मै सीवान जिले की धर्म रक्षा समिति के एक कार्यक्रम मे था इस कार्यक्रम मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मा होसबले दत्ता जी भी थे कार्यक्रम मे 350 संख्या थी उदघाटन कार्यक्रम यानी दीप प्रज्वलन हुआ मेरा विषय समाप्त हुआ मा दत्ता जी ज्यों ही बोलना शुरू किए कोई पाँच मिनट ही हुआ होगा धरती हिलने लगी मैंने सोचा कोई धकेल रहा है क्या ? लेकिन वहाँ कुछ नहीं फिर क्या था। (25 अप्रैल 2015) आवाज़ आयी भूकंप आया धैर्य के साथ सभी नीचे उतरने लगे लेकिन हिलना बंद ही न हो हम पाँचवी मंजिल पर "विजय हाता शिशु मंदिर" के विशाल कक्ष मे थे लेकिन सकुशल सभी नीचे आए किसी तरह कार्यक्रम पूरा किया गया चारो तरफ से फोन आने लगा सीतामढ़ी, मोतीहारी, पूर्णिया और सोनपुर इत्यादि स्थानो पर बड़ी छती भी हुआ है। लेकिन नेपाल मे भीषण दुर्घटना हुई है बहुत जन-धन का नुकसान हुआ है फिर क्या करना रात्री मे "मा. दत्ता होसबले जी" को पूज्य सरसंघचालक "मा मोहन भागवत जी" का फोन आया कि इस बिपत्ती की घरी मे अवस्य ही जाना चाहिए।
भूकंप में सहायता हेतु साधू-संत सामाजिक संस्थायें सहित पूरा भारत खड़ा
दूसरे दिन हमे मा दत्ता जी को "नेपाल" छोड़ने जाना था सुबह जलपान के पश्चात हम चले लगभग 12.30 हुआ होगा की देखा रक्सौल मे लोग दुकान छोडकर भाग रहे हैं। हमने भी गाड़ी रोक दी यानि पुनः भूकंप आया, पूरे देश मे भारत सरकार सहित यह मानस बना की नेपाल को मदद जानी चाहिए केंद्र सरकार तो दो घंटे मे हरकत मे आ गयी। कैबिनट बैठक उसी दिन 2 बजे हो गयी जबकि नेपाल मे पाँच बजे हुई "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" ने सामग्री भेजना शुरू कर दिया। हिन्दू समाज ने इसे ऐसा माना जैसे यह बिपत्ति हमारे ऊपर ही हो संघ के हजारों कार्यकर्ता कंबल, तिरपाल और खाद्य सामाग्री लेकर गाँव-गाँव पहुच रहे हैं। भारतीय साधु-संत, सामाजिक संस्थाएं जैसे उनके घर में बिपति आ गयी है वास्तव यह सोच भारतीय चिंतन और हिन्दू विचार यही है उनके स्कूल, अस्पताल बनाने की योजना बना रहे हैं। पूरे भूकम्प पीड़ित क्षेत्र में भारतीय नंबर की गाड़ी ही गाड़ी देखि जा सकती है वे नेपालियों के लिए देव-दूत साबित हो रहे हैं हाँ यह जरूर है कि जगह-जगह माओवादी सेवा कार्य में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन लगभग निष्प्रभावी हो रहे हैं। अभी-तक २५० ट्रक सामग्री केवल संघ द्वारा भेजी गयी है और प्रति-दिन आती जा रही है हिन्दू संगठन वहां ''सेवा इंटर नेशनल'' के नाम से काम कर रहा है। लेकिन कोई भी इस्लामिक संस्थाएं आगे नहीं आयीं इतना ही नहीं पाकिस्तान मे कुछ होता तो अमीर खान और शाहरुख खान कोई न कोई शो कर पाकिस्तान की मदद करते हैं लेकिन उनकी मानवता तो केवल इस्लाम के लिए है। और इसाइयों यानि चर्च के लिए तो यह ललचाई आखो से देख उन्हे अवसर मिला और वे मतांतरण मे लग गए इस बिपत्ती के समय बाइबिल बाटने का कार्य करना शुरू किया। पाकिस्तान ने गोमांस भेजा यह हिन्दू समाज और नेपाल को अपमानित करने का ही प्रयास किया।
चर्च ने धर्मांतरण खेती शुरू की
बागमती अंचल मे सर्वाधिक नुकसान हुआ है सिन्धुपाल चौक जिला तो समाप्तप्राय हो गया है 90% घर नहीं है काठमांडों, ललितपुर, भक्तपुर, काभ्रे, नुवाकोट, धादिङग, रामेछाप, दोलखा और सिन्धुली इन जिलो मे ईश्वर ने कहर बरपया है, दोलखा और सिंधपाल जिला तो लगभग समाप्त हो गया है। लगभग दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं, सिन्धुपाल जिला मे चर्च का काम अधिक है वहाँ लगभग प्रत्येक गा.वि.