हिंदू इन्हें भी धार्मिक समझता था
जब तक भारत में मुसलमान या इस्लाम क़ा प्रवेश नही था तब -तक भारत क़ा कोई मंदिर नही गिराया गया अजमेर शरीफ क़ा सूफी संत जिसको कहते है वह मुहम्मद गोरी क़ा ख़ुफ़िया एजेंट था इसी कारण एक देश भक्त ने उसकी हत्या की थी जिसकी पूजा में अधिकांस हिन्दू नेता ही भाग लेते है पृथ्बीराज चौहान पतन के पश्चात् ही मंदिरों क़ा गिराना शुरू हुआ हिन्दुओ को तो यह पता ही नही था की इस्लाम इतना बर्बर और अमानवीय है -----! गुजरात पर महमूद गजनवी ने सोमनाथ को ढहाया इतिहास में दिखाया गया कि हिन्दू लड़े ही नही ऐसा नही था पहले तो यह सही है की वे लड़े नही लेकिन पश्चिम में वीर घोपा बाप्पा व गुजरात के राजपूतो ने मुकाबला किया और गजनवी वापस नही जा सका।
इस्लाम धर्म नहीं आक्रांताओं का गिरोह
११०० वर्ष पहले यह घटना होती है इस्लाम क़ा प्रचार तो प्यार, मुहब्बत व मानवता यही सब ढकोसला करनी कथनी में कोई साम्य नही कोई ४५० वर्ष पहले एक हमलावर आया जिसका नाम बाबर था मानवता को रौदता हुआ आक्रान्ता हमलावर एक हाथ में कुरान दूसरी हाथ में तलवार लेकर मानवता को तार-तार कर दिया, अयोध्या के जन्म भूमि पर बने भगवान श्रीराम के विशाल मंदिर हिन्दुओ के आस्था केंद्र को ध्वस्त कर दिया और वहाँ मस्जिद बना दिया वह चाहता तो मस्जिद कहीं और भी बना सकता था लेकिन उसने ऐसा नही किया उसे तो हिन्दुओ को अपमानित करना थ।
इस्लामीकरण के तरीके
अकबर जिसे महान कहा जाता है जो अपने को सूफी कहता था उसने 'दीने-इलाही' धर्म एक नए प्रकार का इस्लामीकरण, उसके मंत्रिमंडल (नवरत्न) में जो लोग सामिल थे चाहे बीरबल हो या राजा टोडरमल सभी को मुसलमान बनाना पड़ा, वह मीना बाज़ार लगवाता था जिसमे हिन्दू लडकियों की खरीद -फरोख्त करवाता था, उसने संत तुलसीदास व संत कुम्हन दास को दरबार में बुलाया और अपने धर्म से च्युत करने क़ा प्रयत्न किया हमारे संतो ने प्राण की बाजी लगा हिन्दू धर्म की रक्षा की, भरे दरबार में कुम्हन दास ने कहा---''संतन को सीकरी सो काम-- आगे उन्होंने भजन में--- जाको मुख देखत अघि लागत, ताको करन पड़ी परणाम'' उसी अकबर के रास्ते पर चलकर शाहजहाँ ने जिसको इतिहास अच्छा बादशाह मानता है हिन्दुओ के श्रद्धा केंद्र वटबृक्ष जो प्रयाग के किला में था उसे कटवाकर उस कुए में शीशा पिघलाकर डलवा दिया जिससे वह नष्ट हो जाय लेकिन वह वट बृक्ष आज भी सुरक्षित है, गुरु तेगबहादुर की हत्या इसी ने करायी तेगबहादुर के बलिदान से ही कश्मीरी पंडितो की रक्षा हो सकी।बर्बर मानसिकता
लगभग ३०० वर्ष पूर्व औरंगजेब जब शासन में आया तो उसने हिन्दुओ को तबाह करने को सोचकर हिन्दुओ के आस्था केंद्र भगवान विश्वनाथ के मंदिर काशी को ध्वस्त करदिया इतना ही नही भगवान कृष्ण क़ा मंदिर जो कृष्ण जन्मभूमि पर था उसे गिरवाकर दोनों स्थानों पर मस्जिद बनवा दिया, आखिर मस्जिद बनाने के तो अनेक स्थान हो सकते थे लेकिन उसे तो हिन्दुओ को ही अपमानित करना था प्रश्न यह नही की उस समय मंदिरों को गिराया गया आज भी मुस्लिम मानसिकता उसी प्रकार की है पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर इस वर्ष दुर्गा पूजा नही हो सकी बिहार के कई स्थानों पर महाबीरी झंडो को जो सैकड़ो वर्षो से परंपरा गत निकालता था उस पर हमला हुआ।
