सेकुलर धीरे -२ राष्ट्रद्रोही हो रहा है.

सेकुलर--?

भारत में धर्मनिरपेक्षता क़ा अर्थ केवल हिन्दू बिरोध होता जा रहा है, वोट की राजनीती अब धीरे -२ देश के बिभाजन की ओर ले जा रही है सभी राजनैतिक दलों में तुष्टिकरण की होड़ जैसी लगी है ,पटना के गाधी मैदान में तो रामबिलास पासवान तो पहिचान में ही नहीं आ रहे थे वे तो अरब के शेख जैसा लग रहे थे। इसी प्रकार जिस अलीगढ मुस्लिम वि.वि. ने देश क़ा बिभाजन कराया उसकी देश के कई भागो में शाखा खोल कर हम यह दिखाने क़ा प्रयत्न कर रहे है की मुसलमान, हिंदुवो के साथ पढ़ लिख नहीं सकता, बिहार क़ा किसनगंज जो अति सम्बेदन शील है सरकार ने वही गरीब वनवासियों की जमीन दी, उन गरीबो की एक नहीं सुनी गयी क्यों की वे हिन्दू संस्कृति मानने वाले भारत भक्त है, लगता है की ये सेकुलर नेता मुसलमानों को देश की मुख्यधारा में नहीं जोड़ना चाहते, वे देश बिरोधी बने रहे यही नियति सेकुलर बादियो की है। यह सत्य ही है की कोई भी मुसलमान देश भक्त नहीं होता, यदि देश भक्त है तो वह मुसलमान नहीं है। उसका प्रत्यक्ष उधारहण यम. ऍफ़. हुसेन ने भारतीय नागरिकता छोड़ तथा सानिया मिर्जा ने पाकिस्तानी के साथ बिबाह क़ा ऐलान करके बता दिया कि भारत से हमारा क्या नाता है, कांग्रेस पार्टी तो क्रिश्चियन पार्टी है, सभी महत्व के स्थान पर चाहे गिरधर गोमांग हो, अजित जोगी हो या आनंद शर्मा आंध्र के कोई रेड्डी होगे ये सभी ईसाई है। यह दिखाने का प्रयत्न होता है यदि महत्वपूर्ण स्थान चाहिय तो आपको क्या होना पड़ेगा -?  यह हम समझ सकते है, सोनिया गाँधी सफल नेत्री है वे अपने उद्देश्य में सफल है वे जानती है की हिन्दू मुर्ख है इस नाते सेकुलर के नाम पर देश क़ा ईसाई करण क़ा लक्ष्य एक क्रिश्चियन के नाते उसे पूरा कर रही है। भारत कहा जा रहा है यह सोचना पड़ेगा। मुंबई ब्लास्ट के आरोपी के ऊपर मुकदमा क्यों-? जब अदालत द्वारा सजा होने पर भी सजा नहीं होनी है, आखिर अफजल अंसारी आज भी मेहमान ही है। प्रज्ञा ठाकुर हिन्दू होने के नाते सजा लेकिन तौकिलरजा जो बरेली दंगे क़ा आरोपी है बेदाग छोड़ दिया जाता है। अपने ही देश में हिन्दू गुलामो की तरह जीने को मजबूर है।

अल्पसंख्यक नं. एक के नागरिक

गृहमंत्री प्रतिदिन मुसलमानों की सुरक्षा की बात कर रहे है उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है की उनका यह बिचार देश को बिभाजन की तरफ ले जा रहा है, जहा मुस्लिम, क्रिश्चियन की बहुलता है वहा हिंदुवो क़ा रहना दूभर है, आज कश्मीर की घटी हिन्दू बिहीन हो चुकी है। कटिहार, पुर्णिया, मुरादाबाद और अलीगढ जैसे जिलो से हिन्दू पलायन को मजबूर है. नार्थ इष्ट की समस्या हिन्दू कम होना ही है। तुस्टीकरण की सीमा पार करते हुए हम देश के कितने टुकड़े करेगे, एक नहीं कई बार देश के टुकड़े हो चूका अब कितना टुकड़े करोगे। आखिर हमने अफगानिस्तान को अरबो, खरबों की सहायता की क्या मिला अंत में-?  उसने पाकिस्तान को अपना भाई ही बताया, आखिर यह कहने को अफगानिस्तान क्यों मजबूर हुवा-? क्यों की भारत काफिरों क़ा देश है, सभी पार्टिया केवल अल्पसंख्यको के वोटो की चिंता कर रही है जैसे इस देश में हिन्दू रहते ही नहीं वे अपराधी हो, जो मुसलमान हमारी बहन बेटी को उठा कर बिबाह कर लेता, वही बड़ा नेता हो जाता है, हमें सेकुलर नाम के राक्षस को फेकना पड़ेगा तभी भारतीय धर्म सन्सकृति बचेगी तभी शंकराचार्य, नानक, दयानंद ,दीर्घतमा जैसे महापुरुष, हमारे शास्त्र तभी बचेगा, नहीं तो भारतीयता क़ा नाम लेना वाला कोई नहीं बचेगा हिन्दुओ के स्वाभिमान को जगाना यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए ।

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3 टिप्पणियाँ

  1. भाईजी बात तो सभी करते है मगर हिन्दु कभी एक हो कर खड़ा नहीं होता. अकबर के दरबार में मुजरा तो हजारों ने किया, प्रताप से कंधा कितनों ने मिलाया?

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  2. आपने भी बिलकुल सही कहा कि असली दुश्मन न सिर्फ हिन्दुओ के बल्कि देश के भी ये तथाकथित छद्म धर्म निरपेक्ष है और संजय जी ने भी सही कॉमेंट किया कि दिक्कत हिन्दू एकता की है !

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  3. रंग बदलती इस दुनिया में सफ़ेद कपड़ों में, गन्दगी फ़ैलाने वाले देखे.
    क्या गोरा और क्या काला मौका मिलने पर देश को लूटने वाले देखे.

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