एनएसजी और भारत के सेकुलर राजनेता --!


 आज भारत जीत गया है

 हालाँकि भारत के NSG में सदस्यता मिलने पर अभी सस्पेंस बना हुआ था लेकिन यह मुद्दा नई दुनिया के, बदले हुए नए शक्ति श्रोतो का दस्तावेज अवश्य बन गया है। यहाँ कूटनीति और राष्ट्रीय हितों की नई परिभाषाएँ गढ़ी गई हैं, जिसमें आर्थिक विकास की चाहत, सामरिक लाभ के दहलीज़ को छू रही है, भारत की आक्रमकता के कारण, अमेरिका और चीन के बीच हो रहे मनोवैज्ञानिक शक्ति प्रदर्शन ने NSG को एक ऐसा वैश्विक खेल बना दिया है जिसके परिणाम घोषित हो चुके है, यह वह खेल है जिसमें "भारत की जीत और चीन की हार है।"
           भारत का NSG का सदस्य बनने या न बनने से इस पर कोई फर्क नही पड़ने वाला है, हाँ, न बनने से कुछ वर्षो की दिक्कत और है, लेकिन यह दिक्कत अभी तक हमारे साथ ही थी और भारत उसके बाद भी यहाँ तक पहुँच गया है, इसलिए मायूस मत होइयेगा।अपनी मायूसियत तोड़नी है.... तो अपने दिल पर हाथ रखिये और- "भारत की शपथ लीजिए"... कि-"सस्ते के लालच में 1 रुपए की भी चीज़ चीन की नहीं खरीदेंगे।".. यह समझ लीजिए आज का जमाना धंदे का है और चीन जानता है कि भारत में.. एक बड़ी "निर्लज्ज नस्ल" बसती है, जो चीन में निर्मित लक्ष्मी-गणेश पूजते हैं, और चीनी झालरों की रौशनी में दीवाली मना कर "हिन्दू होने पर गर्व" करते हैं. चीन का धन्धा भारत में बंद कर दीजिये, चीन कसमसा कर घुटनों के बल आ जाएगा...!
यदि आप इस खुशफहमी में हैं कि सरकार ही यह काम आपके लिए करेगी तो यह खुशफहमी मत पालिएगा...

क्यूंकि-

1992 में राव-मनमोहन की जुगलबंदी के द्वारा हुई WTO और अन्य (GATE) संधियों के कारण मोदी-सरकार चाहकर भी चीनी-माल को रोक नहीं सकती है, और-यदि कोई रोक सकता है तो वह है...
 सिर्फ "चीनी सामान की भारत में दम तोड़ती माँग।" अब इसके बाद भी आप सरकार पर आस लगाए हैं या अपनी बचत देख रहे हैं.. तो मान लीजिए.आप खुद एक स्वार्थी और कमज़र्फ इंसान हैं, जो "राष्ट्रप्रेम" के नाम पर 100  रुपए में बिके हुए भीड़ हैं.--! भारत जीत गया है... अपने देश को और मजबूत कीजिये...
क्यूँकि- यह जीत अगले 10 सालों में एक बड़ा टकराव लाने वाली है, जिसके लिए आज से ही आपको मानसिक और आत्मिक रूप से मज़बूत होना होगा।

 परीक्षा की घड़ी कौन देश के साथ--!

हम लोगों ने जयचंद और मानसिंह को नहीं देखा लेकिन चीन ने पाकिस्तानी रूपी जो छुरा भारत के हितों पर चलाया है उससे भारत के सेकुलर नेता चाहे कांग्रेस हो अथवा आप पार्टी हो या अन्य सेकुलर दल सभी को जैसे कोई विजय मिल गयी हो वे भारत की पराजय को मोदी जी की पराजय के रूप मे देख रहे हैं वे आज भी यह समझने को तैयार नहीं हैं की यह सब नेहरू जी पापों का परोणाम है टीवी चैनलों पर जिस प्रकार कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा और केजरीवाल खुशियाँ मना रहे हैं। ये सेकुलर राजनेता यदि इन्हे देशद्रोही कहा जाय तो उनके अनुकूल बैठता है लालू, नितीश से लेकर सभी वामपंथियों को जैसे कोई मुंह माँगी मुराद मिल गयी हो आखिर मतलब क्या निकलना चाहिए ! उससे यह जाहीर होता है की भारत को किसी विदेशी शत्रु की अवस्यकता नहीं वो तो यहीं मौजूद हैं, भारत की कोई पराजय नहीं है भारत को केवल चीन छोडकर सभी देशों ने समर्थन किया है विश्व मे पहली बार भारत ने अपनी पहचान बनाई है बस केवल हमे चीन के सामानों का बहिसकार करने की अवस्यकता है चीन कोई सम्पन्न देश नहीं वो तो भूखा मारा देश है यदि भारत से चावल नहीं जय तो भूखों मर जाएगा केवल हमे जागरूक होने की जरूरत है।

भारत की सफल कूटनीति चीन अलग-थलग--!

केजरीवाल जैसे चिट्वाजों से सावधान रहना है, भारत को भले ही यह सफलता नहीं मिली लेकिन भारतीय जनता को जरूर सेकुलर नेताओं को समझने का मौका मिला की वे कितना देश भक्त हैं और नेहरू से लेकर वह परिवार कितना भारत हितैसी है सभी सेकुलर इसको भारत की पराजय मोदी की पराजय के रूप मे देख रहे हैं, लेकिन हमारे देश मे एक राज़ा पृथबिराज चौहान भी था जो शब्द वेधी वाण चलाता था और अंतिम समय उसने मुहम्मद गोरी का उसी से बध किया। चीन के द्वारा भारत की कुटिनीतिक पराजय नहीं चीन भारत से घावड़ाया हुआ है भारत ने हर मोर्चे पर अपनी सफलता जाहीर की है अब भारत का नेतृत्व बौना नहीं है कुछ कर गुजरने की क्षमता रखता है अमेरिका, इंग्लैंड, रुश और चीन सहित देश हमारा लोहा मान रहे हैं एनएसजी मे समर्थन न करना चीन की कमजोरी ही दर्शाता है, खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे जैसे हालत चीन की हो गयी है भारत की कुटिनीति ने उसे विश्व समुदाय से अलग-थलग कर दिया है, भारत विश्व की अजेय शक्ति होगा यह भारतीय जनता का विश्वास है कि हम विश्व विजेता होंगे--!  

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