हम सभी जानते है कि हिन्दू धर्म शास्त्र देश काल परिस्थितियों के अनुसार लिखे गए है जब-जब जैसे समाज को आवस्यकता हुई तब तैसे हमारे ऋषियों-मुनियों ने महापुरुषों ने देश व समाज के हित में धर्मग्रन्थ लिखा करोणों वर्ष पूर्व वेदों की रचना हुई ईश्वर ने वेद की ऋचाओ को हमारे ऋषियों के अंतर -मन में उतारा उन्होंने श्रुती को माध्यम बना समाज को ज्ञान देने का प्रयास किया, बाद में वेद लिपिबद्ध भी किये गए ऐसा नहीं कि केवल एक- दो ऋषियों के अंतर-मन में ही ऋचाओ का आगमन हुआ, तो पूरे भारत वर्ष के बिभिन्न स्थानों से ऋषियों को इश्वर ने यह अलौकिक ज्ञान दिया, ज्यो- ज्यो समाज की आवस्यकता बढती गयी उपनिषदों की रचना हुई गाव -गाव में गुरुकुलो के माध्यम से मानवता का उच्च कोटि की शिक्षा देने की ब्यस्था हुई हमारे दो अवतारी महापुरुष भगवान श्रीराम व भगवान कृष्ण ने तो अद्भुत जीवन दर्शन देकर समाज को मानवता के उच्चतम शिखर पर पहुचाने का प्रयत्न किया .
धर्मराज युधिष्ठिर से लेकर उनके पौत्र राजा परीक्षित तक के समय पुराणों की रचना वेद्ब्यास जी ने किया, उन्होंने जिस सबसे लोक प्रिय भागवत पुराण की रचना है जिसकी कथा एक सप्ताह सुनने -सुनाने की परंपरा है ये केवल मोक्ष के लिए न होकर यह एक जीवन दर्शन बन है आधुनिक नव जवानों के लिए बड़ा ही उपयोगी है वेदब्यास जी यह जानते थे कि हमारा समाज कभी भी विकृत हो सकता है उसकी ब्यवस्था उन्होंने बहुत ठीक प्रकार से बनायीं थी, भागवत एक राष्ट्रबादी ग्रन्थ भी है उसके माध्यम से हम देश भक्त समाज का निर्माण कर सकते है बर्तमान परिस्थित के पर्रिपेक्ष में जब हम देखते है तो लगता है कि हमारे पूज्य संत सब जानते थे और आज भी भागवत की कितनी उपयोगिता है हम समझ सकते है, राजा परीक्षित शिकार खेलने जाते है जंगल में उन्होंने देखा कि हमारी गाय माता को कलियुग परेशान कर रहा है यानी गाय के बचे हुए पैरो को तोडना चाहता है हम सभी को जानकरी है कि गाय ही हमारे कृषि व जीवन का आधार है कलियुग हमारे गाय आधारित जीवन- ब्यवस्थाओ को नष्ट करना चाहता है राजा ने उसको ललकारा और ऐसा करने से मना कर दिया कलियुग सरणागत हुआ भारतीय परंपरा के अनुसार क्षमा, दया, उदारता जहा अच्छा है वही देश के लिए कभी-कभी घातक भी हो जाता है दया बस राजा ने आतंकी कलि से शांति बार्ता की और उसे अपने ही मंत्रिमंडल में महत्व पूर्ण मंत्रालय दे दिया, जब कलि ने उनसे अपने लिए स्थान मागा तो राजा ने बिचार करके कहा कि तुम जहा स्वर्ण, जहा मद्य [शराब] राजा की दृष्टि में ये स्थान तो जनता के अहित में नहीं था लेकिन जिस देश में बित्त मंत्रालय, मद्द्य मंत्रालय जो तब और अब भी पैसा वाला मंत्रालय हो उस पर आतंक बादियो को देना कितना हितकर होगा हम समझ सकते है उसने अपना काम शुरू कर दिया और राजा को अपने ही जाल में फसाकर महाभारत काल में दिग्विजय में प्राप्त हुए बहुत सारे राजमुकुट जिसमे मगध के राजा जराशंध का भी मुकुट था बहुत सुंदर था उसी मुकुट को कलियुग ने राजा परीक्षित को पहना दिया, कहते है जैसा खाय अन्न वैसा बने मनं एक दिन राजा शिकार खेलते -खलते जंगल में श्रमिक ऋषि [जो गरीबो और मजदूरो के बीच काम करते थे] के आश्रम पहुचे प्यास के मारे परेशान राजा ने बिना बिचार किये ही ऋषि के गले में मारा हुआ सर्प लपेट दिया जो ऋषियों का समूह देश व समाज के लिए अपने जीवन को स्वाहा करता है राष्ट्र को जागृत रखता है उसके साथ ऐसा ब्यवहार उस ऋषि के पुत्र ने राजा को श्राप दे दिया कि जावो वही सर्प आज के सातवे दिन तक्षक बनकर तुम्हे डसेगा- हाहाकार मच गया, राजा अपनी राजधानी पहुचे मुकुट उतारने के पश्च्चात उनको ध्यान में आया कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है लेकिन अब क्या -? अब तो बन्दुक से गोली बाहर जा चुकी थी राजा का राष्ट्र बिरोधी कर्म सबके सामने आ चुका था.
