मै २३ नवम्बर को भागलपुर गरीब रथ द्वारा पटना से आनंद विहार [दिल्ली] पंहुचा मुझे एक कार्यक्रम में जाना था, वापसी २३ नवम्बर को शायम ६ बजे मेरी ट्रेन सम्पूर्ण क्रान्ति थी लेकिन मेहरबानी इटली [सोनिया] सरकार की हमारी ट्रेन केवल १२घंटे लेट पहुची जिससे हमारा कार्यक्रम तो छूट गया ही- मेरी ट्रेन भी छूट गयी, मै आनंद विहार से मेट्रो में बैठा मुझे राजीव चौक जाना था कोई खास भीड़ नहीं थी मेरे पास ही एक विहारी नवजवान बैठा था तब-तक एक ५५ साल के भले ब्यक्ति आये तो उस बिहारी ने अपना स्थान छोड़कर उन महानभाव की पत्नी को दे दिया वे और बड़े आदमी निकले कहा तुमने सीट छोड़कर कोई एहसान नहीं किया तुम बिहारी लोग दिल्ली को कब्ज़ा करके रखे हो वह चुप था फिर वे बोलते गए की मै बीजिंग गया था वह तो ४५ दिन से अधिक कोई नहीं रह सकता तुम लोगो के साथ चीन जैसा ब्यवहार करना चाहिए तब-तक मैंने कहा की भाई ये भारत है चीन नहीं हम इसे चीन नहीं बनाने देगे, मैंने देखा की एक अधेड़ ब्यक्ति हमें तुम बिहारी कहकर बिहार के प्रति अभद्रता का प्रयोग किया मैंने उसे कहा की बोलने का तरीका सीखो तुम हमारे बाप नहीं हो, तब-तक राजीव नगर मेट्रो स्टेशन आ गया और मै उतर गया.
मेरा दिल्ली वालो से कहना है की दिल्ली तुम्हारी नहीं है तुम सब रिफ्यूजी हो दिल्ली भारत की राजधानी है सभी भारतीयों का पूरा अधिकार दिल्ली पर है दिल्ली वालो को अपनी प्रतिभा के बल आगे आना पड़ेगा उन्हें जलने की जरुरत नहीं, दूसरा बोलने का ढंग भी सीखना पड़ेगा कैसे बात करना कम से कम बिहार के लोग इनसे तो अधिक कल्चर्ड है वे अपनी खून पसीने की कमाई खाते है किसी अफजल को नहीं पालते, आज भी भारत में सर्बाधिक IAS बिहार ही देता है दिल्ली में ७५ प्रतिशत पत्रकार भी बिहार के ही है चाहे दिल्ली वि.बि. हो या jnu सभी जगह बिहारी अपनी प्रतिभा दिखा रहे है बीजेपी ने दिल्ली में नारा दिया दिल्ली-दिल्ली वालो की उनकी दुर्दसा देख लो, जब तक पाटलिपुत्र भारत की राजधानी थी तब-तक विदेशियों की हिम्मत भारत पर हमले की नहीं थी यदि हमला भी हुआ तो चन्द्रगुप्त के समान उसे उत्तर दिया गया पाटलिपुत्र ने भारत वर्ष पर ३५०० वर्ष शासन किया अर्थात राजधानी होने का गौरव प्राप्त किया, जबसे दिल्ली राजधानी हुई तब से भारत सुरक्षित नहीं है हमें लगता है कि बिहार को पुनः नेतृत्व सम्हाल कर पुनः राजधानी को पाटलिपुत्र बनानी पड़ेगी.
7 टिप्पणियाँ
मेरा भी दिल्ली वालो से यही कहना है कि दिल्ली तुम्हारी नहीं है तुम सब रिफ्यूजी हो, और रहना है तो आराम से रहो। राजधानी फ़िर से बदल देनी चाहिए शायद कुछ भला हो जाये।
जवाब देंहटाएंसभ्यता आपने आप आती है |यह घटना विहार को और ऊँचा करती है |
जवाब देंहटाएंसूबेदार सिंह जी,
जवाब देंहटाएंदिल्लीवासीयों को कोसने से अच्छा होता अगर आप उन महानुभाव को वहीं सबक सिखाते. दिल्ली वालों को रिफ्यूजी कहकर पता नहीं आप क्या साबित करना चाहते हैं. यदि आज सर्वाधिक IAS बिहार से आते हैं तो हमें उनपर गर्व है. लेकिन आप Bihar V/s India का युद्ध क्यों छेड रहे हो.
बिहार के लोग दिल्ली वालो की बहुत इज्जत करते है वे गरीब है लेकिन अपनी सभ्यता नहीं खोते उनका देश के विकाश में अहम् भूमिका है मैंने रिफ्यूजी इस लिए कहा जब आपको बिहारियों से तकलीफ होगी तो आप दिल्ली के ७५ प्रतिशत भी बाहर से ही है तो हमपर ऐतराज क्यों ?
जवाब देंहटाएंसूबेदार जी,
जवाब देंहटाएंदिल्ली देश के सबसे व्यस्तम शहरों में से एक है. दिल्ली के अधिकतर लोग (या रिफ्यूजी) अन्य लोगों की तरह अपनी रोजी-रोटी कमाने व घर-परिवार में व्यस्त रहते हैं. उन्होंने कभी अन्य शहर या राज्य से आये लोगों को लेकर कभी ऐतराज नहीं किया. दिल्ली, गुडगांव, नौएडा, गाजियाबाद आदि शहरों में रोज लोग बाहर से आकर यहाँ अपना आशियाना बनाते हैं.
त्यौहार इत्यादि पर दिल्ली से बिहार के लिये जाने वाली ट्रेनें सबसे ज्यादा भरी हुई जाती हैं. इसका मतलब आप क्या लगायेंगे? यही कि बिहार से इतनी बडी तादात में लोग यहाँ गुजर बसर कर रहे हैं. और रही बात उन कुछ लोगों की जिन्हें बाहर से आये लोगों से समस्या है तो उन लोगों आप और मैं ही सुधार सकते हैं सिर्फ उनका विरोध करके.
दिल्ली भारत की राजधानी है हम मेट्रो में चलते है हम पढ़े-लिखे हो सकते है लेकिन अपनी भाषा पर अपना अधिकार हो की हम दुसरे की इज्जत कर सके हमें इस बात का ध्यान रखना है की यह भारत है जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है, हम कतई इसे चीन नहीं बनाने देना चाहते आज भी वह मनुष्य गुलामी का जीवन ब्यातित करता है चीन अगले १० वर्षो में टूट जायेगा, लेकिन हम अपनी एकता बनाये रखेगे ये हमारी संस्कृति की विशेषता है उसी में लोकतंत्र जीवित है और रहेगा.
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्थान एक है और क्षेत्रवाद किसी भी रूप में अस्वीकार्य है..चाहे वो दिल्ली में हो या महाराष्ट्र में ...
जवाब देंहटाएंजिसने ये बत्तमीजी भरे शब्द बोले होंगे उसने अनजाने में ही अपने पतित पारिवारिक परिवेश एवं परम्परा का परिचय दिया..उसे कष्ट अपने पडोसी से भी होता होगा न की सिर्फ बिहारियों से ...