प्रश्न अनेक -उत्तर एक --योगी आदित्यनाथ ------!

       

संघर्ष विचार धारा की-!

जब-जब बीजेपी किसी प्रदेश अथवा केंद्र मे सत्ताशीन होती यह प्रश्न कौधने लगता की जब चुनाव होता है तो बीजेपी हिन्दुत्व, कश्मीर की धारा 370, समान नागरिक संहिता अथवा श्रीराम मन्दिर का मुद्दा उठाती रही है यही नहीं तो बंगलादेशी घुषपैठ को मुद्दा बनाती रहती है। सत्ता मे आते ही यह सारे के सारे मुद्दे गायब हो जाते हैं केवल और केवल सत्ता, लगता था कि ये वह बीजेपी नहीं जिसको हिन्दू बिचार धारा के लोगों ने वोट दिया है। बीजेपी सर्वाधिक सेकुलर बनने का प्रयत्न करती, केंद्र मे चाहे अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार रही हो अथवा राज्यों मे कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, हिमांचल, उत्तराखंड अथवा अन्य कोई राज्य, अपवाद केवल उत्तर प्रदेश की  सरकार जिसके मुखिया कल्याण सिंह थे। जिन्होने कुर्सी की परवाह न करते हुए विचारधारा की चिंता की जिसके लिए जनादेश मिला था। वह कार्य किया यानी श्रीराम जन्म भूमि का ढ़ाचा को गिरने तक स्थीफा नहीं दिया और सारा का सारा आरोप अपने ऊपर ले लिया।

हिन्दुत्व की विजय---!

2014 का लोक सभा का चुनाव बहुत सारे लोगो को विस्वास नहीं था कि बीजेपी सत्ता मे आएगी, यदि सत्ता मे आएगी उसे जोड़-तोड़ करना होगा यदि बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं आया तो नरेंद्र मोदी कट्टर हिन्दू कि छवि होने के कारण प्रधानमंत्री नहीं बनेगे। ऐसा केवल सेकुलर-वादियों को ही नहीं लग रहा था बल्कि बीजेपी के कुछ लोगो को भी ऐसा लग रहा था। लेकिन देश तो मोदी को ही चाहता था सेकुलरिष्टों से देश ऊब चुका था चाहे भारतीय मान विन्दुओं की रक्षा का सवाल हो या फिर देश की सुरक्षा सवाल हो अथवा सेना के मनोबल का प्रश्न सभी विंदुओं पर यूपीए सरकार फेल थी। तथाकथित सेकुलर नेता वामपंथी सभी हिन्दुत्व बिरोध मे लगे थे, मामला यहाँ तक था कि देश ऐसा महसूस कर रहा था कि दस वर्ष यूपीए सरकार मनमोहन नहीं तो चर्च अर्थात वेटिकन सिटि का हो। कोई भी छोटी सी घटना हो वह तुरंत अमेरिकन, ब्रिटिश अथवा बेटिकन सिटि के मीडिया मे आना भारतीय समाज- यानी हिन्दू समाज को अपराध के घेरे मे खड़ा करना इतना ही नहीं बल्कि हिंदुओं को आतंकवादी घोषित करने का बिफल प्रयास, सतत करना लगता था कि क्या भारत बचेगा भी --?

विचार धारा से कोई समझौता नहीं--!

2017 मे पाँच प्रदेशों का चुनाव सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी थी सभी गणित लगा रहे थे कि बीजेपी दलितों व पिछड़ों के बल लोकसभा 73 सीट जीती है। विधान सभा के चुनाव मे मायावती, सपा व कांग्रेस ने कुछ एनजीओ के रणनीति कारो को भी लगाया था, उन्हे लग रहा था कि जाती-बिरादरी मे हिन्दू समाज को बांटकर प्रदेश को कमजोर ले जाएगे । लेकिन बिपक्षी प्रदेश के मौसम को समझ नहीं सके नरेंद्र मोदी के करनी कथनी मे कोई अंतर नहीं उन्होने भारतीय स्वाभिमान को कहीं झुकने नहीं दिया विश्व मे भारत की धरोहर "पवित्र गीता" भेट किया। योग को राष्ट्रसंघ मे मान्यता दिलाई प्रधानमंत्री अपने ब्यवहारों से अपने को हिन्दू सिद्ध किया। उन्हे अपनी हिन्दू संस्कृति को ब्यवहारों मे अपनाने मे कोई संकोच नहीं हुआ। कभी भी विश्व मे हिंदुओं के मनोबल को गिरने नहीं दिया इस्लामिक राष्ट्र मे भी मंदिर बनाने का सफल प्रयास किया । चाहे तीन तलाक का विषय हो या समान नागरिक संहिता अथवा 370 सभी मुद्दे पर स्पष्ट रहे, उन्होने जहां दीनदयाल उपाध्याय के 'एकात्म मानववाद' को आर्थिक जगत मे स्वीकार किया वहीं डॉ अंबेडकर के 'समरसता और हिन्दुत्व को अपनाया। सबसे बड़ा स्ट्रोक उन्होने तब लगाया जब गोरक्षा पीठाधीस्वर योगी आदित्य नाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित किया।

 कौन हैं योगी आदित्यनाथ---?

