अजीतपुर, सरइया, (मुजफ्फरपुर) घटना के पीछे की मानसिकता------!


 

    
 मामला धर्मान्तरण का है हत्या और आगजनी में स्थानीय मुल्ला मौलबी का हाथ ---!
          अभी-अभी 18 जनवरी को कौन सी घटना हो गयी कि अजीतपुर गाँव धू-धू जलने लगा जब इसकी गहराई मे जाते हैं तो ध्यान मे आता है कि लव जेहाद केवल मुसलमान लड़के ही नहीं बल्कि मुसलमानों की लड़कियां भी इस कार्य मे लगी हैं इसी गाँव की एक मुस्लिम लड़की एक स्नातकोत्तर क्षात्र भारतेन्दु जो एलएस कलेज मुजफ्फरपुर मे पढ़ता था लड़की ने उसे जाल मे फसा उसे मुसलमान बना चाहती थी लड़का तैयार नहीं था लड़की का भाई मु॰सदाकत उसे मुजफ्फरपुर से घर बुलाकर ले गया (उसके साथ दो और मित्र थे उन्हे भेजकर उसे अपने बेडरूम मे लेजाकर उसकी हत्या की) वह कहाँ गया किसी को पता नहीं, घर वाले अपहरण का मुकदमा स्थानीय पुलिस स्टेशन मे दर्ज कराया सप्ताह भर बीत गया पुलिस हाथ पर हाथ रखकर बैठी रही कारण बिहार मे मुसलमानों के खिलाफ कोई भी अधिकारी कदम उठाने मे कोई रिस्क नहीं ले सकता जैसे यहाँ इस्लामिक शासन हो, किसी तरह सुराग लगा की भारतेन्दु  को स्थानीय गाँव के मुसलमानो ने छिपा रखा है पुलिस को यह भी सूचना दी गयी कोई कार्यवाही नहीं हुई गाँव वालों को सक हो गया-- इन लोगो ने लड़के की हत्या कर दी है! यह भी सूचना पुलिस को दी लेकिन पुलिस की हिम्मत नहीं की वहाँ कुछ कर सकें!  लास खोजी जाने लगी एक पालतू कुत्ता खोज निकाला ठीक मस्जिद के पीछे सरसों के खेत मे लास मिली गाँव वालों ने फिर पुलिस को सूचना दी पुलिस की कोई सुनवाई नहीं हुई जब मौलबी की पिटाई गाँव वालो ने की तो उसने बताया की लड़की का भाई सदाकत ने उसे बुलाकर लाया गाँव के मौलबी ने उसे इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए दबाव डाला वह तैयार नहीं हुआ (गाँव -गाँव मे यह चर्चा का विषय बना हुआ है) फिर मौलबी, सदाकत और उसके बाप ने उसे मार डाला किया, वहाँ के मौलबी को बुला लड़की के ही घर मे उसे मुख मे कपड़ा ठूसकर दर्दनाक तरीके से गला रेतकर मारा, सदाकत का बयान है की उसने गला दबाकर मारा जबकि स्थानीय 'सांसद और डीएम' दोनों ने 'ऑन स्पॉट' खून पर्याप्त मात्र मे गिरा हुआ है देखा पोस्ट मार्टम रिपोर्ट ही असलियत बताएगी एफ़आईआर केवल 2-3 लोगो पर है जबकि साजिस मे मौलबी  सहित पूरा गाँव सामिल रहा होगा, एक चर्चा और है कि मर्डर के पश्चात कुछ मुल्लाओं ने मुस्लिम घरों मे स्वयं ही आग लगवा दी (गांव वालों की आसंका ) जिससे मर्डर को दंगे का रूप दिया जा सके। 
           एक तरफ इस्लाम शांति का संदेश देता है क्या यही उसका शांति का संदेश है ! जबकि एक लाख हिन्दू लड़कियों का लव जेहाद द्वारा के मुसलमान बनाया जा रहा है ! इसमे किसी का दोष नहीं, दोष केवल मानसिकता का है आखिर यह कौन मानसिकता है कि इनका धर्म गुरु इतना क्रूर हो जाता है अब खोजी पत्रकारिता कहाँ चली गयी उन्हे यह दिखाई नहीं देता-! वास्तविकता यह है भारतीय पत्रकारिकता भी हिन्दू बिरोधी होते- होते वह भारत बिरोधी हो गयी वे इस्लाम की वास्तविकता