नरेंद्र मोदी --! कल्कि अवतार -!

शान्ति दूतों के कर्म---!

उभार पर है सारा विश्व त्राहि-त्राहि कर रहा है, पाचवी-छठी शताब्दी में एक ऐसे ब्यक्ति का जन्म हुआ जिसने अपने को इश्वर का दूत मान लिया और उसका प्रचार तलवार के बल पर किया कहा की जो हमारे चलाये गए संप्रदाय, पूजा-पद्धति को नहीं मानेगा वह काफ़िर है उसका क़त्ल करना अनिवार्य है, जो हमारे लिखे ग्रन्थ को नहीं मानेगा वह काफ़िर है, जब सभी बाते मेरी पुस्तक में लिखी हुई है तो किसी और पुस्तक की क्या आवश्कता है ? उन्होंने तक्षशिला, नालंदा जैसे विश्वविद्यालय को जला कर खाक कर दिया जब मेरे बनाये पूजा स्थलों में पूजा का स्थान है तो किसी और पूजा स्थलों की क्या जरुरत ? भारत के लाखो मंदिरों को नष्ट कर दिया, प्रचार किया की मेरा धर्म प्रेम -मुहब्बत का सन्देश देता है आज सम्पूर्ण विश्व को इस्लामिक आतंकबाद ने जकड सा लिया है भारत में सेकुलर वादियों की निति हिन्दू, मानवता बिरोधी हो गयी है इसका दुष्परिणाम अभी- अभी असम में बंगलादेशी घुसपैठियों का असम के मूल निवासियों पर हमला और उन्हें अपनी ही धरती पर अल्पसंख्यक बनाने का षड़यंत्र, इतना ही नहीं पूरे भारत में असम वासियों  के ऊपर इस्लामिक हमला उन्हें अपने ही देश में पलायन को मजबूर होना पड़ा है केवल गुजरात ही एक प्रान्त है जहा से कोई असमी पलायन नहीं किया किसी भी सेकुलर नेता ने इसकी आलोचना तक नहीं की यहाँ तक मिडिया ने भी उन्हें घुस-पैठिए न कहकर शरणार्थी कह रही है इन बंगलादेसियों ने कब शरण मांगी थी ? भारत सरकार ने कब उन्हें शरण दी ? इसका कौन उत्तर देगा ?

अवतारों का देश-!

हमारा देश परंपरागत अवतारों में विस्वास करने वाला देश रहा है जिस महापुरुषों ने हमारे देश व समाज की रक्षा की हमारे अन्दर की कुरीतियों को दूर करने में सहायता की हमने उसे भगवान यानी अवतारी पुरुष मान लिया, आज हमारी संस्कृति असुरक्षित है राक्षसी शक्तिया देश के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय हैं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा था कि जब जब धर्म की हानि होगी मैं आऊँगा यानी ईश्वर अपना अंश भेजेगा क्योंकि ईश्वर को अपनी संतति बचानी है, मानवता बचानी है मानवीय संवेदना बचानी है सृष्टि के प्रत्येक जीव जंतु, पशु पक्षी तथा पेड़ पौधों सभी को प्रकृतिके संतुलन हेतु रहना है कुछ अप्राकृतिक समूह जिन्हें आसमानी किताब पर विस्वास है वे प्रकृति विरोधी हैं समय आ गया है कि ईश्वर अपना अंश भेजेगा-।

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी!

विक्रम सम्बत के एक वर्ष पूर्व एक दुसरे संप्रदाय का जन्म हुआ उसने भी पुरानी परंपरा को नष्ट करने का ही प्रयास किया यूरोप की सारी उच्चतम कोटि की संस्कृति को समाप्त करने का श्रेय इन्ही को है, यूनान, मिश्र, रोमा, सब  मिट  गए जहाँ से----! इन्होने भी वही बात कही की मेरी ही पुस्तक में जो लिखा है वही सही है मेरा ही पूजा स्थल ही पवित्र है और मानवता पर इन्होने घिनौना अत्याचार किया, गोवा में तो एक हथ-कटवा खम्भा एक स्मारक के रूप में खड़ा है सेंट जेवियर ने हजारो महिलाओ का हाथ कटवाया जिन्होंने ईसाई धर्म को स्वीकार नहीं किया, आज पूरे भारत को चर्च के षड़यंत्र का शिकार होना पड़ा है ये इस हिन्दू मानवीय संस्कृति को समाप्त कर पोप का साम्राज्य स्थापित करने में जुटे हुए है, इनके अत्याचार की कहानी कौन भारतीय नहीं जनता, भारत कैसे बचेगा हिन्दू समाज को विचार करना ही होगा लेकिन हिन्दू समाज का विस्वास है की कोई अवतार होगा वही हमारी संस्कृति की रक्षा करेगा।

