डा.भीमराव अम्बेडकर ने सचेत किया था.

          मुसलमान सुधार- बिरोधी मनोबृति के लोग है. लोकतंत्र क़ा प्रभाव उनके स्वभाव में तिल भर नहीं है, उनके लिए उनका मजहब ही सर्बोच्च है। उनकी राजनीती के लिए भी उसी की प्रेरणा है.किसी भी प्रकार के समाज सुधार क़ा मुसलमान कड़ा बिरोध करेगे। सारी दुनिया में सभी जगह उनकी प्रगति बिरोधी प्रबृत्ति ही है.उनकी दृष्टि में सबके लिए सभी कालो में, सभी परिस्थिति में योग्य धर्म केवल इस्लाम है। इस्लाम क़ा बंधुत्व दुनिया में और किसी के साथ नहीं बल्कि केवल मुसलमानों के लिए सिमित है.गैर मुसलमानों के प्रति द्वेष और तिरस्कार के सिवा उन्हें और कुछ मालूम नहीं. एक मुसलमान की निष्ठां मुसलमानों के शासन वाले राष्ट्र पर ही रहेगी, शासक यदि मुसलमान नहीं है तो उनकी दृष्टि में वह दुश्मन क़ा राज्य है. सच्चे मुसलमान के लिए भारत को अपनी मातृ भूमि मानने, और हिन्दू को अपना भाई- बंधू मानने क़ा इस्लाम में कोई मौका नहीं है। आक्रामक मनोबृति मुसलमानों की प्रकृति में ही विद्यमान है। हिन्दुओ की दुर्बलता क़ा लाभ उठाकर गुंडागर्दी करना उनका स्वभाव है।
सोचिये और बिचार कीजिये

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