गजपर कृपा के कारण हरिनाम हो रहा है..
श्रीक्षेत्र में जब इक दिन गज जलबिहार में था,
सुख में रहा था पूरित वह गज श्रृंगार में था ,
गजराज का मनोरम आराम हो रहा है.
गज पर कृपा-------------------------1
खल वृत्ति ग्राह ने तो सोचा आहार आया,
गजराज के चरण को मुह में पकड़ दबाया,
छूटने का सब उपक्रम नाकाम हो रहा है.
गजपर कृपा-------------------------2
करुनायी भाव से जब गज ने पुकारा हरि को,
सब काम छोड़ धाये करने विनाश अरि को,
चीरा था चक्र नक्र अब गुण-गान हो रहा है.
गजपर कृपा----------------------------3
गज मुक्त तो हुआ ही मिली मोक्ष भी मगर को,
था यहाँ कौनहारा यह तय नहीं समर को ,
शुभ धर्म यह सनातन अभिराम हो रहा है.
गजपर कृपा-----------------------------4
--------जय श्रीराम -------
1 टिप्पणियाँ
वाह वाह कितना सुन्दर चित्रण किया है आनन्द आ गया
जवाब देंहटाएं