tag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post5271548756415605545..comments2024-03-17T11:16:10.819+05:30Comments on दीर्घतमा : जब एक चर्च मे धर्मान्तरण हेतु गये अशोक ने फ़ादर की बोलती बन्द की---!सूबेदारhttp://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-15640226956511960322016-12-29T21:39:34.143+05:302016-12-29T21:39:34.143+05:30समय की आवश्यकता है कि सामने वाले को पहचाने ज़रूरी ...समय की आवश्यकता है कि सामने वाले को पहचाने ज़रूरी नही कि मैं जैसा हू सामने वाला वैसा हो, हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कमज़ोरी यही है कि वह सामने वाले को अपने जैसा ही समझता है, देश मे स्वामी दयानन्द सरस्वती ही प्रथम आचार्य थे जिन्होंने इस्लाम, ईसाईयो को ठीक से पहचाना और कार्य किया-।<br />आज हिन्दू समाज को नीर, क्षीर और विवेक से कार्य करने की आवयकता है--।सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.com