हिन्दुओं की उदारता
गृहमंत्रीगृहमंत्री जी (सुशील कुमार शिंदे) ने अनायास ही मुसलमानो के बारे मे नहीं बोला या पत्र लिखा है उन्होंने जानबूझ कर हिन्दू समाज को चिढाने का काम किया है अच्छा होता की वे यह पत्र मुसलमानों के नाम लिखते। हिन्दू तो स्वभावतः जियो और जीने दो मे विसवास रखता है वही अहिंसा
परमोधरमह का पालन करता है चीटी को चारा देने के अतिरिक्त प्रत्येक जीव- जन्तु मे ईश्वर का वास का अनुभव, प्रत्येक
वनस्पतियों मे औषधि सभी पेड़-पौधों को ईश्वर मान पूजा करता है। इसलिए हिंदुओं को शिक्षा देने की अवस्यकता नहीं है मानवता तो उसके जींस में है। वह तो मुहम्मद को भी महापुरुष मानने को तैयार बैठा है लेकिन क्या इस्लाम मतावलम्बी भगवान राम को महापुरुष मानेगे -? उदारता तो हिन्दू समाज को विरासत में मिली है, क्या मुसलमान भी इस तरफ हाथ बढायेगे--? इस
समय जो भी सरकारें हैं अधिकांस सभी सेकुलर हैं वे सभी केवल मुसलमानों की ही चिंता कर रही हैं
हिन्दू तो दूसरे नंबर का नागरिक बन चुका है।
हिंदू समाज को बदनाम करने का प्रयास
गृहमंत्री जी जानबूझ कर हिन्दू समाज को बदनाम करना चाहते है उनको चाहिए की इस्लाम का धर्मग्रन्थ "पवित्र कुरान" को पढ़े और मुसलमानों को समझाएं की जिस प्रकार हिन्दू उनकी बहन को बहन मानता है वैसा ही वे करें आज लव जिहाद के माध्यम से लाखों हिन्दू बहन बेटियों का धर्मान्तरण किया जा रहा है। जिस गाव में १०० घर मुसलमान है १० घर हिन्दू है उसकी बहन बेटियां सरेआम मुसलमान उठा ले रहा है, जिसको हिन्दू महतारी मानता है उसे मुसलमान तरकारी मानता है एकता कैसे हो सकती है। इस पर तो मुसलमानों को ही बिचार करना पड़ेगा और गृहमंत्री जी मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी हिन्दू ही है न कि पुलिस ! मुसलमानों को हिन्दू समाज के अन्दर विस्वास पैदा करना पड़ेगा हिन्दू अब मुसलमानों को अपने घर बैठाना खरतनाक समझता है वह सोचता है की यह पहले मित्रता करता है फिर हमारी बहन बेटियों को भगा ले जाता है।
इस उग्रता का जम्मेदार कौन ?
आज मुज़फ्फरनगर का दंगा क्यों हुआ ? हिन्दुओ को अपनी बहन बेटियों के सुरक्षा का हक़ नहीं है क्या--? इसलिए गृहमंत्री ने जो पत्र सभी गृह सचिवों को लिखा है उससे लगता है की सभी मुसलमान बड़े ही सज्जन हैं वास्तविकता यह है की सभी मुसलमान केवल गुंडा है वह कुरान को ही आदर्श मानता है कुरान कहता है की काफिरों की बहन बेटियों से जबरदस्ती जैसे भी हो निकाह करो तुम्हे जन्नत मिलेगी गृहमंत्री जी आपके बस का रोग नहीं है ये। ये रुश के राष्ट्रपति ही कह सकते हैं की जिसे रुश में रहना है उन्हें यहाँ की संस्कृति को मानना ही पड़ेगा नहीं तो जिसे सरियात कानून चाहिए जहाँ शरियत कानून लागु हो वहां चले जायं। ये म्यांमार का एक "धर्मगुरु" ही कह सकता है की हम शांति से रहना चाहते हैं लेकिन पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते। गृहमंत्री क्या चाहते हैं की जितने मुसलमान जेल में है उतने ही हिन्दू भी जेल में बंद कर दिए जायं विश्व के बहुत सारे देशों में जनसँख्या के अनुपात से अधिक मुसलमान जेल में हैं। मुसलमान हिन्दू जैसा नहीं है उनके यहाँ बलात्कार, हिंसा,अपराध और अनैतिक काम इस्लामिक कार्य माना जाता है। इसलिए भारतीय विचार और इस्लामिक विचार में बड़ा अंतर है इसलिए गृहमंत्री जी जरा पढ लिख कर देश हित में विचार करिए नहीं तो इतिहास माफ़ नहीं करेगा।
2 टिप्पणियाँ
बढे अच्छे सवाल आपने उठाये हैं... वाकई हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक हो गए हैं... हिन्दुओं को भी सोचना होगा कि कब तक वे इस तरह अपना अपमान सहना चाहेंगे
जवाब देंहटाएंहिन्दू तो अपने बच्चो को डाक्टर ,इंजीनियर, प्रोफेसर ही बनाना चाहता है न की हिन्दू यही इसकी बिडम्बना है एक दिन कहीं इसी चक्कर मे समाप्त न हो जय।
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