असम हिंसा ----- दंगा-दंगा नहीं यह सुनियोजित इस्लामिक हमला है.

अजेय असम

हम या तो भुलक्कड़ है या तो कायरता हमारी प्रकृति बन गयी है इतिहास को हमें याद रखना होगा कि असम पर मुसलमानों का शासन नहीं हो पाया था वे पराजित हुए थे कलंकित 'मिर्जा राजा जयसिंह' का कलंकित पुत्र 'रामसिंह' के नेतृत्व में औरंगजेब की मुग़ल सेना असम तक गयी थी वहीँ पर रामसिंह की भेट "गुरु तेगबहादुर" से हुई थी उसने गुरु जी से सहायता मागी थी गुरु जी के समझौते के कारन 'रामसिंह' बचकर वापस आ सका था वहां के "राजा चक्रधर" और उनके सेनापति "लक्षितवरफूकन" ने 'मुग़ल सेना' को पराजित कर खाली हाथ लौटाया था, कोई भी मुस्लिम शासक वहा पर जा नहीं सका यहाँ तक कि 'ब्रिटिश' भी वहा शासन नहीं कर सका भारत का यह भाग कभी गुलाम नहीं रहा।

इस्लाम की हमारी समझ

हज़ार वर्ष संघर्ष के बाद भी हम इस्लाम को समझ नहीं पाए गाव-गाव में मुसलमानों को मलेक्ष कहा जाता है, कुरान आतंकी पुस्तक है जो करोणों लोगो के हत्या की जिम्मेदार है जिसने बड़े-बड़े पुस्तकालयो को जलवाया मंदिरों को तुडवाया, लेकिन हिन्दू न तो इस्लाम को समझा न ही मुस्लमान को, यह हिन्दू समाज के लिए बहुत चिंता जनक बात है, हमने इराक, इरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश गवाया आखिर क्यों--? यही बात हमें बिचार करने की आवस्यकता है अब वे धीरे -धीरे पुरे भारत का इस्लामीकरण करना चाहते है उन्हें बड़ा ही अफ़सोस था कि हमने असम पर शासन नहीं किया १९४७ में असम की आवादी में मुसलमानों की संख्या बहुत कम मात्र ५ % थी, योजना बद्ध तरीके से घुसपैठ कराके अपनी आबादी बढ़ाना उसे वोट में बदलना हम पाच हमारे पच्चीस के नारे के साथ मुसलमान बच्चे पैदा कर रहा है तो बंगलादेश की जनसँख्या कहा चली जाती है बंगलादेश के एक अख़बार 'द मार्निंग' ने छापा की एक करोण लोग लापता हो गए है इनका कौन पता लगाएगा-कहा गए ये लोग --? बंगलादेश का तो ये योजना बद्ध घुसपैठ इस्लामी हमला है, बिचार तो भारत के हिन्दुओ को करना है नहीं तो उन्ही के संसाधनों पर ही इन घुसपैठियों को कब्ज़ा है और करना भी है, आज देश में तीन करोण बंगलादेशी घुसपैठिये है वे आज असम में भारी पड़ रहे है उनका एक ही उद्देश्य है की वहां से जनजातियो को भगा दिया जाये और पूरे असम में इस्लामिक शासन हो जाये उसमे वे सफल दिखाई देते है।