पूरा देश बर्बरता का शिकार
१९८८-२१९०-९१ में जम्मू कश्मीर में ३०० से जादे मंदिर तोड़ डाले गए भारत के बिभिन्न स्थानों पर मंदिरों पर हमला किया पिछले वर्षो में काशी के हनुमान मंदिर, जम्मू के रघुनाथ मंदिर, गुजरात के स्वामी नारायण क़ा मंदिर ऐसे तमाम मंदिरों जो हिन्दुओ के श्रद्धा के केंद्र है उनपर हमला करना ही इस्लाम क़ा कर्तब्य है ये उनका दोष नही बल्कि उनकी मानसिकता उसी प्रकार की है मखतब-मदरसों में जो शिक्षा दी जाती है वह इस प्रकार की है वहां मौलबी बच्चो को बताता है की यह धरती इस्लाम की है काफ़िर उस पर कब्ज़ा किये हुए है तुम्हारा पहला कर्तब्य है की तुम इस अल्लाह की धरती को काफिरों से मुक्त कराओ फिर क्या-! वह तालिवान बनकर काफिरों यानी हिन्दुओ क़ा प्रति नफरत और मंदिरों को नष्ट करने की मानसिकता के साथ जीता है इस नाते राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाना हिन्दुओ क़ा ही नही भारतीय संस्कृति क़ा सम्मान करना जैसा ही है, भारत के बहुत सारी समस्यायों क़ा समाधान, कश्मीर घाटी क़ा समाधान भी इसी रास्ते से होगा।यह सभी जानते है की तीनो जजों की पीठ ने संयुक्त रूप से यह स्वीकार किया है यह मंदिर तोड़कर उसके मलवे से उसी के ऊपर मस्जिद बनायीं गयी जाच के दौरान भी जो तथ्य मिले है उससे यह साबित हो गया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनायीं गयी थी श्री राम जन्म भूमि में बटवारा किसी भी हिन्दू को स्वीकार नही होगा, क्या यदि मस्जिद होती तो मंदिर को हिस्सा मिलता नही मिलता कुछ लोग गंगा-यमुनी संस्कृति की बात करते नही थकते, उन्हें शायद नही पता की जहां यमुनाजी का गंगाजी में संगम हो जाता है वहीं यमुना जी क़ा अस्तित्व अपने-आप समाप्त हो जाता है, अयोध्या में मस्जिद स्वीकार नही हिन्दुओ क़ा एक बहुत बड़ा वर्ग है जो यह मानता है की मक्का में भगवान क़ा शिवलिंग था और प्रसिद्ध इतिहासकार गुंजन अग्रवाल ने तो यह साबित कर दिया है मक्का में मक्केस्वर महादेव क़ा मंदिर था क्या मुसलमान वहा हमें मंदिर बनाने देगे ? सभी क़ा उत्तर होगा की नही तो अयोध्या में मस्जिद क्यों ?
13 टिप्पणियाँ
भाई साहब ! यही सच्चाई है लेकिन इस देश के दलाल इन सच्चायिओं को झूठ के मखमल से ढके हुए हैं ....लेकिन कब तक ...इतिहास सब कुछ बोलता है ......आपके इस शोधपरक लेख का अभिवादन !
जवाब देंहटाएंसूबेदार सिंह जी,
जवाब देंहटाएंइतिहास को कुरेद कर आपने रूह तक को हिला दिया!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
मन्दिर पर हमला करने वाली मानसिकता पैदा करने वाली सोच का नमोनिसान मिटाना वक्त की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंहिन्दुओं के अन्दर भी सही सोच का अभाव है. वे इतिहास पढ़ते नहीं, वर्तमान से कुछ सीखते नहीं और भविष्य की चिंता नहीं करते..
