धर्मान्तरण----योजना बद्ध आक्रमण ---!

        
धर्मांतरण ही नहीं संस्कृति पर हमला--!
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हम महाराजा दाहिर के ऊपर मुहम्मदबिन काशिम से लेकर आज तक हमलो के शिकार हो रहे है उसके केवल प्रकार ही बदले है, पहले एक हाथ में कुरान और एक हाथ में तलवार लेकर हमला किया अब धर्मान्तरण लव जेहाद, ईशाई पादरियों के मध्याम से सेवा प्रलोभन छल -कपट द्वारा धर्मान्तरण यानी हमला जारी है, जिन -जिन क्षेत्रो में हिन्दुओ का मतान्तरण किया जाता है वहा वहां अलगावबाद खड़ा हो जाता है, विशेष अधिकारों की माग की जाती है सामाजिक संघर्ष उत्पन्न कर हिन्दुओ को क्षति पहुचने का प्रयत्न किया जाता है, जब किसी हिन्दू को धमंतरित किया जाता है तो उसको सनातन धर्म के देवी - देवताओ, भारतीय संस्कृति व परम्पराओ का अपमान करने के लिए बाध्य किया जाता है, इससे समाज में विद्वेष और अशांति फ़ैल जाता है वर्ल्ड विजन के खिलाफ महासमुंद [उड़ीसा] का प्रदर्शन इसका प्रत्यक्ष उदहारण है. धर्मान्तरित हिन्दू को अपने परंपरागत आचार- विचार, वेश -भूषा, खान-पान, शिक्षा आदि में उसके परम्पराओ के विपरीत आचरण करने के लिए बाध्य किया जाता है और अपने स्वधर्मी रिश्तेदारों और मित्रो को संघर्ष करने के लिए उकसाया जाता है.
धर्मांतरण ही राष्ट्रांतरण--!
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स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने कहा है ----- धर्मान्तरण ही राष्ट्रान्तरण है जब ब्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है तो वह भारत के बारे में अयोघ्या, मथुरा, कशी, द्वारिका, पूरी, रामेश्वरम के बारे में अश्रद्धा निर्माण कर अरब, मक्का, मदीना और रोम, इटली, वेटिकन सिटी की तरफ श्रद्धा भक्ति करने से भारतीयता समाप्त हो जाती है और भारतीय महापुरुष राम, कृष्ण, बुद्ध, राणाप्रताप, शिवा जी, ऋषि दयानंद, विवेकानंद के बारे में घृणा का भाव पैदा हो जाता है, इंडोनेशिया का एक हिस्सा ईशाई बहुल होने से ''ईस्ट तिमोर'' बनाने में देर नहीं लगी धर्मान्तरण से राष्ट्रान्तरण होता है लाखो हिन्दुओ के धन, संपत्ति और प्राणों के ऊपर बना ''पाकिस्तान'' इसका सबूत है, क्या आपको पता है ? १०६३ में अफगानिस्तान भारत का हिस्सा था लेकिन आज वह हमसे अलग हो गया लगभग ३०० वर्षो से ईसायियो द्वारा धर्मान्तरण का कुचक्र का परिणाम नार्थ-इष्ट आतंकबाद की ढेर पर खड़ा है  नागालैंड ७०.३० प्रतिशत, मिजोरम ८५ प्रतिशत, मेघालय ६४प्रतिशत, मणिपुर ४९प्रतिशत ईशाई हो गया है आये दिन अलगाव बादी जन- आन्दोलन चलाते रहते है, झारखण्ड, विहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गुजरात, केरल, आंध्र सब के सब इसी रास्ते पर है ईशाई बहुल इलाका में हिन्दुओ की धन, संपत्ति, मान- सम्मान और जीवन सुरक्षित नहीं है !
बाईबिल हमारे हाथ में सारी जमीन उनके पास--!
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केन्या के राष्ट्रपति ''जोमो कन्येता'' ने कहा --- जब ईशाई मिशनरिया इस देश में आई तब अफ्रीकियो के पास जमीन थी और मिशनरियों के पास बायबिल-- उन्होंने हमें आख बंद करके प्रार्थना सिखाया जब हमने आख खोली तब देखा की जमीन तो उनके पास और बायबिल हमारे पास थी------ कही यह स्थिति हमारे देश की न हो, ईशाई देश NGO  के माध्यम नौकरी देकर सेवा के नाम पर धर्मान्तरण .देश को बचाने के लिए आवस्यक है की धर्मान्तरण बंद कराया जाय इसके लिए हिन्दू समाज की जागरूकता जरुरी है नहीं तो भारत तो समाप्त होगा ही हिन्दू भी अजायबघर में ही दिखाई देगा.
देश हित बलिदान की आवस्यकता-!
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हमें बलिदान के लिए तैयार रहना होगा औरगजेब के आदेश से भाई मतिदास को आरे से चीरा गया, भाई सतीदास को शरीर में रुई लपेट कर जलाया गया, भाईदयाला को कढाई के उबलते हुए पानी में उबालकर मारा गया ,गुरु तेगबहादुर का गला तलवार से अलग किया गया, क्षत्रपति शम्भा जी राजे को १५ दिन तक घोर यातनाये दी गयी उनकी आखे निकाल ली जीभ काट दी शरीर के अंग-अंग को काटा और उनके मास को कुत्ते को खिलाया गया, गुरु पुत्रो जोरावर और फ़तेह सिंह को सरहिंद के दीवारों में चुनवाया गया लेकिन उन्होंने मतान्तरण स्वीकार नहीं किया, हिन्दुओ आज हमारी बारी है देश समाज हमारी तरफ देख रहा है हमें इस चुनौती को स्वीकार होगा.    


