'एकै साधे सब सधै ---- ' जैसी कहावत है हमें उस पर बिचार करने की जरुरत है। १९८० --८७ क़ा समय था अखबारों में बराबर निकलता अलीगढ, मुरादाबाद, मेरठ, रामपुर, भागलपुर, हैदराबाद, अहमदाबाद, इतने मरे इतने घायल स्थिति तनाव पूर्ण किन्तु शांति ---! इसी से अखबार पटा रहता था ये मै बचपन से पढ़ रहा हूँ। जिस नगर में देखो वही दंगे सेकुलर सरकारे, सेकुलर मिडिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क़े ऊपर आरोप लगा अपना काम तमाम करती मुसलमानों से वोट की खेती आराम से होती। मुसलमान है कैसा ---? सेकुलरिस्ट तो उसको मुर्ख समझते है, बहकावे में आता है अगर उसे भारत की परंपरा यहाँ क़े रीती- रिवाज यहाँ की पूजा पद्धति अच्छी नहीं लगती तो उसे पहले ही पाकिस्तान चले जाना चाहिए था ! यदि नहीं गया तो यहाँ लड़कर भारतीय संस्कृति को ख़त्म तो नहीं कर सकता आखिर ये मुसलमान कौन है -? ये तो उन्ही हिन्दुओं की संताने है जिनको जोर -जबरदस्ती या इनकी बहन बेटियों को तुर्क जो विदेशी आक्रान्ता थे बलात्कार किया ये डरकर मुसलमान हो गए--! हिन्दुओ क़े अन्दर तो महाराणा प्रताप, शिवाजी महराज, वीर बन्दा बैरागी, गुरु गोविन्द सिंह, क़ा रक्त प्रवाहित हो रहा है। हम सभी को पता है की अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र तो केवल मात्र दिल्ली क़ा शासक रह गया था। हिन्दुओ ने सम्पूर्ण भारत पर पुनः वापसी कर ली थी। दंगा तो भारत में हमेसा से होता रहा अहमदाबाद में तो दीवारों को पुताया ही नहीं जाता था क्योंकि दंगे होगे ही आग लगेगी ही फिर दीवारे काली होगी ही यह सभी को पता रहता था। इतना ही नहीं एक बार मुहम्मद साहब क़ा बाल हज़रत बल मस्जिद (घाटी कश्मीर ) से गायब हो गया दंगा हैदराबाद जैसे स्थानों पर शुरू हो गया बाद में बाल मिल भी गया जाच हुई पता चला कि यही वह बाल है।
और रज्जू भैया ने आरिफ खान को
हिन्दू समाज इन सब को झेलता रहा, एक बार आरिफ मुहम्मद खान जो प्रगतिशील मुसलमान माने जाते है माननीय रज्जू भैया से मिलने आये उनसे कहा कि हिन्दू मुसलमान बड़ा-छोटा भाई है। रज्जू भैया ने सहज ही उत्तर दिया यदि छोटा भाई गलती करता है तो बड़े भाई को दो चाटा लगाने क़ा अधिकार तो होता है---! भारतीय राष्ट्र करवट लेने लगा, देश आज़ादी क़े समय लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव क़े माध्यम से हिन्दू समाज जागरण किया था। उसी तर्ज पर भगवान श्री राम जन्मभूमि ७४वी मुक्ति आन्दोलन शुरू हुआ। यह १९८५ में श्रीराम जानकी रथयात्रा क़े रूप में हुआ सीतामढ़ी से अयोध्या फिर लखनऊ में विशाल धर्म सभा क़े रूप में परणित हुआ। धीरे -धीरे जनजागरण प्रदेश ही नहीं देश ब्यापी हो गया। उत्तर प्रदेश क़े तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने कहा कि परिंदा पर नहीं मार सकता इस बयान ने आग में घी क़ा काम किया १९८९ नवम्बर-दिसंबर क़ा समय सौभाग्य से मै उस समय प्रयाग में जिला प्रचारक था ऐसा आन्दोलन न भूतो न भविष्यति! पूरा देश अयोध्या की तरफ बढ़ता हुआ सेकुलरिस्ट चाहे जो कहे पूरे देश में दंगे बंद हो गए कही कोई दंगा नहीं। जब राष्ट्रबादी जागते है तो अराजकता अपने-आप बंद हो जाती है जो आ रहे थे वे क्या बोल रहे थे यह नहीं पता जैसे गगरी में कंकड़ डालकर हिलाने पर आवाज़ होती उसी प्रकार आवाज़ आती -- लेकिन सभी क़ा एक ही लक्ष्य था अयोध्या, सरकार ने सभी रास्ते बंद कर दिए लोग खेत खलिहान होते हुए चले गाव क़े लोगो ने रास्ता बनाया महिलाओ ने पैदल चलकर आने वाले कारसेवको की सेवा हेतु गरम पानी से उनके पैर धोते--- कि ये राम भक्त है अद्भुत दृश्य था ।परिंदा पर नहीं मार सकता----!
