नेपाल के तराई व पहाड़ी सभी भारत वंशी-------!

          

नेपाल मे तराई व पहाड़ी सभी भारतीय

 नेपाल देश स्वाभाविक आर्यावर्त का ही एक हिस्सा है भारतवर्ष में जो सोलह जनपद थे उसमे से नेपाल एक जनपद था स्वाभाविक ही है कि सभी लोगो का पूरे भारतवर्ष में राजनयिक तथा धार्मिक दृष्टि से किसी प्रकार की तीरथ यात्रा अथवा चारो धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग दर्शन हेतु आना जाना था और आज भी यह परंपरा कायम है, बिना "पशुपतिनाथ दर्शन" के "द्वादश ज्योतिर्लिंग" के दर्शन का पुण्य नहीं मिलता इसी प्रकार बिना "मुक्तिनाथ दर्शन" के "चारो धाम" का "पुण्य" प्राप्त नहीं होता, यह सब हमारे पूर्वजों ने "आदि जगद्गुरु शंकराचार्य" ने हम धार्मिक दृष्टि व राष्ट्रीय दृष्टि से हम एक हैं यह ब्यवस्था बनायीं, कहते हैं की "भगवन श्रीकृष्ण" ने प्रथम काठमांडो नगर को बसाया उन्होंने ही भगवान पशुपतिनाथ की स्थापना की। 


विभिन्न स्थानों से धर्म रक्षा हेतु पलायन


हम सभी को ज्ञात है नेपाल पहाड़ व जंगल प्रदेश था धीरे-धीरे यहाँ जन- जीवन आया इतिहास बताता है कि जिस समय महाराजा "पृथ्बीराज चौहान" और कन्नौज का पतन हुआ उस समय जो "राजस्थान" से पलायन हुआ प्रथम नेपाल में आने वाले प्रथम "राजपूत, कान्यकुब्ज ब्राह्मण" और "थारु" थे दूसरी बार जब "महारानी पद्मिनी" "जौहर" हुआ उस समय "रावल कुम्भकरण" जो तत्कालीन चित्तौड़गढ़ के राजा "रावल रतन सिंह" के भाई थे यहाँ आकर राज्य स्थापित किया जिसकी वर्तमान राज़वंश की ४४वीं पीढ़ी है, दूसरी बार भी थारु और कनौजिया ब्राह्मण आये, एक बार और भारत में बिप्लव हुआ तब भी पलायन हुआ पानीपत के तीसरे युद्ध जिसमें मराठों की पराजय हुई हम सभी को ज्ञात है की मराठे अजेय थे, वे चले थे युद्ध जितने के पश्चात "हरिद्वार" स्नान करेंगे "काशी दर्शन" कर 'प्रयाग संगम स्नान' कर वापस जायेगे लेकिन बिधि ने कुछ और ही लिखा था पराजय के पश्चात मराठे हिमालय गए आज वे नेपाल और उत्तराखंड में हैं इसी कारन नेपाल के पहाड़ में कहीं भी नाउ, धोबी इत्यादि 'परजा-पौनी' जातियां नहीं पायी जातीं इस प्रकार पहाड़ में जो भी ब्राह्मण है या तो कनौजिया या मराठी ब्राह्मण पाये जाते हैं राजपूत भी राजस्थान और महाराष्ट्र के पाये जाते हैं, अधिक जानकारी हेतु अपना 'डीएनए' टेष्ट कराना चाहिए, नेपाल मे सूर्यवंशियों तथा चन्द्रवंशियों का शासन होने के कारण राष्ट्रीय झंडे मे भी 'सूर्य व चन्द्र' ऊपर सूर्य नीचे चन्द्र राजा "सूर्यवंशी" यानी 'सिसौदिया' यानी सूर्यवंश- प्रधानमंत्री राणा "चंद्रवंशी"। 


नेपाल की समस्या स्वयं नेपाल की


इस कारन यह कहना कठिन है कि केवल तराई के लोग ही भारतीय मूल के हैं पहाड़ और तराई सभी लोग भारतीय हैं, आर्य हैं, सभी का खून एक है कोई थोड़ा पहले आया, कोई थोड़ा देर से नेपाल गया बस इतना ही अंतर है, नेपाल की असली समस्या क्या है ! सभी अपने को असली नेपाली सिद्ध करने के लिए भारत का बिरोध यह क्रम "महाराजा महेंद्रवीर विक्रम शाहदेव" ने शुरू किया था भारत बिरोध नेपाली राष्ट्रीयता बन गयी उन्होंने ही वामपंथियों की स्थापना करायी दरबार से बेतन देकर 'कम्युनिस्ट पार्टी' को बढ़ाने का काम किया इसी कारण नेपाली कम्युनिष्टों को "रॉयल कम्युनिष्ट" कहा जाता है, आज नेपाल की यह सबसे वड़ी समस्या है! कौन कितना बड़ा देश भक्त है यह साबित करने के लिए उसे उतना ही भारत बिरोध करना पड़ता है इससे तो भारत की हानी कम नेपाल का नुकसान अधिक है यह विचार नेपालियों को करना चाहिए। 


सभी की सनातन संस्कृति


आज भी नेपाल के अंतर्मन में हिन्दू धारा बह रही है तराईवासी, पहाड़वासी, जनजाति सभी हिंदुत्व के कारण एक है हिंसा हत्या को छोड़कर मधेशीयों के साथ दोहरा ब्यवहार बंद करना चाहिए क्योंकि सभी के पूर्वज, संस्कृति, महापुरुष, त्यौहार, पर्व और तीर्थ सब कुछ एक है यही सबको जोड़ता है यही नेपाल की राष्ट्रीयता भी है हमें लगता है की नेपाल के पास यही एक रास्ता है न कि गोली बन्दुक का रास्ता!