tag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post6518728576030775806..comments2024-03-17T11:16:10.819+05:30Comments on दीर्घतमा : मां-नर्मदा- सामाजिक कुम्भ-! एक बार फिर भारतीय चेतना जगाने क़ा प्रयत्न -।सूबेदारhttp://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-52610915758245636342010-08-23T22:06:13.773+05:302010-08-23T22:06:13.773+05:30माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ जिसका उद्देश्य समरसता है ...माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ जिसका उद्देश्य समरसता है जो भारत की एकात्मता क़े लिए इतना बड़ा आयोजन है जिससे पिछड़े बंधू जिन्हें कुछ लोग राष्ट्र की मुख्या धारा में जोड़ने की बात करते है तो कुछ लोग मओबदियो से जोड़ते है वास्तव में वे राष्ट्र की मुख्यधारा में है और ये माओबादी नहीं है ये राष्ट्रबादी है जुड़वाँ सलम इसका सबूत है इस नाते माओबादी वनवासियों क़े शत्रु बनकर खड़े है .<br /> यह कुम्भ भारतीय समाज में समरसता ही नहीं धर्मान्तरण को भी रोकेगा तभी इसकी सार्थकता होगी.सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-88965201612697179102010-08-23T20:59:27.730+05:302010-08-23T20:59:27.730+05:30धन्यवाद आप हमारे ब्लॉग पर आए अच्छा लगा.धन्यवाद आप हमारे ब्लॉग पर आए अच्छा लगा.सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-63918024495623422752010-08-23T19:21:34.545+05:302010-08-23T19:21:34.545+05:30माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ आपके अनुसार जैसे उत्तर से...माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ आपके अनुसार जैसे उत्तर से दक्षिण चार कुम्भ की ब्यवस्था है जिसमे हिन्दू समाज की नव निर्मित ब्यावास्थाये बनती है उसी प्रकार यह कुम्भ होगा जिसमे वनवासी दलित व अन्य समाज सभी ऊच -नीच की भावना से मुक्त भारत हो यह प्रयास है यह आती उत्तम है .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-54854671139533397502010-07-27T17:09:39.897+05:302010-07-27T17:09:39.897+05:30भारतीय समाज और हिन्दु संस्कृति मत भिन्नता को स्वीक...भारतीय समाज और हिन्दु संस्कृति मत भिन्नता को स्वीकार करता है। कुमारिल भट्ट का प्रादुर्भाव सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए हुआ था - इसके लिए उन्होने काम भी किया । आदि शंकराचार्य के आगमन के पुर्व स्थितियो के निर्माण मे उनकी भुमिका महत्वपुर्ण थी। लेकिन अपने बौद्ध आचार्य को शास्तार्थ मे हाराने के कारण उनके द्वारा किए गए अग्नि-प्रवेश के प्रायश्चित के लिए अपने जीवन का अंत भी उन्होने अग्नि-प्रवेश कर के किया। यह दर्शाता है कि सनातन वैदिक प्रबुद्ध पुरुषो के मन बौद्धो के प्रति उतना हि प्यार भी था। इसलिए उन्होने सिद्धार्थ गौतमको अवतार भी माना। आज समस्त हिन्दु समाज गौतम बुद्ध के प्रति श्रद्धा का भाव रखता है। लेकिन दोनो तरफ से कुछ लोग इस प्रेम मे दखल डालने की कोशीस करते है।Himwanthttps://www.blogger.com/profile/15073248042334425850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-5151744561800196842010-07-26T21:11:44.591+05:302010-07-26T21:11:44.591+05:30बेनामी जी मै ,एक और साबित्री, पढ़ चुका हू सालिक रा...बेनामी जी मै ,एक और साबित्री, पढ़ चुका हू सालिक राम मिश्र की और कई साहित्य पढ़ चुका हू जैसे ,फिर चुके चौहान,,खजुराहो की नगर बधू <br />आपके सुझाव क़े लिए धन्यवाद.सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-34191910392240058772010-07-26T16:36:24.574+05:302010-07-26T16:36:24.574+05:30देखे शालीग्राम मिश्र कृत "एक और सावित्री"...देखे शालीग्राम मिश्र कृत "एक और सावित्री"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-84277292359405746122010-07-26T11:53:46.388+05:302010-07-26T11:53:46.388+05:30aadarniy sir,
aapke post ko padh kar ...aadarniy sir,<br /> aapke post ko padh kar apni sabhyta aur sanskriti ke baare me jyadaa se jyadaa jaankaari milti hai lisme bahuto ke baare me hame jaankaari hi nahi hai.is baat ke liye aapko bahut bahut dhanyvaad.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.com