बामपंथी अबिस्वस्नीय है.

           इस समय अति बामपंथी भभकते हुए दीपक के समान है वे सभी स्तरों पर भारत और हिंदुत्व का बिरोध कर रहे है, जिनका काम लेबी उठाना डरा धमका कर रूपया वसूलना जिनका बज़ट दो हजार क़रोर हो, जो हर ब्याभिचार को सिस्ताचार बनते हो उनसे कोई सकारात्मक उम्मीद करना अपने आपको, देश को धोखा देना है। भारतीय संस्कृति का बिरोध, बिकाश का बिरोध, सेकुलर के नाम पर हिंदुत्व का बिरोध, जनतंत्र के नाम पर लोकतंत्र का बिरोध, यही इनका लक्ष्य है कोई भी सेकुलरवादी व बामपंथी ताकत भारत का हितैसी नही हो सकत, क्यो की इस समय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ केवल हिंदू बिरोध है भारत में हिंदू होना अपराधी होने के सामान है ।
        माओबादी जब जब युद्ध बिराम की घोषणा करते है, तब -तब वे शक्ति शंचय, हथियार जुटाने का कार्य करते है, हमें इनके इतिहास को देखना चाहिए, मोउचे तुंग ने चीन में संघर्ष हेतु रुष की सेना की सहायता लेने में कोई संकोच नही किय, उसी प्रकार जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो यहाँ के बामपंथियो ने बेझिझक स्वागत किया, आज भी जो बामपंथी है वे बेशर्मी के साथ चीन के समर्थन में योजना और उसकी निति का समर्थन का प्रयत्न करते है, इनकी तो केवल एक ही दवा है, जैसे पश्चिम बंगाल के पूर्व सी.एम् शिद्धार्थशंकर राय ने किया था, क्यो की जब किसी के मुख में खून लग जाता है और कुछ अच्छा नही लगता चाहे वह हड्डी उसी की क्यो न ह, इसमे शासन का कम दोष नही है, यदि प्रशासन चाहे तो नक्सली काबू में अ सकते है, लेकिन इस समस्या का समाधान हो गया तो प्रशासन के बज़ट का क्या होगा--? इस नाते समस्या बनाये रखने से बज़ट आता रहेगा, इनका अन्तिम समय आ गया है, गरीबो, गरीबी से कोई लेना देना नही है इनकी कलई खुल गई है, अब भभकते दीपक को बुझने का समय आ गया है।

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