हज़ार वर्ष शंघर्ष के पश्चात भी क्या हमें अपने स्वतंत्रता अनुभव है-----?


वास्तविक स्वतंत्रता!       

कहते हैं की 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हो गया और 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान भी लागू हो गया क्या यह वास्तविकता है या कल्पना यदि यह वास्तविकता है तो हज़ार-बारह सौ वर्ष की हमने समीक्षा की ! यदि नहीं की तो क्यों ? विधर्मियों ने कितने मंदिर तोड़े? कितने हिन्दुओ को मुसलमान बनाया? कितने को भेड़-बकरियों के समान सऊदी अरब के बाज़ारों मे बेचा? कितनी हिन्दू ललनाओं से बलात्कार किया या कितने को बलात अपने हरम मे रखा कभी तो कोई हिसाब करता! हमारा देश कितना बड़ा था हम कौन थे क्या हो गए ? इन सब विषयों पर हम कब विचार करेगे!

अक्रांताओ द्वारा..!

पिछले हज़ार वर्षों से भारत इस्लामी आक्रांताओं से पीड़ित रहा है और आक्रांताओं ने इस भारत वर्ष के हजारों मंदिरों को ध्वस्त किया है। सातवीं सताब्दी मे जो चीनी यात्री भारत आए उनके यात्रा वृतांतों मे ऐसे मंदिरों का उल्लेख है जिनमे बौद्ध, जैन मंदिर सामील हैं परंतु आज उन मंदिरों का कोई अस्तित्व देखने मे नहीं आता। क्या वे हवा मे लुप्त हो गए ? भारत एक वैभवशाली देश था हिन्दुओ की उदारबृती के फलस्वरूप हिन्दू-मंदिर भी काफी वैभवशाली थे। इन मंदिरों की अकूत संपत्ति ने भी इन लुटेरों को आकर्षित किया इन आक्रांताओं ने मंदिरो को लूटा और हिन्दुओ की भावनाओं को ठेस पहुचाने की लिए उन्हे तोड़ा तथा पवित्र स्थलों पर उन्ही मंदिरों के अवशेषो से मस्जिद निर्माण किया। कहीं-कहीं मंदिर की मूर्तियों को मस्जिद की सीढियों तले नीचे लगाया ताकि मुसलमान उस पर पैर रखकर मस्जिद मे प्रवेश करें, यह सब हिन्दुओ को अपमानित करने के लिए उनका मनोबल तोड़ने, उन्हे जबरदस्ती मुसलमान बनाने के लिए किया जाता था और जिंहोने प्रतिरोध किया वे मौत के घाट उतार दिये जाते रहे। मुख्य मंदिर मुस्लिम दरिंदगी के शिकार हुए, वे थे सोमनाथ गुजरात, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा, श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या तथा काशी का विश्वनाथ मंदिर।

  विभाजन के पश्चात 

मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत का वैभव लूटा हजारों -लाखों की संख्या मे नरसंहार किया बलात धर्मपरिवर्तन कराया और लाखों की संख्या पुरुषों -महिलाओ बच्चो को गुलाम बनाकर मुस्लिम देशों के बाज़ारों मे भेड़-बकरियों की तरह बेचा।इतने बड़े अत्याचार की लोंहर्षक कथा से पूरा का पूरा पश्चिम व मीडिया के बंधु अज्ञात रहे यह उनके लिए भी सोध का विषय है, सन 1947 मे धर्म के नाम पर देश का बटवारा हुआ पश्चिमी पाकिस्तान तथा पूर्वी पाकिस्तान, बाद मे बांगलादेश शेष भाग भारत हुआ जो हिन्दुओ के पास है, पाकिस्तान बनने के बाद हजारों मंदिर तोड़ दिये गए यहाँ तक कि पाकिस्तान और बंगलादेश की सरकारों तथा सेना ने मंदिर ध्वंसकारियों को सहयोग दिया, भारत का वास्तविक इतिहास यह हैं की यहा के हिन्दु -मंदिर इतनी बड़ी मात्र मे मुसलमानो द्वारा ध्वंस हुआ, लेकिन इसकी कोई गणना नहीं की गयी और न इसे कोई महत्व ही दिया गया, अयोध्या की घटना मे इसके बिपरित एक विवादित ढ़ाचा के ध्वंस को इतनी अहमियत प्रदान की गयी कि पूरी की पूरी हिन्दू- जाती को अनुदार, असहनशील, मस्जिद ध्वंसक के रूप मे प्रचारित किया गया।
         अयोध्या घटना की प्रतिकृया स्वरूप पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलावा विश्व के अनेक भागों मे, ब्रिटेन, यहाँ तक की मुस्लिम बहुल कश्मीर मे भी बड़ी संख्या मे मंदिर तोड़े गए लेकिन इन घटनाओं की कोई निंदा तक नहीं की गयी और न इसकी कोई अहमियत ही दी गयी, उल्टे माना गया की यह अयोध्या घटना की स्वाभाविक प्रतिकृया है और इन मंदिरों के ध्वंस के लिए भी हिन्दू ही जिम्मेदार, आरोपी हैं न कि मुसलमान।

