भाड़े के सैनिक
आज पूरे देश में यह बड़ी जोर-सोर से चर्चा है की नरेन्द्र मोदी यदि प्रधानमंत्री के प्रत्यासी होते है तो NDA बिखर जायेगा, क्या बीजेपी का मिशन गठबंधन से पूरा होगा-? -- नहीं बीजेपी का मिशन सेकुलर नहीं है सत्ता में आना भी आवश्यक नहीं क्योंकि जब हम किसी विचार को लेकर चलते है तो संघर्ष करना ही पड़ता है यह वैचारिक मिशन है, जो भाड़े के सैनिक (गठबंधन) से पूरा नहीं हो सकता और ये गठबंधन भाड़े के सैनिको की भाति है, सिकंदर के पास भाड़े के ही सैनिक थे उनके बल-पर ही वह विश्व विजय करना चाहता था लेकिन भारतीय सीमा पर वे दम तोड़ दिए और वापस जाने को आतुर हो गए, सिकंदर का विश्व विजय का सपना धरा का धरा रह गया, लेकिन इस्लामिक सेनाओ में जेहादी विचार था इस नाते उसे सफलता मिली, इस नाते बीजेपी का मिशन केवल और केवल नरेन्द्र मोदी ही पूरा कर सकते है यदि मोदी को बीजेपी आगे करती है तो ३०० सीट प्राप्त करेगी, देश यह पहली बार होगा जब बहुसंख्यक समाज के वोट का ध्रुबीकरण होगा क्योंकि अब बहुसंख्यक समाज अब जागृत हुआ है, यह भारत के लिए अप्रत्यासित घटना होगी आज वे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय स्वाभाविक नेता हैं जो भारतीय जातिबादी वोट ब्यवस्था को तोड़ने में सक्षम हैं भारत की छोटी-मोटी सेकुलर पार्टियाँ समाप्त होगीं इस नाते नितीश जैसे लोग भयाक्रांत हैं, बीजेपी को किसी गठबंधन की आवस्यकता ही नहीं है जब बीजेपी की सीट बढ़ेगी तो गठबंधन अपने-आप हो जायेगा यदि बीजेपी कमजोर होगी तो बना -बनाया गठबंधन टूट जायेगा, आज भारत को प्रिथ्बिराज चौहान जैसे प्रजा वत्सल देश भक्त शासक की आवस्यकता है न की भीरु डरपोक नेतृत्व के लोकतंत्र की, ये गठबंधन की सरकारे भाड़े के सैनिको के अतिरिक्त कुछ नहीं।
बस एक ही विकल्प
बीजेपी की स्थापना जिन उद्देश्यों को लेकर हुई थी उसे पूरा करने का समय आ गया है वह भाड़े के सैनिको से पूरा नहीं हो सकता इस समय स्वाभाविक रूप से नरेन्द्र मोदी देश के सर्बमान्य नेता बन चुके है वे संघ बीजेपी के ही नहीं भारत के सबसे बड़े नेता के रूप में अपने को प्रदर्शित किया है वे देश के स्वाभाविक पसंद हैं लेकिन जब पूरा देश नरेन्द्र मोदी को बधाई दे रहा है तो बीजेपी के एक सहयोगी दल को यह जीत पच नहीं रही है, बधाई देना तो दूर उन्होंने आलोचना शुरू कर दी है आखिर यह कैसा गठबंधन है जो एक तरफ़ा है यह सभी जानते है की नितीश के पास बहुमत है।. वे अकेले सरकार चला सकते है वास्तव में समय आ गया है की अब नितीश कुमार अकेले सरकार चलाये और बीजेपी बिपक्ष में बैठे क्यों की नितीश का विकल्प केवल बीजेपी ही है फिर अगले बिधान सभा के चुनाव में जद(U ) को केवल ७ सीट मिलेगी वे दहाई नहीं पार करेगे फिर इनका भूत उतर जायेगा, नितीश को लगता है की मुसलमान उन्हें वोट देगा उन्हें नहीं पता की ये तो गद्दार कौम है ।जिसकी सरकार बनेगी उसके साथ ही रहेगी गठबंधन टूटने के पश्चात् मुसलमान तो लालू के साथ हो जायेगा, इसलिए यह आवश्यक है की बीजेपी बिहार में स्वतंत्र रूप से लड़े हमारी आदत सी हो गयी है विरोधियो को मुख्यमंत्री बनाना और फिर वे हमारे वोट लेकर चले जाते है up में तो यही हुआ है, खैर जो भी हो इस समय बीजेपी का स्वाभाविक गठबंधन केवल शिव सेना और अकाली दल से ही रह सकता है यदि नेता तय करके बीजेपी अकेले चुनाव लडती है तो उसे ३०० सीटें मिलेगी केवल आत्मविश्वास की आवश्यकता है।
इसलिए बीजेपी को विचार कर अपने विचारधारा के बलपर चुनाव लड़ना चाहिए भाड़े के सैनिको से काम नहीं चलेगा।
सूबेदार सिंह
पटना
सूबेदार सिंह
पटना
3 टिप्पणियाँ
काश आपकी बात वे सुन ले
जवाब देंहटाएंसत्ता मोह ही सत्ता से विमुख कर रहा है।
जवाब देंहटाएंbahut satik tippadi------.
जवाब देंहटाएंdhanyabad.