विश्व मे ईसाई धर्म का प्रभाव
विश्व की कुल जनसंख्या 7.2 अरब में से ईसाई समुदाय के लगभग 2 अरब 40 करोड़ अनुयायी हैं जो विश्व जनसंख्या का एक तिहाई होती है और ये धर्म विश्व का सबसे अधिक संख्या वाला धर्म माना जाता है, जिसमें कैथोलिक चर्च, प्रोटेस्टेन्ट चर्च और पूर्वी रूढ़िवादी चर्च ये ईसाई धर्म में तीन सबसे बड़े समूह हैं, सबसे बड़ा ईसाई सम्प्रदाय कैथोलिक चर्च है जिसमें 1.09 अरब अनुयायी हैं, दूसरी सबसे बड़ी संख्या प्रोटेस्टेन्ट चर्च अथवा रूढ़िवादी चर्च की है, ईसाई धर्म यूरोप, रुश, अमेरिका, फिलीपींस, पूर्वी तिमोर, दक्षिणी अफ्रीका, मध्य अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका और ओसेनिया में ये प्रमुख धर्म है। दुनिया के अन्य हिस्सों में भी बड़े पैमाने में ईसाई समुदाय है, जैसे इंडोनेशिया, मध्य एशिया और मध्य पूर्व जहाँ ईसाई धर्म इस्लाम के बाद सबसे बड़ा धर्म है, संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है उसके बाद ब्राजील, मैक्सिको का स्थान आता है। ईसाई धर्म 15 देशों में राज धर्म माना जाता है जिसमें अर्जेन्टीना, आर्मेनिया, तवालु, टोंगा, इंग्लैंड, ग्रीस, जार्जिया, कोस्टारिका, किंगडम ऑफ डेनमार्क, आइसलैंड, लिंकटेस्टिन, माल्टा, मोनाको, बेटिकन सिटी और जाम्बिया है लेकिन यह देश चर्चों के विभिन्न मत के हैं किसी एक चर्च के देश नहीं है न ये सब पोप को मानते हैं न ही उनके मत के अधीन हैं।चर्च का प्रभुत्व के लिए षड़यंत्र
लगभग 150 करोड़ लोगों की हत्या की अथवा कराई प्रथम पोप ने रोम के राजा को षड़यंत्र द्वारा उन्हीं से उनके पुत्र पत्नी की हत्या करा राजसत्ता पर कब्जा कर लिया, जहाँ संपूर्ण विश्व में तमाम संस्कृतियों को समाप्त करने का पाप किया, वही चर्च के पादरियों ने ब्यभिचार में सर्बोच्च स्थान प्राप्त किया, आज तक लगातार अपने अत्याचार व व्यभिचार के लिए माफी मांगते घूम रहे हैं। लगता है अब इनका भी समय समाप्त हो रहा है ज्यों-ज्यों ईसाई समुदाय पढ़ लिख कर सोध की तरफ बढ़ रहा है ज्ञान की दिशा की ओर जा रहा है चर्च जाना बंद कर रहा है, प्रति वर्ष 27 लाख लोग चर्च से उदासीन हो रहे हैं, प्रोटेस्टेंट की 50 लाख सदस्यता चर्च से कम हुई है जबकि अमेरिका की जनसंख्या 2 करोड़ 40 लाख बढ़ी है, यूरोपीय देश, अमेरिका, कनाडा, रशिया ऐसे देशों में चर्चो के निलामी के विज्ञापन निकाले जा रहे हैं, पादरी बनने की प्रक्रिया लगभग बहुत कम हो गई है, पादरियों की आपूर्ति भारत से होना शुरू हो गया है, चर्च में जाने वाले लोगों की संख्या कम होती जा रही है, ज्यों -ज्यों विज्ञान की तरफ बढ़ रहा है त्यों -त्यों ईसाई समुदाय बहुदेववाद की ओर खिंचता जा रहा है, जिससे भारतीय योग, ऋषि परंपरा, भारतीय संत समाज, इस्कोन विश्व मे सर्वाधिक भारतीय परिवार व्यवस्था आदि का बहुत ज्यादा योगदान है।विश्व में इस्लाम का आतंकवादी स्वरुप
विश्व में ईसाईयों के बाद मुसलमानों की संख्या सर्वाधिक है 56 इस्लामिक देश हैं कुल इस्लामिक जगत की 20% आबादी अरब देशों में रहती है, मुसलमानों में 72 मत (फिरके) है जिसमें सर्वाधिक संख्या सुन्नी मुसलमानों की है दूसरे स्थान पर शिया मुसलमानों की है, ऐसे कोई 72 सम्प्रदाय पाये जाते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि ये एक दूसरे को सुधारवादी मानते हैं, असली इस्लाम मतावलंबी हम हैं इसी का विबाद है, मैं असली खलीफा हूँ इसको लेकर युद्ध जारी है, जहाँ किसी दूसरे धर्म के लोगों की सरकार है उनकी संख्या है उन्हें इस्लाम का शत्रु करार दे कर जेहाद करना यानी काफ़िरों की हत्या! लेकिन जहाँ इस्लामिक देश है वहां असली खलीफा की लड़ाई है, इसका मतलब