सा. मे चर्च है प्रार्थना का समय था ज्ञातव्य हो कि नेपाल मे ईसाई शनिवार को चर्च जाते हैं। भूकंप मे हजारों समाप्त हो गए इतना ही नहीं ये कितने अंध विसवासी हैं कि "काठमांडों" के "कफेन" नाम के मुहल्ले मे सात तल्ला बिल्डिंग के एक तल चर्च के लिए लिया था। उसमे 100 संख्या थी कुछ नए भी थे जब भूकंप आया कुछ लोग बोले सभी बोलो ''ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'' ओर यहां से निकलो यह कहकर लोग भागे, तभी पादरी ने कहा कि भागो नहीं जीसस का नाम लो वह बचाएगा सभी बैठ गए वह बिल्डिंग गिरी। सभी जो भागे वे बच गए और जो नहीं भागे लगभग 70 जोग ज़मींदोज़ हो गए। ऐसी भी घटनाये हुईं, चर्च का पाखंड उजागर हुआ सेवा के नाम पर धर्मांतरण यह भी उजागर हुआ धीरे-धीरे चर्च नेपालियों के समझ मे आ रहा है, हम कार्यकर्ताओं के साथ भक्तपुर जिला के "गंगत गाव" मे गए जहां रास्ता भी नहीं है ऐसे दुर्गम स्थान पर राहत सामाग्री संघ के कार्यकर्ता बाँट रहे है जहाँ फोटो खिंचाने वाले नहीं पहुँचते।
और मावोबादियों की सेवा यानि लूट
लेकिन एक दूसरा चेहरा है जो और वीभत्स करने वाला है, सिक्कम से 45 ट्रक राहत सामाग्री भेजी गयी 15 ट्रक माओवादियों ने लूट लिया। ऐसे दक्षिण भारत से एक संत की टोली बड़ी संख्या मे राहत सामाग्री लेकर आए वहाँ भी लूट माओवादी सरकार को फेल करना चाहते हैं। वे अपना चेहरा दिखा रहे हैं जो सामाग्री भूकंप पीड़ितों के लिए आई है उसे लूट कर पहाड़ मे जहां रास्ता नहीं है दस-दस किमी बुलाकर एक-एक किलो चावल माओवादी दे रहे हैं जबकि उसपर उनका कोई अधिकार नहीं है। इस समय एक अच्छा काम हुआ कि सेना सक्रिय हुई है जनता का विसवास कुछ सेना पर है नेपाली नेताओं पर तो बिलकुल नहीं, भारतीय सेना को तो नेपाली जनता भगवान जैसी देख रही थी भारत बिरोधियों को कोई मौका नहीं मिल रहा था। लेकिन कुछ पत्रकार जिनका रोजी-रोटी का संबंध चीन और पाकिस्तान से है उन्होने भारत, भारतीय सेना और भारतीय पत्रकारों का बिरोध करना शुरू किया लेकिन दिखाई पड़ रहा है कि जनता पर कोई असर नहीं है । इनकी हालत खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे जैसे हो गयी है, एक चिंता का विषय जरूर है पिछले 3 दिनों से नेपाल के संसद मे चीन का नाम लेकर प्रसंसा हो रही है लेकिन भारत का नाम न लेना नेपाली सांसदों के लिए जैसे अज्ञात भय समा गया हो क्या कारण है कुछ पता नहीं--?
हिन्दू समाज तो हमेसा सेवा संस्कार अपना कर्तब्य ही मानता है यह उसका संस्कार है चर्च तो धर्म के ब्यापरी है यदि आप चर्च जाते हैं तो उनकी सेव वहीं तक है जैसे नेपाल मे बाइबिल बाटना शुरू किया जिसका जबर्दस्त बिरोध हुआ मुसलमानों को तो इन विषयों से कोई मतलब नहीं,नेपाल के सुदूर गावों, पहाड़ों मे हिन्दू स्वयंसेवक संघ व अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता सेवा कराते दिखाई पड़ रहे हैं कोई भेद-भाव नहीं, वहीं माओवादी पीड़ितों के लिए सहायता लूटकर अपने कर्तब्य का पालन कर रहे हैं
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हिन्दू समाज तो हमेसा सेवा संस्कार अपना कर्तब्य ही मानता है यह उसका संस्कार है चर्च तो धर्म के ब्यापरी है यदि आप चर्च जाते हैं तो उनकी सेव वहीं तक है जैसे नेपाल मे बाइबिल बाटना शुरू किया जिसका जबर्दस्त बिरोध हुआ मुसलमानों को तो इन विषयों से कोई मतलब नहीं,नेपाल के सुदूर गावों, पहाड़ों मे हिन्दू स्वयंसेवक संघ व अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता सेवा कराते दिखाई पड़ रहे हैं कोई भेद-भाव नहीं, वहीं माओवादी पीड़ितों के लिए सहायता लूटकर अपने कर्तब्य का पालन कर रहे हैं
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