भागवत कार कहते है जब भी राजा समझौता बादी हो जाता है स्वार्थी हो जाता है या विदेशियों के चंगुल में फस जाता है तो उसे देश दिखाई नहीं देता उसका पतन होता है, राजा परीक्षित के सामान ही भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जब ताजमहल होटल पर पाकिस्तानी आतंकी हमला करते है तो गरजते तो जरुर है लेकिन अफजल गुरु जैसे आतंकी को फाइव स्टार कि सुबिधा देकर क्या दिखाना चाहते है ? एक तरफ आतंकी भारत पर हमला करते है, पाकिस्तानी, बंगलादेशी घुसपैठिये करोणों की संख्या में प्रतिदिन आतंक मचाये हुए है भारतीय समाज का जीना दूभर हो गया है वही दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति असुरक्षित हो गयी है प्रधानमंत्री सेकुलर के नाम पर देशद्रोह करने पर अमादा है अल्पसंख्यक बाद भारत में नासूर बनकर खड़ा है भारत को मुसलमान दारुल हरब यानी शत्रु देश, इस्लाम का लक्ष्य है दारुल इस्लाम कायम करना, उसके लिए मुस्लिम लडको को मुल्ला, मौलबी दबाव डालते है कि कम से कम इस्लाम की इतनी सेवा तो करो कि एक हिन्दू की लड़की से बिवाह करो इसी उद्देश्य को लेकर लव जेहाद ,धर्मान्तरण और घुसपैठ के माध्यम से अलग देश की माग करना और इस्लामिक राज्य कायम करना यह इन मुसलमानों का उद्देश्य है, हमारे प्रधानमंत्री का कहना है की भारत के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार अल्पसंख्यको का है, दूसरी तरफ जिस प्रकार राजा परीक्षित ने राष्ट्र जागरण करने वाले राष्ट्रीय एकता के प्रतिक ऋषियों को प्रताड़ित करने का काम किया था उसी प्रकार मनमोहन सिंह भारत के राष्ट्र के प्रतीक संत ,महन्तो को अपमानित करना उन्हें आतंकबादी बताकर उनके स्वाभिमान को ठेस पहुचना जो संगठन देश व राष्ट्र के लिए जीता और मरता है हजारो, लाखो कार्यकर्ताओ के साथ भारतीय संस्कृति भारतीय धर्म के लिए तपस्या करता है जिसका चिंतन भारतीय चिंतन है उसी को अपमानित करना उसे आतंकबादी बताने का प्रयास करना, कहने को तो ये ईमानदारी का चोला पहने हुए है लेकिन ऐसा नहीं है, ये बहुत बड़े भ्रष्ट और आज तक सबसे दागदार सबसे असफल और देशद्रोही प्रधानमंत्री है, आज आवस्यकता है कि जिस प्रकार राजा परीक्षित को संतो ने सजा के तौर पर उन्हें मृत्यु दंड दिया था कोई देर नहीं, केवल अपनी राज्य सत्ता को ब्यवस्थित करने हेतु एक सप्ताह और अंत में उन्हें देश हित में जाना ही पड़ा उसी प्रकार मनमोहन सिंह भी क्षमा के योग्य नहीं उन्हें दंड मिलना ही चाहिए जो एक देश द्रोही को दिया जाता है मनमोहन पर सुप्रीमकोर्ट को चाहिए की देशद्रोह का मुकदमा चलाये और उचित दंड दे क्यों कि घुशपैठ, सेकुलर के नाम पर देश द्रोह, आतंकियों को सरक्षण घोटाला सभी कुछ के जिम्मेदार सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही है देश उन्हें क्षमा नहीं करेगा. हिन्दुओ जागो नहीं तो आने वाला भविष्य तुम्हे क्षमा नहीं करेगा लाहौर, कराची और ढाका में भी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग थी मठ और मंदिर भी थे आप भी थे लेकिन कुछ नहीं बचा वैसा ही यहाँ भी होगा तब क्या करेगे------?
