इस्लामिक आचरण के कारण मुसलमान विद्रोह की मुद्रा में -------!

मुस्लिम सभ्य समाज इस्लाम से मुक्ति चाहता है-!

वर्तमान मुस्लिम मानस इस्लाम से मुक्ति चाहता है इस्लाम की कट्टरता मुल्ला मौलवियों के ब्यवहार मुसलमानों को झकझोर कर रख दिया है लगता है मुसलमान इस्लाम से मुक्ति चाहता है क्योंकि वही सर्व प्रथम इस्लाम का शिकार हुआ है, इस्लाम की सच्चाई भारतीयों को समझने में देर हो गई भरतीय यह समझते थे कि यह भी कोई धर्म है वे यह नहीं समझे कि यह एक शासन पद्धति है इसी कारण जहाँ इनकी संख्या कम रहती है वहाँ वे बड़े प्रेम से दीन हीन भावना से रहते जैसे इनसे अच्छा कोई हो ही नहीं सकता ज्यों ज्यों इनकी संख्या बढ़ती जाती है फिर अपना रंग बदलना शुरू कर देते हैं, अपनी जनसंख्या बढाना प्रथम उद्देश्य फिर मखतब मदरसों के द्वारा कट्टरता का निर्माण, लव जेहाद, गो हत्या, दशहरा, होली, दीवाली जैसे त्योहारों को कुफ्र बताना यानी हिंदुओ की भावनाओ को आहत करने का प्रयास।

परिणाम देश बंटा --!

इस्लाम के बारे मे प्रथम बार हिन्दुओं को 15अगस्त 1947 को समझ में आया जब देश विभाजन के रूप में उनकी कट्टरता सामने आई, जिनको हिंदुओ ने पाला पोसा था वही उनके शत्रु बनकर खड़े हो उनकी बहन बेटियों के साथ बलात्कार, हिंसा, हत्या का दौर, हिंदू यह समझ नहीं सका कि यह क्या हो रहा है जब तक समझे तब तक देश का विभाजन हो चुका था, 20 लाख हिन्दू मारा जा चुका था बड़ी संख्या में हिंदू अपनी बहन बेटियों को खो चुका था ।

इस्लाम का पहला शिकार--!

आज इस्लाम पुनः उसी रास्ते पर पहुंच रहा है 1947 में जहाँ मदरसों की संख्या एक सरकारी आँकड़े के अनुसार 28 थी वहीं 1977 यह बढ़कर 78 के आस पास थी लेकिन आज यह संख्या २५ हज़ार हो गई है क़ुछ लोगो का कहना है यह संख्या एक लाख तक है ये सब इस्लामिक सैनिक हैं, इसका परिणाम मुसलमान को कीसी और समुदाय से अलग रखता है, उसे प्रत्येक भारतीयों में भरतीय संस्कृति में भारत की हर बस्तु में कुफ्र दिखाई देता है यदि कोई मुसलमान भारत व भारतीय मानविन्दु से जुड़ना चाहता है तो वह काफ़िर हो जाता है इस कारण प्रत्येक देशभक्त मुसलमान इस्लाम मे अपने को असहज महसूस करता है, वास्तव में इस्लाम किसी भी राष्ट्रीयता को नहीं मानता इस्लाम एक कैद खाने के समान है जिसका पहला शिकार मुसलमान है अब सभ्य मुस्लिम समाज इससे छुटकारा पाना (स्वतंत्रता) चाहता है।

इस्लाम के प्रति मुसलमानों घुटन---!

इस्लाम के प्रति बिद्रोह की शुरुवात हो चुकी है कहीं ब्रिटिश सलमान रश्दी, तो कहीं तस्लीमा नसरीन, सलाम आजाद, लादेन की बेटी, पाकिस्तानी तारिक फतेह जैसे बहुत सारे प्रबुद्ध लोग बिद्रोह पर आमादा हैं बहुत सारे लोग रहीम व रसखान के रास्ते चलना चाहते हैं उनका विस्वास इस्लाम से डीग गया है कोई भी विद्वान, वैज्ञानिक, तर्क शास्त्री इस्लाम से हटकर रहना चाहता है कट्टरता का ही परिणाम है कि अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा व यूरोप के सारे देशो में मुसलमानों के सभ्य समाज ने इस्लाम से मुख मोड़ना शुरू कर दिया है इतना ही नहीं चीन और रूस में तो रोजा रखने पर प्रतिबंध, दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध, कोई भी इस्लामिक गति बिधि नही कर सकते मस्जिदों में सुवर पालन होने लगा है, चीन में तलासी लेकर कुरान जब्त की जा रही है जिनके पास मई रही है उसे दण्डित किया जा रहा है, रुश के राष्ट्रपति पुतिन ने तो यहाँ तक कहा कि यदि शरिया कानून चाहिए तो 'रुश' छोड़कर जहाँ शरियत कानून हो जा सकता है, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा नमाज़ घर में पढ़ सकते है न कि बाहर यहां के नियमों से रहना पड़ेगा, जापान के प्रधानमंत्री किसी इस्लामिक देश का दौरा नहीं करते अरवी लिपि का कोई पत्र जापान स्वीकार नहीं करता, किसी मुसलमान को वीसा देने के पहले उसके जाने की तिथि तय करते हैं, सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम आतंकवाद का पर्याय वन गया है, म्यांमार के एक बौद्ध ''सन्त विराथू'' ने कहा कि आप कितने भी शान्ति प्रिय क्यों न हो, कितने ही करुणा और प्रेम से भरे हुए हो लेकिन पागल व् हिंसक कुत्ते के साथ नहीं सो सकते।

फिरकों में संघर्ष का परिणाम--!