            

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3 टिप्पणियाँ

  1. subedar bhai ji
    aapki baat sahi hai ki jo bhi dharm -parivartan karta hai usko us dharm ko apnana hi padta hai kyonki kisi bhi dusare dharm ko grahan karne se apne dharm ka paritaayag karna hi padta hai .
    ek vicharniy post
    bahut bahut dhanyvaad
    poonam

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  2. आपने सही फरमाया की अब हिन्दुओ को अपना “हिन्दुत्व” दिखानी की जरुरत है. धर्मांतरण हिन्दुओके लिये बडी चुनौती है. लेकिन इस सिक्केका दुसरा पहलु भी देखने की आवश्य्कता है. क्यु होता है धर्मांतरण? शायद हिन्दुही इसकी लिये जिम्मेदार है. जातिवाद ने हिन्दुत्वको खत्म कर दिया है. एक हिन्दु अपने को दुसरा हिन्दुसे उच्च समजता है और दुसरे हिन्दुका ही अपमान करता है. दुसरी बात ये है की ज्यादातर गरीब और पिछ्डे एलाकोमेही धर्म परिवर्तन ज्यादा होता है. इसाइओ ऐसे इलाकोमे स्कुल, होस्पिटल एत्यादीकी सगवड देके उन गरीबोको अपने पक्षमे ले लेते है और फिर आसानीसे धर्मांतरण कर देते है. हमारे धर्मिक संस्थानोके पास काफि धन है. लेकीन उसका बहुत ही कम हिस्सा गरीबोके कल्याणके लिये उपयोगमे लिया जाता है. हम, धन बडॆ बडॆ मंदिर बनानेमे और थोडा बहुत मंदिर के इर्द-गिर्द कुछ धर्मशाला एत्यादी बनानेमे खर्च करते है. बाकी धन भगवान तो ‘युज़’ नही करते, पता नही कौन खा जाता है. आपने कोइ भी बडे मंदिर ने आदिवासी या पिछ्डे इलाकेमे स्कुल या होस्पिटल बनाया ऐसा देखा है? ये ही ये समस्याकी ज़ड है.

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  3. जब तक हिन्दु जात-पात में बटा हुआ है, तब तक उम्मीद नहीं है।

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