इस्लाम का वैश्विक स्वरूप ------!

        

शान्ति का मजहब ?

आज सारी दुनिया आतंक के साये मे जी रही है सेकुलर नेता, इतिहास कार यह कहते नहीं थकते की इस आतंकवाद का इस्लाम से कोई सरोकार नहीं है और इस्लाम प्रेम, शांति सिखाता है। वे इतिहास को झुठलाने का प्रयास कर रहे है जबकि इस्लाम का जन्म ही आतंकी स्वरूप मे ही हुआ है। कुछ लोग इस्लाम को धार्मिक वाना पहिनाने का प्रयास कर रहे हैं जबकि इस्लाम कोई आध्यात्मिक पंथ नहीं बल्कि एक आतंकी गिरोह के समान ही है। छठवीं शताब्दी मे मुहम्मद साहब ने इस्लाम की स्थापना की ! यदि हम ईमानदारी से कुरान और हदीस पढे तो ध्यान मे सब बाते आ जाएगी मुहम्मद साहब क्या थे ? इस्लाम क्या है ? 

लुटेरों का गिरोह

मुहम्मद साहब के जाने के पश्चात इस्लाम का स्वरूप कैसा रहा? हिन्दू समाज तथा कम से कम भारत को यह समझना ही होगा ! हम मुसलमानों को मनुष्य समझने की भूल कर रहे हैं जैसे हमारे पूर्बजों ने किया था मुसलमान केवल मुसलमान होता है न कि मनुष्य! मुहम्मद साहब ने अपने जीवन मे जो कुछ किया जैसा किया वही मुसलमानों के लिए आदर्श है उन्होने जीवन भर लूट-पाट की अन्य धर्म वालों को धोखा दिया गिरोह बना लूट का माल आपस मे बाटते रहे । उन्होने जब चाहा, जिससे चाहा, जितना चाहा बिवाह किया, उनके जाने के पश्चात अरब मे खलीफाओं की होड मच गयी और बिभिन्न प्रकार के संघर्ष मे गिरोह खड़े होने लगे कारण भी था अरब बड़ा गरीब -असभ्य, कबीलाई मुल्क था । वहाँ कुछ खाने पीने के लिए कुछ नहीं था भारत से ब्यापारी पश्चिम जाते तो उन्हे लूटने का ही काम था। धीरे-धीरे उन्हे ध्यान मे आया कि भारत तो धन- धान्य से परिपूर्ण है, वे गिरोह बना भारत को लूटने की जतन करने लगे मुहम्मद साहब की मृत्यु के 100 वर्ष के अंदर ही गिरोह, लुटेरे भारत मे उत्पात मचाने आने लगे। वे असभ्य, कबीलाई थे इसलिए यही उनका काम था किसी के पास सौ, किसी के पास दो सौ अथवा पाँच सौ घुड़सवारों का गिरोह होता ये कोई सैनिक नहीं थे ये तो लुटेरे थे इन लुटेरों ने अपने हाथ मे कुरान नाम की एक पुस्तक ले रखा था, उसके आड़ मे कुछ भी करो। 

कहीं के राजा नहीं लुटरों के सरदार

 इस्लाम का गिरोह कहीं मुहम्मद कासिम, कहीं गजनी, कहीं गोरी, कहीं बख्तियार, कहीं तैमूर, कहीं बाबर जैसे तमाम गिरोह खड़े हो गए ये कोई राजा नहीं कहीं के कोई जगीरदार नहीं सब के सब चंबल के डकैतों के समान थे। यहाँ के डकैत भारतीय होने के कारण कुछ मानवता भी थी, लेकिन इन सब मे तो मानवता, उदारता से कोई सरोकार ही नहीं, उस समय अरब कोई ताकतवर देश नहीं था कि भारत जैसे शक्ति सम्पन्न देश पर आक्रमण करे ये सबके सब लुटेरे ही थे। बाबर को तो मंगोलिया से भगा दिया गया था चार वर्ष वह भारत मे उत्पात मचाता रहा लूटता रहा फिर मारा गया। आठवीं शताब्दी कासिम, दसवीं शताब्दी मे गजनी ये सभी लुटेरे मारे गए बारहवीं शताब्दी मे बख्तियार खिलजी दो सौ घुड़सवारों का गिरोह लेकर आया 1161 मे लूट मचाया नालंदा को फूंका हजारों बौद्धों को मारा जब असम के राजा को पता चला तो नदिया (बंगाल) 1162 मे बुरी तरह पीटा गया और 1163 मे मारा गया। ये लुटेरे यहाँ लूटे तो लेकिन यहाँ की संपत्ति ले जाने मे सफल नहीं हुए वे सब के सब मारे ही गए। इसलिए यह कहना कि अरबों ने भारत पर आक्रमण किया यह अरब देश का अपमान करना है। बाबर के वंशजों ने सासन करने का प्रयास जरूर किया लेकिन भारतीय जनता ने उस मुगल वंश को कभी स्वीकार नहीं किया। औरंगजेब दक्षिण से लौट नहीं पाया मराठों ने उसे वहीं ढेर कर दिया, सत्रहवीं शताब्दी मे जाटों, मराठों, राजपूतों और सिक्खों ने पुनः हिन्दू पताका पूरे भारतवर्ष पर फहराई और पुनः लालकिले पर भगवा झण्डा फहराया गया। इतना ही नहीं जिस हरमंदिर साहब (स्वर्ण मंदिर) को मुसलमानों ने तोड़ा था सरोवर को अपवित्र किया था उन्हीं मुगल सैनिकों के द्वारा उसका उद्धार कराया गया।

सभी आतंकी 

आज जिसे हम आतंकी कह रहे हैं ये उसी प्रकार हैं जैसे कासिम, गजनी, गोरी, बख्तियार और बाबर था वे उस जमाने के आतंकी थे । उनके हाथ मे भी कुरान थी आज अलकायदा, हिजबूल मुजाहिदीन, आईएस आईएस और आईएस जैसे तमाम आतंकी संगठन अपने को इस्लाम का असली खलीफा बता रहा है और इनके हाथ मे भी कुरान है। दुनिया को यह समझना होगा कि ये केवल मोमिन है न कि मनुष्य इसलिए इनके साथ मोमिनो जैसा ही ब्यवहार किया जाना चाहिए न कि मनुष्यों जैसा !          

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2 टिप्पणियाँ

  1. इस्लाम मानवता बिरोधी अपराधियों का गिरोह जहां अध्यात्म नाम की कोई चीज नहीं

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  2. ईसलाम मानवता का शत्रु है न कि कोइ आध्यात्मिक विचार ------!

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