इस्लाम में बहत्तर फ़िर्क़े हैं यानी पन्थ हैं जो एक दूसरे के शत्रु है वे अपने को ही असली मुहम्मद साहब के अनुयायी मानते हैं, शिया, सुन्नी, क़ादियानी, अहमदिया, बहाई, वहाबी जैसे 72 भागों में इस्लाम बटा हुआ है जो एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं एक दूसरे को काफिर मानते हैं और कुरान में काफ़िर को जिंदा रहने का अधिकार नहीं है, इतना ही नहीं जितने आतंकवादी संगठन है अलकायदा, आईएस आईएस, हिजबुल मुजाहिदीन, आईएस जैसे अनगिनत इस्लामिक आतंकवादी संगठन हैं जो अपने को असली खलीफा मानते हैं एक दूसरे के अनुयायियों की हत्या करना ही इसलाम की सेवा मानते हैं यही उनके ज़न्नत का रास्ता है 20 वर्षों में एक करोड़ पच्चीस लाख मुसलमान मारा गया उसे किसने मारा--! वास्तविकता यह है कि ये अपने -आप समाप्त का रास्ता खोज लिया है, हदीस में वर्णन है कि 72 में से केवल एक ही फिरका बचेगा शेष समाप्त हो जायेगा।

भारत में भी असहजता---!

इस समय भारत का माहौल कुछ इसी प्रकार का हो रहा है हिन्दू ही नहीं मुस्लिम समाज भी इस्लाम को समझने लगा है कुरान की शिक्षा, मुहम्मद, हदीस, मुल्ला, मौलबी, मखतब और मदरसों से सभ्य मुस्लिम समाज परेशान हो रहा है ऊब गया है क्योंकि आखिर कुरान और हदीस हिँसा, हत्या, लूट, बलात्कार का आदेश है यह कैसा धर्म है जो अमानवीय व्यवहार सिखाता है, कट्टरता से परेशान वह विकल्प के खोज में है वह भारत व भारतीय संस्कृति -तीज -त्योहारों से नफरत नहीं करना चाहता इस कारण वह चिल्ला- चिल्लाकर हिन्दुत्व की ओर बढ़ रहा है बिहार के बेगूसराय में एक मुस्लिम वकील परिवार कठमुल्लों से परेशान हिंदू बनने की घोषणा कर दी वहां का पुलिस अधिकारी मुस्लिम था उसने उसे धमकी भी दी उसका अपहरण करने का प्रयास किया लेकिन हिन्दू संगठनों ने उसे आजाद करा घऱ वापसी की, ठीक 15 दिन पश्चात मुज़फ़्फ़रपुर में ऐसे ही घटना घटी 'मोतीझील' मुजफरपुर का एक ब्यक्ति सीधे आर्य समाज मंदिर जा पहुंचा लोंगो के पूछने पर अपना नाम बदलकर विजय कुमार बताया ऐसे ही दिल्ली की एक महिला ने हमारे कार्यकर्ता श्री रामप्रसाद जी {जयपुर) से सम्पर्क कर आर्य समाज दिल्ली में हिन्दू बन गई, सभी का बयान एक प्रकार का है सभी मुल्लों मौलवियों से परेशान हैं स्वतंत्र जीवन ब्यतीत करना चाहते हैं वे अब इस्लाम की गुलामी से मुक्त खुली हवा में स्वास लेना चाह रहे हैं जो मानवता के लिए श्रेयस्कर है।
आज विश्व के अनेक इस्लामिक देशों में मुसलमान लगातार इस्लाम छोड़ता जा रहा है सऊदी, ईरान, इराक, पाकिस्तान सहित तमाम देशों में लगभग 25प्रतिशत लोगों ने इस्लाम छोड़ दिया है। भय के कारण लोग सामने नहीं आ पा रहे हैं अकेले भारत में लगभग सभी शहरों में एक्स मुस्लिम हैं । वे डर के कारण चुप है एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या बीस लाख के करीब है और इसका सबूत बहूत सारे "एक्स मुस्लिम चैनल" हैं जो खुल कर बात कर रहे हैं और बहस भी हो रही है कोई भी मौलाना उत्तर नही दे पा रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. सादरन्नौमि। आपका प्रत्येक लेख मानवीय पाथेय हैं।

    जवाब देंहटाएं