यह भूमि आर्यों की है।

ऋग्वेद ने तो ईश्वरीय घोषणा की है ''अहम् भूमिमददाम आर्याय'' (४/२६/२) अर्थात भगवान ने तो यह धरती आर्यों के लिए ही बनायीं है, इसीलिए तो वैदिक संस्कृति बार-बार यह उद्घोष करती है -----'' इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम '' अप्घ्नंतो रावणः .....( ऋ. ९/६३/५ ) अर्थात इन्द्र (देवत्व ) को बढाने के लिए राक्षसों का, दुष्टों का संहार करो तथा सारे विश्व को आर्य बनाओ, अब इस धरती की रक्षा कौन करेगा-? आज जिस प्रकार मखतब, मदरसे और चर्च बढ़ रहे है उनका षड़यंत्र बढ़ रहा है इन राक्षसों का संहार कौन करेगा-? हिन्दू समाज का जीना दूभर कर दिया है इन सबने, देवत्व शक्तिया अब भगवान की तरफ देख रही है ईश्वर अब यह काम लोकतंत्र के माध्यम से ही कराएगा आइये हम-सब उसके अंग बने।

वेदो में भी अवतार का वर्णन

 रा.स्व.सं के सरसंघचालक पूजनीय रज्जू भैया कहा करते थे की कलियुग में संघावतार होगा वे कहते थे की यदि भगवान ने अवतार लिया तो उसमे भी हमारी भूमिका होगी, जब-जब भगवान ने अवतार लिया उससे पहले अपने गणों यानी देवी-देवताओ को धरती पर वातावरण बनाने के लिए भेज दिया करता था, आज समय आ गया है कि हमारे पुराणों में कल्कि भगवान का वर्णन है, ऋग्वेद में जिस कल्कि अवतार का वर्णन है उसका लक्षण मिल रहा है भारत की मरुभूमि यानी गुजरात! आज लोकतंत्र के युग में भगवान भी उसी रास्ते से आयेगा, कुछ लोग इसे कपोल कल्पना कह सकते है लेकिन भगवान अपनी संस्कृति मानव धर्म को बचाने का कोई और रास्ता नहीं है हम सभी जानते है कि ईश्वर केवल और केवल भारत भूमि में ही अवतार लेता है आज जिस प्रकार का निराशा जनक वातावरण है, उसमे भगवान के अलावा कोई सहारा नहीं है, ये सारे गुण युक्त,  निष्कलंक, निर्विवाद एक ही नाम है वह है नरेन्द्र मोदी का जो हमारे कष्टों, संस्कृति और धर्म को बचा सकता है वह सक्षम भी है ईश्वर ने अपनी शक्ति उन्ही में समाहित किया है और इसी २०१४ के लोकसभा के चुनाव में बीजेपी के प्रधानमंत्री प्रत्यासी होकर इस देश का उद्धार करेगे पूज्य रज्जू भैया ने कहा था कि अवतारी पुरुष की सहायता के लिए संघ का कार्य है आज वह समय आ गया है और पुनर्धर्म संस्थापना हेतु हम तैयार हो जाय, यह चुनाव उसी प्रकार है जैसे जगन्नाथ जी का रथ अपने -आप चलता है, हम हिन्दू उस रथ में हाथ लगाकर श्रेय लेते है यह युद्ध उसी प्रकार का है जीत तो हिन्दू विचार की ही होगी हमें इसमें हाथ लगाकर श्रेय प्राप्त करना यानी पुण्य प्राप्त करना है।
सूबेदार  
पटना  

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