जनसंख्या के बल इस्लामीकरण

अल्जीरिया के राष्ट्रपति 'बोमेरिया' ने एक बार कहा था की हमारी औरतो की कोख ही हमें विजय दिलाएगी, असम में पहली बार जनगणना १९७१ में हुई थी जिसमे हिन्दू अवादी ९४.५% थी मुस्लिम केवल ५% थी, असम में २००१ की जनगणना के अनुसार हिन्दू अवादी घटकर मात्र ६४% रह गयी है मुस्लिम अवादी ३३% हो गयी है, २०११ जनगणना का आकडा अभी नहीं मिल पाया है, राष्ट्रीय नेताओ ने भी समय-समय पर घुसपैठ को स्वीकार किया है, १- असम के पूर्व राज्यपाल जन.यस. के. सिन्हा ने तत्कालीन राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा था की घुसपैठ के कारन असम के लोग अल्पमत हो गए है. २-असम के एक दुसरे राज्यपाल ने कहा था की प्रतिदिन ७ हज़ार बंगलादेशी घुसपैठ करते है, ३- १९९७ में तत्कालीन गृहमंत्री इन्द्रजीत गुप्ता ने एक बयान में कहा था की बर्तमान में एक करोण बंगलादेशी घुसपैठिये है, कुछ मिडिया कर्मी और सेकुलर नेता इन घुसपैठियों को शरणार्थी बता रहे है ये कैसे शरणार्थी है, इन्हें कब और क्यों भारत सरकार ने शरण दिया -? क्या ३.५ करोण लोगो को शरणार्थी बनाया भारतीयों को जानने का हक़ नहीं है--? घुसपैठियों को शरणार्थी कहकर इन हमलावरों का बचाव करना है क्या विश्व में कोई ऐसा देश है जो इन आक्रमण करियो का बचाव करेगा -? लेकिन भारत में भारत बिरोधियो का ही शासन सत्ता होने के कारन यहाँ यही हो रहा है, इस दंगे को रोकने का एक ही उपाय है निर्दयता पुर्बक इन्हें बंगलादेश भेज दिया चाहे हमें एक युद्ध ही क्यों न लड़ना पड़े।

नोआखाली को बिहार ने किया शान्ति

कही दंगा होता है तो सेकुलर मिडिया, नेता और सामाजिक कार्यकर्ता हाय-तोबा मचाते रहते है इन्हें गोधरा याद नहीं रहता उसके बाद का गुजरात हमेसा याद रखना पड़ता है क्यों की प्रत्येक देश द्रोहियों को यह सब करना ही पड़ता है, आज वहा हिन्दू मारा जा रहा है उसपर हमले जारी है उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल रही है RSS जैसे कुछ संगठनो द्वारा ही उन्हें कुछ मदद मिल रही है कहाँ है पत्रकार जो हिन्दुओ की पीड़ा नहीं देख पा रहे है, इसका पूरा दोष तो हिन्दू समाज का ही है यदि समाज खड़ा हो जाय तो सब संभव है, नोवाखाली तब बंद हुआ था जब बिहार के जहानाबाद, गया इत्यादि स्थानों ने उसी सैली में मुसलमानों को जबाब दिया था यदि हिन्दू नहीं चेता तो पूरे भारत में असम जैसा हमला हिन्दुओ पर मुसलमान करेगे और सेकुलर नेता उनके पक्ष में खड़े होगे मैंने पिछले कई लेखो में इस बात का उल्लेख किया था की मुसलमान केवल मुसलमान है और कुछ नहीं, हिन्दुओ को वे मुसलमान बनाना ही चाहते है या तो उसे समाप्त करना, उसने असम से शुरूवात किया है देखो कहा तक जाता है, इस समय बिहार के नितीश कुमार और उ प्र के अखिलेश यादव दोनों ने केवल खतना नहीं कराये है बल्कि हिन्दुओ समाज के शत्रु की भूमिका में खड़े है इस नाते हिन्दू समाज को स्वयं ही खड़ा होकर लड़ना होगा, बीजेपी ने भी अपना मुखौटा मुख़्तार अब्बास नकबी और सहनवाज हुसेन को ही बना रखा है जिससे हिन्दू समाज का विस्वास खो दिया है, मुस्लिम चरित्र एक ही प्रकार का होता है सेकुलर मानसिकता वाले एम्. जे. अकबर को देखे प्रभु चावला के इण्डिया टुडे से हटते एम्. जे. अकबर के संपादक होते ही यह पत्रिका भारत बिरोधी ही नहीं हिन्दू बिरोधी हो गयी है इसे असम में हिन्दुओ पर हमले दिखाई नहीं देते पूरे भारत में इन्हें इस्लाम खतरे दिखाई देता है सारी भारत कि एजेंसियों में भारत सरकार का नियंत्रण दिखाई नहीं देता अब इण्डिया टुडे भी बदल गया है इस नाते किसी भी मुसलमान पर विस्वास करना अपने-आप को ही धोखा देना ही नहीं देश को भी धोखा देना है। 

----------- अब हिन्दू क्या करे और कहा जाये---?