है --? हमने तो सबसे पहले अफगानिस्तान --------इस्लाम के नाम पर गवाया, फिर १५ अगस्त १९४७ को पाकिस्तान और बंगला देश दिया, आज भी बंगला देश घुसपैठियों की संख्या ३ करोण हो गयी है जो पाकिस्तान से मुसलमान आता है वह जाता ही नहीं, दूसरी तरफ हिन्दू आता है तो उसे कोई पूछने वाला नहीं उसे नागरिकता नहीं दी जा रही प्रशासन उसे परेशान करता है, इस माध्यम से हमारी माग है की जो भी हिन्दू कही से भागकर आता है उसे भारत में नागरिकता दी जाय, हम भारत के दूसरे बिभाजन के मोड़ पर खड़े है, जब भारत का बिभाजन हुआ था उस समय पाकिस्तान में हिन्दुओ की संख्या एक करोड़ थी, बंगलादेश में हिन्दू दो करोण था, और भारत में मुसलमान ढाई करोण था, इस समय पाकिस्तान में हिन्दू संख्या केवल ३० लाख बचा हुआ है, बंगलादेश में हिन्दू की संख्या केवल अस्सी लाख है आखिर ये सब हिन्दू कहा चले गये या तो मार दिए गए या धर्मान्तरण कर मुसलमान बना लिए गए, दूसरी तरफ भारत में मुसलमानों की संख्या दिन-दुनी रात चौगुनी बढ़कर १४ करोण कहा से हो गयी, जब कि सेकुलर नेता सब चिल्लाते रहते है की अल्पसंख्यको को सताया जा रहा है.

अपने ही घर में बेघर 

         आज अपने ही घर में हिन्दू बेघर जैसा लग रहा है जगह -जगह इस्लाम के नाम पर दुर्गा पूजा नहीं हो पा रही है, सरस्वती जी की मूर्तियों पर हमला हो रहा है, लव जेहाद कर हिन्दुओ की एक लाख लडकियों को भागकर मुसलमान इस्लाम की सेवा कर रहा है, मुस्लिम मुहल्लों में शंख, घंटा घरियार बजाना बंद हो गया है, हिन्दू अपने ही घर में गुलामी का जीवन ब्यतीत करने को मजबूर हो रहा है आखिर ये सब कब-तक ?

कब तक झेलेगे इन्हें ?

 मुसलमानों तुम्हे हिन्दुओ से क्या चाहिए तुमने तो हमारे देश का बिभाजन कराकर हमारी जमीन ले लिया इतना ही नहीं हजारो -लाखो मंदिरों को तोडा ही नहीं धर्म- ग्रंथो भी जलाया लेकिन तुमने भारत में रहकर फिर देश का बिभाजन फिर वही ४७ का हाल हम कब तक सहते रहेगे, इन सेकुलर नेताओ के झासे में आते रहेगे कही ऐसा न हो की हिन्दू समाज खड़ा हो जाय और तुम्हारा आतंकबाद तुम्हारे घर में ही समाप्त करना शुरू कर दे, तुम्हे महाराणा याद नहीं आते, तुम शिवा जी को भूल गए, तुमने वीरबंदा को देखा नहीं, तुम्हारी दृष्टि हरीसिंह नलवा को क्यों नहीं देखती ? क्या तुमने गुरुगोबिंद को नहीं जाना ? क्या तुम्हे याद नहीं कि ७१ के युद्ध में हमारी हिन्दू सेना ने पाकिस्तानी सेना के ९५ हज़ार सैनिको को बंदी बनाया था, तुम याद रखो भारत में तुम हिन्दुओ की कृपा पर ही रह सकोगे तुम्हे तय करना होगा हिन्दू के साथ मिलकर रहोगे या नहीं, वैसे तुम्हारी निति और इस्लाम तो भारत और हिन्दुओ के खिलाफ है और तुम किसी के साथ नहीं रह सकते तुम्हे जाना ही होगा, लेकिन यह भी तय है आगामी दस वर्षो में इस संसार से इस्लाम नाम का धर्म समाप्त हो जाएगा क्योंकि इस प्रकार मानवता बिरोधी विचार इस धरती को बर्दास्त नहीं, तुम अपने को देख नहीं रहे हो तुम तो अमेरिका के या तो गुलाम हो या उसके द्वारा मारे जा रहे हो लेकिन तुम्हारी करनी ही ऐसी है इस्लाम केवल आतंकबाद का पर्याय बनकर रह गया है, अब इस्लाम इतिहास में आतंकियों के नाते ही याद किया जायेगा, इसलिए तुम्हे विश्व से समाप्त होना ही है यही संसार के प्रकृति की नियति है.        

