इस्लाम का आतंक
हम सभी जानते है की अयोध्या केवल मंदिर क़ा आन्दोलन ही नहीं राष्ट्र क़ा जागरण भी था और है ६५ वर्ष पुराना दीर्घ प्रतीक्षित निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा आने वाला था पहले १७ सि.,२४सि., फिर २८सि. और बाद में तय हुआ की ३० सितम्बर को फैसला आने वाला है केंद्र की सेकुलर सरकार और मिडिया ने जैसे कोई साइक्लोन आने वाला हो ऐसा बातावरण बनाना शुरू किया तमाम राजनेता शांति की अपील करने लगे यदि आतंक न भी हो तो जानता तो जरुर आतंकित हो गयी बहुत सारे लोग अपने घरो में बंद हो गए २८ सितम्बर को शुक्रवार था नमाज क़ा दिन था इस नाते सरकार क़ा चिंतित होना स्वाभाविक ही था क्यों की जब मुसलमान इकट्ठा होता है सामूहिक तौर पर वह आक्रोशित हो ऐसा उसका स्वभाव ही है ,लेकिन ३०सितम्बर को तो कोई ऐसी बात नहीं थी सेकुलर राजनेता,सेकुलर सरकार और मिडिया क़ा तो रोल जानता को भयभीत करने वाला ही था पूरे देश क़ा वताबरण लगभग दोपहर १बजे से शायम तक कर्फू जैसा हो गया था क्या होगा क्या नहीं होगा असमंजस की स्थिति पैदा कर दी मिडिया इतना अधिक शांति की अपील की वह अशांति जैसा लगने लगा।नाच उठा भारत
मै अपने कुछ मित्रो क़े साथ माता वैष्णवों देवी क़े दर्शन हेतु जम्मू गए थे देखा बड़ी आसानी से आरक्षण मिल गया कटरा में कोई भीड़- भाड़ नहीं ३० सितम्बर दर्शन क़े पश्चात् हम सभी जम्मू आ गए एक होटल में दूरदर्शन देखने लगे रघुनाथ मंदिर जहा हमेशा भीड़ रहती वहा भी कर्फू जैसा माहौल था पूरा शहर सुन-शान लग रहा था वास्तव में यह सब मिडिया क़ा ही कमाल था १९८९से ही उच्चतम न्यायालय श्री राम जन्म भूमि को बिबादित ढाचा कहता आ रहा है लेकिन लगभग सभी टी.वी. चैनलों की एक ही भिमिका थी सभी बिबादित ढाचा न कहकर बाबरी मस्जिद ही कह रहे थे चिर-प्रतीक्षित निर्णय आया राम जन्म भूमि क़े आन्दोलन की सार्थकता सवित हुई उच्च न्यायालय क़े तीनो जजों ने सामूहिक फैसला दिया की यह स्थान श्रीराम जन्मभूमि है यहाँ मंदिर था उसे तोड़कर ही मस्जिद क़ा निर्माड हुआ था इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा की किसी पूजा क़े स्थान पर जबरदस्ती मस्जिद बनाना कुरान क़े बिरुद्ध है इस नाते भी वहा नमाज अदा नहीं हो सकती वह कभी भी मस्जिद नहीं थी.पूरा देश ख़ुशी से झूम उठा- घर-घर दीपावली मनाई जाने लगी लेकिन हिन्दुओ ने पूरा सैयम वर्ता किसी प्रकार क़ा कोई जुलुश नहीं निकाला बहुत ही सैयमित प्रतिक्रिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क़े सरसंघचालक ने दी जिसकी प्रशंसा जितनी की जाय उतनी ही कम है आडवानी जी क़ा भी बयान की रथयात्रा पर हाईकोर्ट ने मुहर लगायी पूरा भारत शन्ति रहकर श्री राम जन्म भूमि क़े समर्थन किया लेकिन उस शांति सरोवर में पत्थर फेकने क़ा कार्य भारत बिरोधी मिडिया और सेकुलर नेताओ ने किया लेकिन जानता ने उसे नकार दिया ,मुसलमानों क़े तरफ से भी सैयमित शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया आयी जो सेकुलरिस्टो व बामपंथियो को अपच हो गया ।
9 टिप्पणियाँ
satya to satya hai desh azadi ke bad yahi ho raha hai sekular neta aur bampanthi wa midiya ki bhumika bharat ke paksha me nahi ,bilkul satya kaha hai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लेख है, पूरा निचोड रख दिए है आप इस लेख में| बहुत - बहुत बधाई !!!!