मीडिया का दोगला चरित्र 

अब भारतीय समाचार -पत्रों के पूर्वग्रह को देखें, इतनी बड़ी संख्या मे हिन्दू मंदिरो के ध्वंस के बजाय उनकी नज़र मे अयोध्या का विवादित ढांचा ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योकि मंदिरों के ध्वंस को कोई महत्व नहीं जबकि विवादित ढांचे के ध्वंस को विश्व की एक प्रमुख घटना बना दिया गया ? पाकिस्तान मे ही अहमदिया समुदाय की एक मस्जिद को तोड़ा गया, इस्लामी देशों मे कई अन्य कारणों से कई मस्जिड़े तोडी गईं, लेकिन समाचार पत्रों का विषय नहीं बनाया गया, न उनपर तीखी प्रतिक्रियाएँ दी गईं यह समाचार पत्रों की गुलामी की भूमिका नहीं तो और क्या है ?

वास्तविक स्वतंत्रता कब?

आज़ादी के इतने वर्षों के पश्चात भी क्या आज भी हिन्दू समाज गुलाम ही है--! यह प्रश्न बार-बार कौधता है जब NDA की सरकार अटल जी के नेतृत्व मे थी तब भी क्या हुआ ? छोटे-छोटे दलो की प्रतिबद्धता ध्यान मे थी लेकिन हिन्दुओ की जिंहोने बड़ी उम्मीद से वोट दिया था क्या हुआ ! वही मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति और परिणाम 2004 के चुनाव मे बीजेपी की बुरी तरह पराजय, बीजेपी यानि एनडीए की बिहार सरकार के मंत्रिमंडल ने अलीगढ़ मुस्लिम वि बि की स्थापना, बंगलादेशी घुसपैठ को नकारना, अररिया मे पशु बधशाला प्रदेश भर मे हिंदुओं की उपेक्षा दुर्गा, सरस्वती पूजा मे मूर्तियों पर हमले आम बात हो गयी हिन्दुओ की कोई सुनने वाला नहीं हिन्दू त्राहि-त्राहि करने लगा राजगीरी मे अधिक मास के मेले की हालत तो और भी खराब हिन्दुओ की परंपरागत जमीन जहां साधुओं की छवानी लगती थी एनडीए की सरकार ने उजड़कर मुसलमानो के लिए घेरवाया, हिन्दू समाज कब आज़ाद होगा कब इन सारे विषयों का हिसाब चुकाएगा ? बांगलादेश, पाकिस्तान मे हिंदुओं की दुर्दशा तो हम देख ही रहे है भारत के प बंगाल, उप, बिहार, कश्मीर सहित अन्य प्रांतो मे हिंदुओं की क्या दशा है ? जिन लोगो ने बंगाल मे बीजेपी को वोट दिया था वे मारे जा रहे हैं उत्तर प्रदेस मे संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है आखिर गृहमंत्री का ध्यान इस पर क्यों नहीं जाता वे महाराष्ट्र मे आतंकवादी मोहसीन की हत्या पर जो ब्यक्ति जेल मे था उसे पर कार्यवाही के लिए ही क्यों आदेश ? क्या बीजेपी को वोट देकर पुरानी एनडीए जैसा ही होगा जिसमे हिन्दुओ का अपमान ही हुआ आज केंद्र सरकार से सवाल है की भारत कब आज़ाद होगा जब उसे हजारो साल से टूटते मंदिरों, हिंदुओं की हत्याओं, हिन्दू माँ बहिनों के साथ बलात्कारों का हिसाब मिलेगा और आज भी बिहार के पूर्बी हिस्सा, झारखंड का पूर्वी भाग व पश्चिम उप्र मे हिन्दू सुरक्षित रह सकेगा इसका उत्तर कौन देगा -?
       भारत 9वी शताब्दी के बाद से निरंतर मुस्लिम आक्रांताओ के सैनिक अभियान तथा आर्थिक, धार्मिक शोषण का शिकार होता रहा है, और 17वी शताब्दी मे पुर्तगालियों तथा अंग्रेजों के अत्याचारों का शिकार रहा है भारत मे आज़ादी के पश्चात शासन के केवल तरीके बदले हैं दुर्भाग्य आज भी सब कुछ वही है जो गुलामी काल मे था, फिर वही प्रश्न है की क्या हिन्दू समाज को आज़ादी मिलेगी! जिसमे वह खुली स्वास ले सके! जहां उसके मंदिर तोड़े न जाय, जहा उसे समानता का न्याय मिले, जहां गो हत्या न हो, जहां उसके मानदंडों की उपेक्षा न की जाय, जहां लव -जेहाद से हिंदुओं की बहन बेटियों का अपहरन न किया जाय, वह दुर्गा पूजा और माँ सरस्वती की प्रतिमा का बिना किसी विघ्न के विसर्जित कर सके इन सब विषयों का उत्तर चाहिए--!                 

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