आखिर ये चुप्पी क्यों-? सेकुलर का मतलब कहीं इस्लामीकरण तो नहीं ----!

          

आफ्टर कमलेश तिवारी की घटनाओं पर चुप्पी क्यों--?

आज प्रभात खबर दैनिक में एक लेख पढ़ रहा था, जिसमे लिखा था की जब नेहरू सत्ता में आये तो ''उन्होंने तथा-कथित बुद्धिजीवी यानी वामपंथियों को बौद्धिक संस्थानों में भर्ती कर भारत को समाजवाद के तरफ मोड़ने का काम किया।" इन वामपंथियों ने भारत के विचारों का भरपूर मजाक उड़ाया। उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि जैसे भारत कोई पुरातन संस्कृति का देश ही नहीं बल्कि एक राष्ट्र तो कभी रहा ही नहीं ! हम तो बड़े पिछड़े थे, हमें तो कुछ आता ही नहीं था । हिन्दू धर्म कोई धर्म ही नहीं ! वैदिक सभ्यता कुछ थी ही नहीं! भारत का कोई अपना कोई विचार ही नहीं था। हम तो हमेसा आपस में लड़ते रहते थे हाँ अंग्रेज जब आये तब हमने जीना सीखा, कपड़ा पहनना सीखा, तब हम एक राष्ट्र हुए ऐसी अनर्गल बातें पं नेहरू ने इन वामपंथियों द्वारा हम भारत वासियों को सिखाने का एक असफल प्रयत्न किया। इसके पीछे नेहरू की एक चाल थी कि प्रत्येक भारतीयों के मन में हींन भावना की ग्रंथि हो जाय। वास्तविकता यह है की नेहरू कोई विद्वान नहीं थे वे ब्रिटिश द्वारा स्थापित ब्यक्ति थे। इस कारन भारत के वैदिक मूल्यों को नष्ट करना चाहते थे। चुकि नेहरु इस्लाम मतावलम्बी थे! इस कारन वे सेकुलर के नाम पर इस देश का इस्लामीकरण करना चाहते थे। जिस काम को बर्बर गजनी, गोरी और मुग़ल नहीं कर पाये वे उसे लोकतंत्र को माध्यम बना करना चाहते थे।

पहली बार विश्व ने जाना कि यह हिंदू देश है!

आज उसका दुष्परिणाम दिखाई दे रहा है! जब देश के अंदर राष्ट्रवाद हुंकार भर रहा हो तब इन बामपंथियों का दर्द बढ़ रहा है यह कोई आश्चर्य की बात नहीं, अब भारतवासी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। जब उन्हें लग रहा है की ये उनके देश में क्या हो रहा है? जिसे हम महतारी कहते हैं उसे मारकर खाने वाले पुरस्कृत हो रहे हैं। भारत की आत्मा का अपमान हो रहा है। पहली बार एक भारतीय प्रधानमंत्री हुआ जिसने सारे विश्व को बताया की भारत हिन्दू देश है । ये भारत विरोधियों को पच नहीं रहा, एक "चरखी दादरी" की घटना होती है बिना किसी जाँच के पुरे देश के तथाकथित बुद्धिजीवी पुरस्कार वापस करने लगते हैं। जिसने गाय को मारकर खाया जिसकी गाय थी उसे मारा भी वह हॉस्पिटल में गांव वालों को जब पता चला तो उन्होंने उस गाय मारने वाले को मारा इसकी जाँच क्यों नहीं की-! जिस यादव की गाय थी उसकी कौन सुनेगा ! उसका यही दोष है की वह हिन्दू है, सारे सेकुलर देश को सिर पर उठा लिए जैसे कोई बड़ी बात हो गयी हो देश बिरोधी-बुद्दि जीवी, फ़िल्मकार, हीरो सभी एक साथ !           

हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी के बयांन के पश्चात इतना हंगामा क्यों ! 

