ये सब चाइना क़ा एजेंडा है. नक्सली हिंसा.

           नक्सली हिंसा पर बार -२ हम श्रद्धांजलि देते नहीं थक रहे है. इनका एक राजनैतिक एजेंडा है। उसके तहत ये काम करते है इनका गरीबी, अमीरी से कोई मतलब नहीं है। लेनिन, स्टालिन ने तो चार करोण, माओ ने छः करोण, नेपाल में चालीस हजार ऐसे दुनिया भर में १० करोन लोगो की हत्या इस बिचार के लोगो ने किया है, बामपंथी सरकार से अलग होने के बावजूद आज सभी उच्चशिक्षा संस्थानों पर बामपंथी ही बैठे है उन्हें हटाया नहीं गया है वे उच्च स्थानों पर बैठ कर नक्सल मूवमेंट क़ा योजना पूर्बक सर्मथन करते रहते है.इन्हें केवल सत्ता चाहिए जनता से कोई मतलब नहीं रुश, चाइना या दुनिया के अन्य देश जहा बामपंथी सरकार है वह गरीबी नहीं है, गरीब को गरीब बनाये रखना इनका कर्तब्य है समाज में सेवा कार्य की इनकी कोई गतिबिधि नहीं है, इनके सम्बन्ध आई.एस.आई. व दुनिया के अन्य आतंकबादी संगठनो से है नक्सली कभी देश भक्त नहीं हो सकता, इस समय ये भभकते हुए दीपक के समान है ये हिंसा हतासा क़ा परिणाम है.
         भारत सरकार में आतंकबदियो से लड़ने की इक्षा शक्ति क़ा अभाव है, ये केवल गप्पे मार रहे है, लंका लिट्टे को समाप्त कर सकता है ऐसा हम क्यों नहीं कर सकते, अमेरिका में एक घटना के बाद आज तक दूसरी नहीं हुई, हम सभी को पता है की एक वर्ष के भीतर १५९२ घटनावो में हजार से अधिक लोग मारे गए, हिंसा हत्या के माध्यम से ये मोचेतुंग यानि चाइना के एजेंडे को पूरा कर रहे है। इनसे ठीक से निपटना चाहिए ,ऐसे में अजित जोगी क़ा रोल ठीक नहीं है, ये भी केंद्र सरकार के ही अंगभूत है नक्सली हिंशा में केंद्र सरकार की ढुलमुल निति ही जिम्मेदार है, छत्तिशगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह को भारत सरकार को समझाने में ही बहुत समय लगा, शायद अब समझ जाय तो ठीक रहेगा। हमें तो लगता है पूरा देश हिंसा के खिलाफ है, बीर सुरक्षा बलों की मौत पर केवल श्रद्धांजलि ही नहीं हमें संकल्प लेने की आवश्यकता है.

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2 टिप्पणियाँ

  1. सही कहा..संकल्प और कड़े कदम उठाने होंगे.

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  2. हिमालय के उत्तर एवम दक्षिण मे समृद्धि तभी आ सकती है जब चाईना और भारत मित्र बनेंगें। संघी यह बिल्कुल नही चाहते। इस अर्थ मे आप अमेरिका के लिए काम कर रहे है। अमेरिका चाहता है की भारत और चाईना लडते रहे और ईसाई साम्रज्यवाद विश्व का दादा बना रहे। क्या आप अमेरिका का सहयोग कर रहे है ???

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