जवाब देंहटाएंसर्व श्री ज्ञानचंद जी, सुनील जी ,और भारतीय नागरिक जी प्रिय रत्नेश जी सभी की टिप्पड़ी समयानुकूल है मेरा बस चले तो भारत में इतिहास को अनिवार्य विषय बना दू , आज हिंदुत्व को समाज तक पहुचने कि आवस्यकता है.
जवाब देंहटाएंजययययययय श्रीरामममममममम
जवाब देंहटाएंरामलला हम आँएगे मन्दीर वही बनाएंगे......
मस्जीद भी बने और मन्दीर भी
.
सहस्तित्व ही भारतीयता है.
धार्मिक विविधता वरदान है.
धार्मिक कट्टरता अभिशाप है.
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको समुन्नति दे भगवान.
प्राणियो मे सद्भाव हो.
अधर्मका नाश हो.
हिमवंत जी नमस्ते
जवाब देंहटाएंबहुत ही विनम्रता पूर्वक मै आपसे कुछ कहना चाहता हू, एक तो हिन्दू कट्टर होता ही नही भारत के अन्दर हजारो मस्जिद बने इसका कोई बिरोध नही है ,लेकिन राम जन्मभूमि क़ा स्थान दशमलव तीन एकड़ है जिसमे एक भी कमरा बनाना संभव नही है वैसे भी जन्म भूमि क़ा बटवारा स्वीकार नही है ,जहा तक भारत कि सहिशुणता क़ा प्रश्न है वास्तव में जहा यमुना जी गंगा जी में संगम करती है वही यमुना जी क़ा अस्तित्व अपने-आप समाप्त हो जाता है इसलिए राम मंदिर के निर्माण में भारत कि बहुत सारी समस्यायों क़ा समाधान है . टिप्पड़ी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
आदरणीय दीर्घतमा जी
जवाब देंहटाएंसे सादर नमस्कार बंचना। आगे बात आपकी सोलह आने सही है। निवेदन सिर्फ ईतना है की देने वाले का हाथ सदा उपर रहता है। भारत की सनातन संस्कृति के उदारतापुर्ण मुल तत्वो का एहसास ईतर धर्मावलम्बियो को हो यह जरुरी है। लेकिन कोई लडना चाहे तो रामलला के जन्म स्थान के एक नोक भर जमीन के लिए मै अपने सैकडो जन्म न्योछ्यावर कर दुं तो भी हो वह कम होगा। विविधता प्रकृति का शास्वत नियम है। धार्मिक सर्वसत्तावाद लम्बे समय टीक नही सकती। विश्व को अध्यात्मिक ज्योति देने की क्षमता दक्षिण एसिया के अलावा और किसी भुखण्ड के पास नही है।
aapki koi bhiprastuti hamesha hi mera marg darshan karti hai tatha jin baato ke baare me apurn jaankaari hai mujhe usko vistaar deti hai.aapki desh bhakti ke jajbe ko hriday se vandan karti hun.
जवाब देंहटाएंaapne jo likha hai us baat se main bhi sahmat hun.waqt kab karvat lega jaati dharm me bhed mitega ,sab dil se ak honge .samy par nirbhar hai.
poonam
सच्चाई को बेबाकी से हमारे तक पहुचने का साहस किसी - किसी में होता है ...आपकी शोधपरक दृष्टि ने इसे और भी रोचक बना दिया .....बहुत - बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसच्चाई से रूबरू कराता एक बेहतरीन लेख। आपकी बात सच है। इस मदरसों में दी जा रही शिक्षा गलत है। इन्हें सही शिक्षा और मार्गदर्शन की ज़रुरत है।
जवाब देंहटाएंईतनी प्रशंसा की आवश्यकता तो नही है. @झरोखा,जील,केवल
जवाब देंहटाएंसच्चाई से रूबरू कराता है यह आलेख पर। जो खुद को भुल संसार में रमे हो उनका का क्या यही तो उनके विनाश का कारण बनता है सत्य की राह पर चलने वालो को दुखो का सामना करना पडता है ।
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