पूरे प्रदेश को जेल में परिणित कर दिया गया था लगभग २० लाख हिन्दू जेल यात्री हुये लाखो कारसेवक अयोध्या पंहुच ढाचे पर चोट किया, परिंदा ने पर मारा, आन्दोलन तीव्र होता गया हिन्दू समाज क़ा विस्वास बढ़ता गया वह दिन भी आया जब मा.आडवानी जी ने रथ यात्रा शुरू की हिन्दू उद्देलित हो गया रथयात्रा बिहार पहुची थी कि लालू यादव ने श्री आडवानी जी को गिरफ्तार कर किया उसने पूरे देश को और आंदोलित कर दिया, हम सभी जानते है कि जो गुलामी क़ा ढाचा था वह भारतीय जानता ने केवल गिराया ही नहीं तो उसके मलवे सहित सब ईट उठा ले गए और उसी स्थान पर जहा भगवान बिराजमान थे वही श्रीराम क़ा मंदिर बनाया गया अब भब्य मंदिर क़ा निर्माण होना बाकी है मै कारसेवा क़े पहले जन्मभूमि गया था, केंद्रीय पुलिस बल क़ा पहरा था बड़ी ही चेकिंग थी उस स्थान पर एक जगह मैंने बालू क़ा एक ढेर देखा पूछा की ये बालू कहा से आया केंद्रीय फोर्ष क़े लोगो ने बताया की जब कारसेवक आयेगे तो मंदिर क़े लिए बालू तो चाहिए, आखिर हम पुलिस वाले भी तो हिन्दू है, पुलिस के लोग सरयू जी स्नान क़े जाते तो अपनी पैंट क़े दोनों जेब में बालू भर कर लाते ये वही बालू है, राम क़े प्रति श्रद्धा की पराकाष्ठा है पूर्ब प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी क़े अनुसार ये ढांचा गिराना राष्ट्र जागरण क़ा प्रगटीकरण था।
5 टिप्पणियाँ
chaliye intezaar karte hain aane wale nyaay ka .
जवाब देंहटाएंवास्तव में लगता है वर्त्तमान सरकार राम जन्म भूमि मुदा समाज में आतंक पैदा करना चाहती है
जवाब देंहटाएंaadarniya deerghatma ji,
जवाब देंहटाएंapke blog ko mai hamesha padhati hu...or agr ise ek vistrit rup diya jaye to ye ek sampoorn pustak ban sakati hai......
apani kavita ki ek pankti par aapki asahamati ka mai samman karti hu..aur mujhe is baat ki khushi hai ki meri kavita ap itne dhyaan se padhate hain..parantu is pankti ko likhate samay mai bhi bahut uhapoh ki sthiti se gujri thi..fir mujhe laga ki pahale ke samay me ladkiyo ko bojh hi mana jata tha aur unke paida hote hi ya to unhe mar dia jata tha ya to fir is duniya me unka astitv hone ke pehle hi unhe khatm kar dia jata tha..
bahut kuch apvado ko chod de to aj bhi kai jagaho par yahi mana jata hai ki vansh chalane ke liye ladka hona chahiye..na ki ladaki....isi vichar ko adhar man kar mene is pankti ko likha...asha hai ab ap mujhe apani sahamti denge....apke javab ke intazar me...
poonam
राम लल्ला हम आएंगे मन्दीर वहीं बनाएंगे। जय श्री राम ! भारतवासीयो का भला हो। मानव का कल्याण हो !
जवाब देंहटाएंपूनम जी
जवाब देंहटाएंनमस्ते
मैंने आपकी कविता पर टिप्पड़ी कीथी, वह कविता मुझे बहुत अच्छी लगी मेरा उद्देश्य आपका दिल दुखाना नहीं था मै क्षमा प्रार्थी होते हुए मै कहना चाहता हू की आपका विचार समाज में अपवाद स्वरुप है चुकी अपना समाज, पुरुष प्रधान समाज होने क़े कारण बंश परंपरा पुरुषो केद्वारा चलती है यह बात आपकी सही है की अपने यहाँ वीच क़े काल में ये होता था कुछ स्थानों पर आज भी यह हो रहा है यह निंदनीय है ये समाज क़ा कोढ़ है इसे समाप्त होना चाहिए ,मै अपने समाज क़े बारे में pastiv सोचता हू इस नाते ऐसी प्रतिक्रिया दी ,वैसे मै आपसे सहमत हू. अपने मेरे ब्लॉग पर लिखा बहुत अच्छा लगा.
धन्यवाद.