को जानना नहीं चाहते, आखिर फ्रांस मे जब आतंक वादियों द्वारा पत्रकारों की हत्या के पश्चात सभी कालेज और विद्यालयों मे शोक सभा पश्चात दो मिनट का मौन रखा गया उस समय इस्लामी बच्चों ने आतंकवादियों के पक्ष नारे लगाए आखिर यह कौन सी मानसिकता है इसका मतलब यह है कि मुसलमानों के घरों मे भी आतंकवादी मानसिकता बनाई जाती है कोई भी मुसलमान शांति मे विस्वास नहीं रखता, तो यह मानसिकता कैसे बदलेगी ! वास्तविकता यह है कि यदि विश्व को शांति पूर्वक रहना है तो इसका इलाज करना होगा, गलती तो प्रत्येक हिन्दू करता है जो इस कौम पर विस्वास करता है जबकि हमारे महापुरुषों ने पहले ही सचेत किया है, गुरु गुरुगोविंद सिंह ने कहा ''जन विस्वास करौ तुरुक्का, तुरुक मिताई तब करे जब सबै हिन्दु मरि जाय''।
           घटना के पंद्रह दिन पश्चात भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई हिन्दू जनमानस ब्याकुल हो गया साहनी समुदाय के लोग थे अति पिछड़े लोग हैं मुख्यमंत्री भी लगभग इसी समुदाय से आते हैं लेकिन सरकार तो केवल मुसलमानों को साधने मे लगी हुई है (उन्हे मुसलमान न समझकर केवल वोट समझा जाता है) फिर क्या था साहनी समुदाय के लोग सीधे-सादे हैं जब उन्हे न्याय नहीं मिला कानून अपने हाथ मे लेना चाहा, तो कौन -कहाँ से आया कुछ पता नहीं धू-धू कर अजीतपुर जलने लगा, कुछ जन-धन का नुकसान हुआ लेकिन बिहार सरकार एक पक्षीय कार्यवाही कर रही है जिससे सद्भाव बिगड़ रहा है जिन्हे मरा हुआ दिखाया जा रहा है वे घर से भाग गए हैं यह तो उनकी योजना का एक हिसा है सभी भाग जाना और घर फूंक कर मुआवजा लेना वहाँ के लोगों का कहना है कि घर उसी मुसलमानों मे से किसी ने फूँक दिया हत्या को कुछ और रंग देने के लिए मुल्ला-मौलबियों ने यह काम किया इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए अजीतपुर गाँव के सभी साजिस करने वालों के ऊपर कार्यवाही (एफ़आईआर) होना चाहिए। 
          यदि दंगे -फसाद खत्म करना है तो मखतब मदरसों पर प्रतिबंध लगाना पड़ेगा, बर्तमान कुरान को प्रतिबंधित कर उसे नए तरीके से परिभाषित करना चाहिए जिसमे मानवता हो, मुसलमान उसे ही अपना देश मानता है जहां शरिया कानून लागू होता है, कुरान और हदीश किसी भी  मुसलमान को भारत के प्रति श्रद्धा की अनुमति नहीं देता और जो अपने को उदार और देश भक्त मुसलमान कहते हैं वे भारत के लिए अधिक खतरनाक हैं क्योंकि वे हिन्दु समाज और भारत दोनों को धोखा दे रहे हैं, इसलिए अजीतपुर की घटना धर्मांतरण की घटना है इसकी जांच होनी चाहिए,  मै सेकुलर सरकार से कहना चाहता हूँ हिन्दु समाज को जाती-पाँत मे बांटकर कमजोर करना बंद करे, आपको पता है न भागलपुर मे मुसलमानों ने ही दंगा शुरू किया था परिणाम क्या हुआ ? अजितपुर मे मुसलमानों ने शुरू किया क्या हुआ ? आप हिंदुओं पर हमले बंद कराईये भारत के इस्लामीकरण की ब्यवस्था बंद करिए और सेकुलर का पाठ इस्लामिक मुहल्लों मे पढाईए हिन्दु तो जन्म- जात धर्मनिरपेक्ष होता है।    

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