ईसाईयों का नव वर्ष भारत में गुलामी का नववर्ष भी कह सकते है लेकिन गुलामी इतनी हावी है की हम उसे ही अपना नव वर्ष मानते आ रहे है ३१ दिसंबर को ही सभी टी.बी. चैनल, प्रिंट मिडिया ऐसा बातावरण बनाते है कि जैसे इनके माँ.बाप ये सभी इंग्लैण्ड से ही आये हो जब कि सम्पूर्ण विश्व में सभी लोग अपना-अपना ही नववर्ष मानते है लेकिन हमारा तो स्वाभिमान जैसे नष्ट ही हो गया हो जिस प्रकार जहा-जहा क्रिश्चियन व इस्लाम गया वहां की वैभव शाली परंपरा व संस्कृति सभी कुछ समाप्त हो गयी और उन देशो ने अमानवीय संस्कृतियों को जन्म दिया जिन्होंने दुनिया में करोणों-करोणों हत्या की ,भारत में सफ़ेद चोगा पहन कर सीधे -साधे गरीब लोगो के साथ धर्म की खरीद-बिक्री करना ही एक काम और आतंक फैलाना, जो ईशू अपनी रक्षा नहीं कर सका वह हमारी क्या रक्षा करेगा ? लेकिन भारत में लार्ड मैकाले के मानस पुत्र आज भी एक जनवरी को ही नव वर्ष मनाते है उन्हें भारतीय मनोबृति का अनुभव न होने के कारण अपने को प्रगति शील होने का नाटक करने के अतिरिक्त कुछ नहीं आता .
मैकाले पुत्रो को शायद यह पता नहीं कि भारतीय मिटटी सभी को अपने में समाहित कर लेती है इसकी पाचन क्रिया इतनी सुदृढ़ है की तमाम परकीयो को जैसे शक, हुन, कुषाण और तमाम यवनों को भी हमने अत्मशात कर लिया, आज उसकी प्रक्रिया थोड़ी तेज हो गयी है ऐसा दीखता है ३१ दिसंबर को तमाम टी.वी. चैनल जब वर्ष भर का लेखा-जोखा कर रहे थे तो हमें बड़ा ही असहज लग रहा था रात्रि बीत जाती है प्रातः काल हम नगर में देखते है की जितने मंदिर है सभी में बड़ी ही भीड़ है हजारो लाखो की भीड़ को मंदिर खिचे जा रहा है मुज़फ्फरपुर [विहार ]के सभी मंदिर ही नहीं तो झारखण्ड का प्रसिद्द मंदिर वैजनाथ धाम मे लाखो श्रद्धालू दर्शन के लिए ब्याकुल है तो प्रयाग संगम पर नए वर्ष पर लाखो भक्त स्नान हेतु दुबकी लगा रहा है, आखिर यह सब क्या है ये हिन्दुओ का कौन सा पर्व है ....
नहीं-नहीं ये चर्च नहीं ये मंदिर है मंदिर भगवान की पूजा के लिए यह उमड़ती भीड़ है इसमें बूढ़े से लेकर नवजवान सभी सामिल है चर्च खाली है मंदिर भरे है मैंने पूछा कि हिन्दू पागल हो गया है क्या ? नहीं-नहीं ये तो भारतीय करण की प्रक्रिया है कुछ ने कहा कि ये तो ईशू का अपहरण है, लोगो ने कहा की हम इस नए वर्ष को इन ईशयियो से छिनकर इसका भी हिन्दुकरण कर ------वर्ष प्रतिपदा को नव दिन की पूजा करके नए वर्ष का स्वागत करेगे, आज हिन्दू समाज को अपनी पाचन शक्ति को ठीक करके बिधर्मी हुए बंधुओ को पुनः स्वधर्म सामिल कर मानवता की पराकाष्ठा पर पहुचना यही आज का धर्म है आइये हम सभी पुण्य के सहभागी बने..
7 टिप्पणियाँ
बहुमत का जमाना है सिंह साहब !सब भेडचाल ही चलते है !
जवाब देंहटाएंsahi kaha, bhedchaal hai sab jagah.
जवाब देंहटाएंसार्थक राष्ट्रवादी लेखन!! सही कहा सब भेड-चाल ही है।
जवाब देंहटाएंap sabhi ki tippadi sarthak aur upyogi hai ,sabhi ko bichar karne ki awasyakta hai.dhanyabad.
जवाब देंहटाएंलेख बहुत अच्छा है। विचारणीय है। आपसे सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन
जवाब देंहटाएंExcellent Eyeopner for every Hindu. Keep it up Singh Saaheb. Vandemataram
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