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10 टिप्पणियाँ

  1. हिंदुत्व का दर्शन बहुलवादी है. हिंदुत्व अनेक मत मतान्तरो के साथ जीवंत बना रहता है. अध्यात्मिक दर्शन के तौर पर इस्लाम को भी एक मत के रूप में देखा जा सकता था . लेकिन दिक्कत यह है की इस्लाम में अध्यात्म और राजनीति एक दुसरे के साथ अविभाज्य रूप से जुडी हुई है. और यही कारण है की इस्लाम का आध्यात्मिक अंश समाप्त होने को है. अब वह एक रुढीग्रस्त, जड़, सर्वसत्तावादी आचार संहिता बन कर रह गई है. इस्लाम रावणी परम्परा की विचारधारा है जो आज के दौर में बेहद शक्तिशाली नजर आती है, लेकिन इसका पतन निश्चित है.

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  2. इस्लाम भारत से क्या चाहता है ?
    यह जानने के लिए केवल युद्ध महारथियों को ही न देखें बल्कि मुस्लिम सूफ़ियों को भी देखें और यह लेख भी देखें-
    http://charchashalimanch.blogspot.in/

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  3. @डॉ. साहब- सही कहा आपने, मुस्लिम सूफियो को भी देखा जाना चाहिए...मेरा तो मत है सूफियों को ही देखा जाना चाहिए!पर समस्या यहाँ यह है कि अधिकतर मुस्लिम समाज में ही इन सूफियो को नज़रअंदाज किया गया है!सिर्फ इन युद्ध महारथीयो (आपके हिसाब से) को अपना आदर्श मान उनके ही नक्शेकदम पर ज्यादा चला गया है!अब आपको ही ले...... आप क्या सदा ही मुस्लिम सूफियो के हिसाब से कार्य करते है..? मुझे नहीं लगता किसी भी सूफी ने कभी भी किसी को भी किसी अन्य(विशेष रूप से हिन्दू) धर्म की मान्यताओ, ग्रंथो का अपमान अथवा अपने हिसाब से अर्थ का अनर्थ बना कर पेश करने के लिए प्रेरित किया हो......

    कुँवर जी,

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  4. भारत में जितना इस्लामिक कारण सूफियो ने किया है शायद किसी ने नही अजमेर शरीफ चिस्ती कि बात जहा तक है वह तो पृथ्बीराज चौहान के खिलाफ सीधा युद्ध लड़ने वाला था और मुहम्मद गोरी क़ा ख़ुफ़िया एजेंट था इसलिए हिन्दुओ को बरगलाने कि आवस्यकता नही ,गजनी, गोरी, कासिम कोई योधा नही ये तो धोखेबाज थे ब्याभिचारी थे इनके पक्ष में तर्क देना तो भारत क़ा बिरोधी मानसिकता क़ा परिचायक है.

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  5. is link par jayen aur islam ki hakeqat janey

    http://mbaexperts.blogspot.in/

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  6. musalman sudharne wale nahi--------.

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  7. aapke lekh ko pakh kar mujhe nai jankariyan hi milti hai kyon kon ki main is pat kya comments dun mujhe samajh me nahi aata ahi . han ye jarur ki is sandarbh me sabke vichar ek se ya ya alag -alag bhi ho sakte hain.
    aapka har lekh ekprbhav chhod jaata hai---
    sadar
    poonam

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  8. desh ka islamikaran------yadi hidu nahi jaga to akhir me desh parinam bhogne ko taiyar rahe.

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    1. यही तो डर है की हिन्दू कब तक सोता रहेगा

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