8 टिप्पणियाँ
बहुत ही सही बात रखी है, आपने। वर्तमान के परिपेक्ष में।
जवाब देंहटाएंपाकिस्तानी, बंगलादेशी घुसपैठिये करोणों की संख्या में प्रतिदिन आतंक मचाये हुए है भारतीय समाज का जीना दूभर हो गया है
जवाब देंहटाएंवही दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति असुरक्षित हो गयी है प्रधान मंत्री सेकुलर के नाम पर देशद्रोह करने पर अमादा है अल्पसंख्यक बाद भारत में नासूर बनकर खड़ा है भारत को मुसलमान दारुल हरब यानी शत्रु देश, इस्लाम का लक्ष्य है दारुल इस्लाम कायम करना, उसके लिए मुस्लिम लडको को मुल्ला,मौलबी दबाव डालते है कि कम से कम इस्लाम की इतनी सेवा तो करो कि एक हिन्दू की लड़की से बिवाह करो इसी उद्देश्य को लेकर लव जेहाद ,धर्मान्तरण और घुसपैठ के माध्यम से अलग देश की माग करना और इस्लामिक राज्य कायम करना यह इन मुसलमानों का उद्देश्य है
जवाब देंहटाएंसंस्कृति का क्षरण होता जा रहा है लगातार...
जवाब देंहटाएंबहुत से मुद्दों पर प्रधान मंत्री की चुप्पी बेहद अनुचित है। देश के प्रमुख को इतना लाचार नहीं होना चाहिए।
जवाब देंहटाएं"हमारे प्रधानमंत्री का कहना है की भारत के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार अल्पसंख्यको का है, दूसरी तरफ जिस प्रकार राजा परीक्षित ने राष्ट्र जागरण करने वाले राष्ट्रीय एकता के प्रतिक ऋषियों को प्रताड़ित करने का काम किया था उसी प्रकार मनमोहन सिंह भारत के राष्ट्र के प्रतिक संत ,महान्तो को अपमानित करना उन्हें आतंकबादी बताकर उनके स्वाभिमान को ठेस पहुचना जो संगठन देश व राष्ट्र के लिए जीता और मरता है "
जवाब देंहटाएंपूर्ण सहमत !
हमारे धर्म-ग्रंथो मे अद्भुत ज्ञान छिपा है जो आज भी उतना ही सान्दर्भिक है. आपने ठीक कहा सोने (स्वर्ण) मे कलि का वास है. लेकिन आज विश्व मे सबसे अधिक स्वर्ण का प्यासा हिन्दु हीं है. हम अपने देश की समृद्धि को विदेश भेज कर सोना मंगा लेते है. और यह सोनो तिजोरीयो मे बन्द हो जाता है. यह सोना कोई रोजगारी का सृजन नही करता, अपितु हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है.
जवाब देंहटाएंशास्त्रों में यह बात बहुत स्पष्ट रुप से कही गई है कि स्वर्ण मे कलि का वास होता है। कलि दुषित है एवं सत्य के विपरीत भी है। अतः अपने पास स्वर्ण रखना शास्त्र के प्रतिकुल है। अगर आप व्यक्तिगत एवं राष्ट्रिय समृद्धि चाहते है तो अविलम्ब अपने पास रखे स्वर्ण एवं उससे बने आभुषण आदि बेच डाले। बेच कर प्राप्त होने बाले धन का निवेश रोजगार, उद्योग, शेयर अथवा स्वदेशी बैंक में करें। यही मुक्ति का मार्ग है यही स्वराज्य का रास्ता भी है ।
बाबा रामदेव की भांती सभी हिन्दु धर्मगुरुओ को सोना बेचो अभियान की वकालत करनी चाहिए. अगर हम भारत का पुरा सोनो बेच डाले तो हम विश्व के सबसे समृद्ध देश बन सकते है.
भारत सोना बेचना शुरु करे तो सोने का कोई लेवाल नही बचेगा. दाम मिट्टी बराबर हो जाएगा. यह तो शक्तिशाली राष्ट्र खादानो सो सोनी निकाल कर भारत को बेच कर मोटी कमाई कर रहे है.
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