tag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post8196131937117990277..comments2024-03-17T11:16:10.819+05:30Comments on दीर्घतमा : ग्रन्थों का ग्रन्थ, "सत्यार्थप्रकाश"सूबेदारhttp://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4662696190142895447.post-49551389827312451642017-05-29T09:14:34.825+05:302017-05-29T09:14:34.825+05:30महर्षि दयानन्द सरस्वती ने यह ग्रन्थ लिखकर सम्पूर्ण...महर्षि दयानन्द सरस्वती ने यह ग्रन्थ लिखकर सम्पूर्ण विश्व वांगमय को खोलकर रथ दिया है जो इसलाम अपने को मानवता व प्रेम मुहब्बत का धर्म बताता है चौदहवे समुललास मे खोलकर रख दिया है ईसाई मत की पोल तेरवें समुललास मे किया है तथ बौद्धों, जैनियों की भी पोल पट्टी खोल दिया यह ग्रन्थ भारतीय राष्ट्रवाद हेतु संजीवनी है, तिलक जी कहते है कि इसी ग्रन्थ ने हमें स्वराज्य का पाठ पढ़ाया--!<br />यह ग्रन्थ मानवता का सर्व श्रेष्ठ ग्रन्थ है---सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.com