एक बोध कथा जो मैंने एक महापुरुष के दृष्टान्त से ली सम- सामयिक होने के कारन हम यहाँ लिख रहे है ---- एक बालक अपने अब्बा हजुर के साथ चिड़िया घर में घूमने के लिए गया था घूमते-घूमते उसने बहुत सारे जानवर देखे जिसमे शेर, हाथी, चीता बिभिन्न प्रकार के जीव जंतु देखकर ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा देखते ही देखते उसने अपने अब्बा हजूर से पूछा कि अब्बा हजुर इसमें तो एक घर में आदमी बंद है ये तो चिड़िया घर है इसमें आदमी क्यों बंद है ? फिर उसने देखा की कुछ पुस्तके भी वहाँ है, अब्बा हजुर ने बताया की ये सभी हिन्दू धर्म मानने वाले लोग है समाप्त हो गए है जब ये मर जायेगे तो इन्हें अजायब घर में डाल दिया जायेगा, उस बालक ने पूछा की ये पुस्तके---! उसने कहा की ये दुनिया की बहुमूल्य पुस्तके है जिनमे विश्व का सर्व श्रेष्ट ज्ञान भरा पड़ा है लेकिन जो जाति नहीं रहती या कमजोर- मुर्दा हो जाती है उसका ग्रन्थ कोई नहीं पढता उसका महत्व अपने -आप समाप्त हो जाता है फिर उसने पूछा की ये---- उसके अब्बा ने बताया इनके पास महाराणा प्रताप और शिवा जी जैसे महान योद्धा थे इनके पास दयानंद, विवेकानंद जैसे यशस्वी सन्त भी थे राम और कृष्ण जैसे महापुरुष भी थे, बालक ने आगे पूछा कि आखिर इनकी ये दुर्दसा क्यों हुई जब की इनके पास इतने बड़े महापुरुष, सर्व श्रेष्ट योद्धा और ऋषि महर्षि थे-? तो उसके अब्बा ने बताया की ये जाति बड़ी ही प्रतिभा सपन्न थी दुनिया को सभ्य समाज बनाने व मानव समाज को विकसित करने में इन्ही की भूमिका थी, सारे बड़े -बड़े वैज्ञानिक, दार्शनिक इन्होने दिया विद्वता में इनका कोई मुकाबला ही नहीं था, फिर बालक ने पूछा की ये सब क्यों हुआ ? तो उसने बताया कि इनके पास सामान्य बुद्धि की कमी हो गयी थी ये सभी के सभी सेकुलर यानी धर्मनिरपेक्ष हो गए थे इस नाते ये जाति समाप्त हो गयी है जब ये मर जायेगे तो इन्हें अजायब घर में रख दिया जायेगा---!
8 टिप्पणियाँ
"उसने बताया कि इनके पास सामान्य बुद्धि की कमी हो गयी थी ये सभी के सभी सेकुलर यानी धर्मनिरपेक्ष हो गए थे इस नाते ये जाति समाप्त हो गयी है जब ये मर जायेगे तो इन्हें अजायब घर में रख दिया जायेगा." :)
जवाब देंहटाएंअब होते अत्याचारों पर
जवाब देंहटाएंमिलकर ये हुँकार भरो
कहाँ छिपे हो घर मैं बेठे
निकलो और संहार करो
आतंकी अफजल , कसाब को
और नहीं जीने दो अब
घुस जाओ जेलों मैं मित्रो
आओ मिलकर वार करो
कोन है हिटलर ? कोन है हुस्नी ?
किसका नाम है गद्दाफी ?
दुष्टों को बस मोत सुना दो
देना नहीं कोई माफ़ी ….
कि जो कोई साथ दे उनका ,
बजाय हुक्म माली सा ,
सजाय मोत दो उनको
रूप हो , रोद्र काली सा .
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएं"उसने बताया कि इनके पास सामान्य बुद्धि की कमी हो गयी थी ये सभी के सभी सेकुलर यानी धर्मनिरपेक्ष हो गए थे इस नाते ये जाति समाप्त हो गयी है जब ये मर जायेगे तो इन्हें अजायब घर में रख दिया जायेगा."
जवाब देंहटाएंकरार व्यंग है ! निश्चय ही इनकी सामान्य बुद्धि घास चरने गयी है। एक दिन अजायबघर की शोभा बनेगी ये विलुप्त प्रजाति।
मदन शर्मा जी की कविता बहुत सटीक है।
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बडा सत्य और सटीक व्यंग्य है
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
हिंद की आवाज़
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहिंद की आवाज़
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