जब जाकिर नाईक, ओबैसी जैसे तमाम मुल्ले हिन्दू धर्म के देवताओं के बारे में आये दिन गाली देते रहते हैं तो हंगामा क्यों नहीं ? आखिर कमलेश तिवारी ने गलत क्या कहा आज देश के सामने आना चाहिए । विश्व के अनेक देश अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ़्रांस, जर्मनी और इस्रायल जैसे अनेक देश हदीस और कुरान का पर्दा फास कर रहे है तो भारत में क्यों नहीं होना चाहिए ! आज 'रंगीला रसूल' और तमाम 'वेव साइट' मौजूद है जिसमे मुहम्मद की जीवनी उपलब्ध है सबको पढनी चाहिए मुसलमानों को चाहिए की हंगामा नहीं करे। नहीं तो उसका परिणाम भी वे जानते हैं कोई मुलायम, कोई लालू, कोई नितीश या ममता उनको बचा नहीं सकती ! म्यांमार में अपनी स्थिति देखनी चाहिए फ़्रांस, जर्मनी तथा चीन में तो मुसलमानों को इस्लामिक  नाम भी रखने की छूट नहीं है। आप मजबूर मत करिये कि भारत उस तरफ बढे-! जब कमलेश तिवारी को जेल में बंद कर दिया गया (बिना किसी अपराध के ), तो किसने इन्हे हमले की अनुमति दी नीतीश के गृह जनपद में सबसे पहले 13 दिसंबर को नालंदा में जुलुस निकालकर मंदिर पर हमला पुजारी को पीटा। कटिहार के बारसोई में दिसंबर के दूसरे सप्ताह मे पचास हज़ार की भीड़ ने हिन्दुओ को मारा पीटा दुकाने को लूटा उनका मनोबल बढ़ता गया, सीमांचल बंगाल के मालदा में 3 जनवरी को ढाई लाख की भीड़ ने हिन्दू दुकानों को लूटा हिन्दुओ को मारा- पीटा, सैकड़ों वाहनों को तोड़-फोड़ किया जलाया ही नहीं बल्कि पुलिस थाने को भी शिकार बनाया पुलिस भागकर जान बचाई, पूर्णिया के बयासी में 7 जनवरी को 3५ हज़ार की भीड़ ने एक विधायक के नेतृत्व में हंगामा किया थाने में तोड़-फोड़ किया जगह-जगह पुलिस जान बचाकर भागी। इस सीमांचल में हिन्दू भय-भीत है मालदा में अभी तक हिन्दू दुकाने नहीं खोल पाये है वे अब पलायन करना चाहते हैं कोई पुलिस उन्हें बचाने नहीं जा रही पूर्णिया, किशन गंज, अररिया और कटिहार का हिन्दू भय भीत है यहाँ से हिन्दू पलायन कर रहा है यह क्षेत्र अब कश्मीर के रास्ते है।

सेकुलरिष्ट तथाकथित बुद्धिजीवी सभी चुप

इतना होने पर मिडिया, सेकुलरिष्टों, तथा-कथित बुद्धि जीवियों और राजनैतिक पार्टियों को भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि ये शांति प्रिय सेकुलर लोगो का शांति प्रिय कार्यक्रम था "चरखी दादरी" की छोटी सी घटना अंतर्राष्ट्रीय हो जाती है, लेकिन इन घटनाओं की कोई चर्चा नहीं होती आखिर क्यों इसका संकेत क्या है क्या हिन्दू निरीह है क्या इस देश का कोई मालिक नहीं है ! क्या इस देश में कोई सरकार नहीं है ! घटना केवल मालदा की ही नहीं है इंदौर, भोपाल, बंगलौर, पटना, नालंदा, बायसी और बारसोई जैसे देश के बिभिन्न भागों में ये हुआ है, इसका संकेत क्या है ! क्या हिन्दू समाज की रक्षा हेतु अपने- आप खड़ा होना पड़ेगा ? इन घटनाओं को जिस तरह लुका- छिपाकर कवर किया गया है, उस पर कहीं गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं देश के एक बड़े हिस्से को इस घटना की सूचना तक नहीं है, तो देश में कोई सरकार है भी या नहीं ! यदि है तो केंद्र सरकार का संचार मंत्रालय क्या कर रहा है यह भी प्रश्नहै--! देश को इन घटनाओं के जानकारी का अधिकार है जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, मिडिया- चाहे प्रिंट मिडिया हो अथवा इलेक्ट्रानिक मिडिया ये जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते, नहीं तो इनकी निष्ठां पर सवाल उठाना लाजिमी है।

हिन्दू समाज के मन में एक प्रश्न खड़ा हो रहा है

कि सेकुलर के रास्ते कहीं भारत का इस्लामीकरण तो नहीं ! 
धीरे-धीरे सीमांचल का कश्मीरी करण तो नहीं--!     
ये क्या हो रहा है जिसे हम मूक दर्शक बन देख रहे हैं !
हमने अफगानिस्तान दिया, पाकिस्तान दिया कश्मीर उस रास्ते पर है !
अब हम क्या-क्या कौन-कौनसा भाग देते रहेंगे !
हिन्दू समाज ही इस देश का मालिक है वही इसकी रक्षा करेगा !
मुसलमानों की कोई राष्ट्रीयता नहीं --!
जो राष्ट्रीयता में विस्वास करेंगे वह इस्लाम बिरोधी माना जायेगा !

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1 टिप्पणियाँ

  1. वास्तव मे मुसलमान इस देश का नागरिक नहीं वह तो सेकुलर नेताओं का दामाद है इस कारण मुसलमान भारतीय नागरिक के समान ब्यावहार नहीं करता , लेकिन एक दिन दामाद को भी अपने घर जाना पड़ता है ! यह घर देश हिंदुओं का है यह बात समझने होगी इसका उपचार भी हिन्दू समाज का जागरण ही है !

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