यह है यही कारण है कि इस्लाम आतंकवाद का पर्याय बन गया है 56 इस्लामिक देश में कोई नया विश्व विद्यालय नहीं खोलता न ही कोई सोध कार्य ही होता है, जहाँ भारत में प्रति वर्ष एक हज़ार से अधिक सोध क्षात्र तैयार किया जाता है वहीं सभी इस्लामिक देश मिलकर भी इस संख्या को पूर्ण नहीं कर सकते हैं, बस पैट्रो डालर से केवल मौत का सामान खरीदने का काम, पिछले 25 वर्षों में एक करोड़ पच्चीस लाख मुसलमान मारे गए हैं इन्हें कौन मारा तो किसी भी अन्य मतावलंबियों ने नहीं मारा ये जिस प्रकार बिच्छू अपने बच्चों के द्वारा ही समाप्त हो जाता है उसी प्रकार इस्लाम भी अपने 72 फ़िरकों के युद्ध में समाप्त हो जाएगा क्योंकि जो प्रकृति बिरोधी है प्रकृति उसे समाप्त कर देती है!विश्व मे इस्लाम के प्रति अवधारणा
यूरोप के तमाम देशों मे बुर्का व 47 इस्लामिक संगठनो पर प्रतिवन्ध लगाया है चीन और रुश मे मीनार नहीं मार्क्स चाहिए के नारा है नमाज प्रतिवान्धित है 41 देशो मे इस्लाम को आतंकवादी मानकर आतंक विरोधी संगठन बनाया है, इस्लाम की प्रत्येक आतंकी अपने हिसाब से परिभाषा किया है जैसे नाइजीरिया मे ''बोकोहरम'' ने दो हज़ार लोगो की हत्या की मध्य पूर्व, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व आशिया,यूरोप अमेरिका और भारत मे सितंबर 2001मे 'वर्ड ट्रेड सेंटर' पर हिजबुल के हमले के पश्चात हिजबुल मुजाहिद्दीन, आईएस, आईएसआईएस, बोकोहरम, अलकायदा जैसे कुकुरमुत्ते के समान बहुत सारे इस्लामी आतंकवादी संगठन खड़े हो गए, और इनके मुखिया अपने को इस्लामी खलीफा मानते है यह संघर्ष असली खलीफा को लेकर है, इराक और ईरान के युद्ध मे दोनों देशो को मिलाकर 72 लाख लोग मारे गए, यमन की क्षाती पर सऊदिया और ईरान युद्ध मे 35000 लोग मारे गए, सीरिया मे 803664, (91-90) कुवैत मे 1600, खड़ी युद्ध मे 20000 मारे गए 40000 का सर कलम कर लिया, 12000 सेना के लोग तथा 48015 लोग अलग से मारे गए ऐसे 117000 घायल थे, अफ़गानिस्तान -पाकिस्तान मे 2001 से 2011 तक 20 लाख मारे गए 30 लाख घायल हुए पाकिस्तान की सरकारी एजेंसी के अनुसार 2003 से अभी तक आतंकी हमले मे एक लाख मारे गए, ऐसे मे सम्पूर्ण विश्व के निशाने पर हैं इस्लाम मतावलंबी ! इन्हे समाप्त होना ही है प्रकृति का नियम है जो प्रकृति बिरुद्ध रहता है प्रकृति उसे समाप्त कर देती है ।
विश्व धर्म की ओर बढ़ता हिन्दुत्व
विश्व मे कुल हिन्दुओ की संख्या 23% है अकेले भारत मे एक अरब 15 करोड़ है विश्व मे किसी भी धर्म व मतावलंबियों की इतनी अधिक संख्या एक स्थान पर किसी की नहीं है भारत के अतिरिक्त नेपाल, श्रीलंका, फ्रेंच गयाना, ब्रिटिश गयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, फ़िजी मारिसस ऐसे हिन्दू देश तथा म्यांमार, थायलैंड, कंबोडिया, भूटान, तिब्बत ताइवान, लाओस इत्यादि बौद्ध देश हैं जो भारत को अपना गुरु देश मानते हैं आयरलैंड ईसाई देश है लेकिन हिन्दुत्व की तरफ बहुत तेजी से बढ़ रहा है 34% जनसंख्या हिन्दू बन गयी है आमेरका, इंग्लैंड, यूरोप के देशों मे पादरी बनना बंद हो गया है इन पश्चिम के देशो मे बहुदेव वाद तेज गति में वढ रहा है यानि हिन्दुत्व की ओर बढ़ रहे हैं, एक बार पुनः "ऋषि अगस्त" सम्पूर्ण समुद्र का जल पी जायेगे, सारी पृथ्बि मानवता, भारतीय ऋषियों का चिंतन 'जियो और जीने दो' और हिन्दुत्व की ओर बढ़ रही है ---! x
3 टिप्पणियाँ
यथार्थ चित्रण परन्तु कार्य की अपनी गति बढ़ाने की आवश्यकता है।राजेश द्विवेदी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख है
जवाब देंहटाएंतथ्यात्मक जानकारी युक्त लेख साधुवाद !!
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