यह सबके मन मे कौध रहा है वे गोरक्षा पीठ के महंत है अपने संप्रदाय के जगतगुरु भी हैं। जब उन्होने सन्यास लिया पूज्य महंत अवैद्यनाथ ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, पहले ही पत्रकार वार्ता मे योगी जी ने कहा की मैं यदि संत नहीं हुआ होता तो संघ का प्रचारक हुआ होता। आखिर ये गोरक्षा पीठ है क्या ? वास्तविकता यह है कि महंत दिग्विजय नाथ स्वतन्त्रता सेनानी थे, हिन्दू महासभा के अध्यक्ष थे। यह पीठ राजा भृतिहरी द्वारा स्थापित है मुख्य ध्येय समरसता, सेवा और संस्कार है । इस पीठ के करनी कथनी मे कोई अंतर नहीं है किसी भी जाती व संप्रदाय मे कोई भेद-भाव नहीं है । योगी जी आज भी छुवा-छुत मिटाने के लिए दलितों और अति पिछड़ी जतियों के साथ समूहिक सहभोज करते रहते हैं। मठ के स्कूलो, कालेजों और चिकित्सालयों मे इसी वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है। प्रसिद्ध स्तम्भ लेखक प्रदीप सिंह ने जागरण मे लिखा है कि बिहार मे एक दिमागी बुखार फैला हुआ था बड़ी संख्या मे मरीज गोरखपुर इलाज के लिए जाते थे योगी जी उसी बीमारी के इलाज हेतु पटना तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी से मिलने के लिए लेकिन योगी का हिन्दुत्व चेहरा है मोदी जी उनसे नहीं मिले। लेकिन समय बदला दरभंगा कि रैली मे योगी के मंच पर सुशील मोदी भी चिपक कर बैठे थे यह कोई योगी की ही बात नहीं है लंबे समय तक नरेंद्र मोदी और योगी दोनों के लिए बिहार प्रतिबंधित था ।

 मोदी का मास्टर स्ट्रोक -----!

मोदी जी ने केवल भाषण ही नहीं दिया उन्होने दिखाया कोई संकोच नहीं किया अपनी विचार धारा से कोई सम्झौता नहीं किया उन्होने योगी जी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भारतीय राजनीति के नए अध्याय की शुरुवात की है। बीजेपी ने अपने विचार धारा से कोई सम्झौता न करने का फैसला किया है। योगी जी का कार्यकाल कई प्रचलित धारणाओं को तोड़ेगा एक ओर जहां समरसता आएगी वही सांप्रदायिक ताक़तें कमजोर होगी । अभी तक योगी जी ने अपने काम से उत्तर प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण भारतियों का दिल जीता है किसान कर्जा माफी, रोमिंग स्कॉट और भूचड़ खानों को बंदी यह उनके इरादे को स्पष्ट करते हैं । योगी बिरोधियों ने यदि उनसे लड़ने के लिए हिन्दुत्व को हथियार बनाया तो उन्हे मुहकी खानी पड़ेगी। उनके बिरोधियों को याद रखना होगा कि योगी की कोई ब्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है जिसके कारण उन्हे कोई सम्झौता कारना पड़ेगा। योगी जी बीजेपी विचार धारा के चेहरा के साथ- साथ वे हिन्दुत्व के सभी प्रश्नो के उत्तर भी हैं । अब जहां योगी जी कट्टर चेहरा वहीं मोदी जी पार्टी के नरम चेहरा बन गए हैं ।                    

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6 टिप्पणियाँ

  1. आशा के रूप मे मोदीजी, विश्वाश के रूप में योगीजी
    हम हिन्दू अपने स्वार्थ अहंकार अज्ञान क़ो त्याग कर सनातन संस्कृति के मूल क़ो जानने और जीने का प्रयास करे।
    अनिल तिवारी
    प्रयागराज

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  2. इस्लामिक आतंकवाद घरो तक आ गया है, समस्या बड़ी है, जो जहा है वहां स्वाभिमान से रहे, लालच प्रलोभन मे कोई भी कार्य न करे।
    जय श्री राम
    अनिल तिवारी
    प्रयागराज

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  3. भविष्य के भारतवर्ष का हिंदुत्व का सबसे बड़ा ध्वजवाहक , सौर्यवान, साहसी व्यक्तित्व होंगे तो वह परम पूज्य महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी ही होंगे
    भारत माता की जय
    कृण्वंतो विश्वमार्यम्

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  4. मोदी जी ने अपने कर्मयोगिता को लालचौक कश्मीर में तिरंगा फहराया, और योगी जी ने भगवान श्री राम को जन मन में समर्पित किया दोनों ही परम पूज्य श्री हैं जो भारत की आत्मा से कार्य कर रहे हैं इन्हीं के नेतृत्व में भारत हिन्दू राष्ट्र होगा

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  5. उपरोक्त टिपण्णी डा सतीश की मन की बात

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