जवाब देंहटाएंराम विलास पासवान के माँ – बाप ने शायद गलती से इनका नाम “राम विलास पासवान” रख दिया है | इस बेचारे का नाम तो “ अल्लाह विलास पासवान रखाना चाहिए था | इनके माँ बाप को क्या पता था कि मेरा बेटा भड्वा नेता बन कर “राम” के नाम को गाली देगा ओ भी सिर्फ वोटो के लिए | इसी ने कभी कहा था कि बंगला देश से आये सभी बंगला देशियो को भारत कि नागरिकता दे दिया जाना चाहिए ( क्यों कि ये सब इनके ससुराल के है सब) |
मुलायम सिंह यादव कि तो बात ही निराली है, पता नहीं क्यों ऐसे गद्दारों को लोग इलेक्शन में वोट देते है, जिसे न्यायालय के फैसलों से कुछ लेना ही नहीं होता है | इसे तो सिर्फ मुसलमानों को खुश करने का एक मौका चाहिए, भले ही मुसलमान इसकी बातो पर गलिया दे मगर बात करेगा मुसलमानों वाली ही | श्रीमान जी जो ठहरे सेक्युलरवादी| बात तो करते है लोहिया कि मगर लोहिया जी के पैर के धुल के बराबर भी समझ नहीं है कि देश के लिए का अच्छा कर कर सकते है
अजय जी अपने बहुत सही प्रतिक्रिया दी है सभी समाज बादियो ने जाति बादी स्वरुप ले लिया है राम बिलाश को हजरत बल मस्जिद में जाना अच्छा लगा ,राम मंदिर नहीं इसके बाप को राष्ट्राबाद समझ आता था इसलिए ही ये नाम दिया.
जवाब देंहटाएंbahut-bahut dhanyabad
बहुत अच्छा लेख.
जवाब देंहटाएंमेरी राय तो ये है कि इनदोनो को मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए. इस से ये और ज्यादा सेकुलर दिखेंगे तथा इनका वोट बैंक भी बढ़ेगा.
अच्छे लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई...
उम्दा प्रस्तुतीकरण्…आपका आलेख पढ़कर अच्छा लगा… पूनम
जवाब देंहटाएंकुछ लोग तो विघ्न संतोषी होते ही हैं...
जवाब देंहटाएंइनका बस चले तो यह पाकिस्तान की नागरिकता भी ले लें...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....
सुनहरी यादें ....
मन-मेल के लिए पहले मन का मैल निकलना जरूरी है। यहाँ पढ़ें
जवाब देंहटाएंलेखन के लिये “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंजीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव जीते हैं, लेकिन इस समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये मानव जीवन ही अभिशाप बन जाता है। अपना घर जेल से भी बुरी जगह बन जाता है। जिसके चलते अनेक लोग मजबूर होकर अपराधी भी बन जाते है। मैंने ऐसे लोगों को अपराधी बनते देखा है। मैंने अपराधी नहीं बनने का मार्ग चुना। मेरा निर्णय कितना सही या गलत था, ये तो पाठकों को तय करना है, लेकिन जो कुछ मैं पिछले तीन दशक से आज तक झेलता रहा हूँ, सह रहा हूँ और सहते रहने को विवश हूँ। उसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह आप अर्थात समाज को तय करना है!
मैं यह जरूर जनता हूँ कि जब तक मुझ जैसे परिस्थितियों में फंसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, समाज के हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यह भी एक बडा कारण है।
भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस प्रकार के षडयन्त्र का कभी भी शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल कुछ मिनट का समय हो तो कृपया मुझ "उम्र-कैदी" का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आपके अनुभवों/विचारों से मुझे कोई दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये! लेकिन मुझे दया या रहम या दिखावटी सहानुभूति की जरूरत नहीं है।
थोड़े से ज्ञान के आधार पर, यह ब्लॉग मैं खुद लिख रहा हूँ, इसे और अच्छा बनाने के लिए तथा अधिकतम पाठकों तक पहुँचाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने वालों का आभारी रहूँगा।
http://umraquaidi.blogspot.com/
उक्त ब्लॉग पर आपकी एक सार्थक व मार्गदर्शक टिप्पणी की उम्मीद के साथ-आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”