जिहाद और उसका स्वरूप--!

मानवीय आचरण का प्रयत्न

सृष्टि का जब उद्भव हुआ तो मानव जीवन के संस्कार, विकास, चरित्र और रहन सहन को लेकर कुछ नियम बनाये जिसे हिन्दुओं में कर्मकांड कहते हैं। इस्लाम और ईसाईयत में हदीश, बाइबिल में इसकी विस्तार से चर्चा की गई है। आज हम हिन्दुओं और ईसाईयों के बारे में चर्चा न करते हुए इस्लाम के एक भाग की चर्चा करेंगे, जिहाद की--! "हमारी यह संपत्ति है कि जो कोई इस्लाम के अलावा वर्तमान में मौजूद किसी अन्य धर्म जैसे यहूदी धर्म ईसाईयत और अन्य (हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म आदि) में विस्वास रखता है, वह गैर ईमान वाला है, उससे पश्चाताप करने का आग्रह करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसकी धर्म त्यागी के समान हत्या कर देनी चाहिए क्योंकि वह कुरान को नकार रहा है।


जिहाद--?

"इस्लाम में जो आवस्यक है जिससे इस्लाम को जाना जाता है यानी प्रत्येक मोमिन को करणीय है नमाज, जकात, हज, रोजा और इन सबके लिए जिहाद-! जिहाद का वास्तविक अर्थ है संघर्ष करना, युध्द जिहाद यांनी पवित्र युद्ध है जिहाद। "इस्लामिक सत्ता" की विस्तार के लिए जिहाद, जिहाद के बारे बड़ा ही भ्रम है सबसे पहले "बुद्धिजीवी जिहाद" को हमे समझना होगा प्रत्येक "इस्लामिक स्कालर" अपने पन्थ के मदरसों के अनुसार परिभाषित करता है कुछ स्कालर जिहाद का अर्थ करते हैं कि दीन दुखियों की मदद करना, महिलाओं की सुरक्षा करना, बुराई के खिलाफ संघर्ष, अपने अन्दर की बुराई के खिलाफ संघर्ष जबकि जो पूरे विश्व में जो इस्लामिक व्यवहार दिखाई दे रहा है वह इसके बिल्कुल अलग विपरीत। इसलिए आज सम्पूर्ण विश्व में हिंसा, हत्या का पर्याय ही 'इस्लाम' हो गया है लेकिन 'इस्लामिक स्कालर' बुद्धिजीवी जिहाद द्वारा गलत को सही परिभाषित करते नहीं थक रहे। भारत में इस्लामिक शासन जिहाद का ही एक हिस्सा था सूडान में जिहाद द्वारा 40 लाख लोगों को अमानवीयता यातना देकर बेघर कर दिया गया लेकिन इस्लामिक विद्वान जैसे मौलाना बदरुद्दीन, अभिनेता आमिर खान, नसरुद्दीन साह, शाहरुख खान, संगीतकार जावेद अख्तर, राजनेता अकबरुद्दीन ओवैसी, गुलाम नबी आजाद, आज़म खान, फारुख अब्दुल्ला इत्यादि विश्व के मानव समाज को अंधेरे में रखने का प्रयास करते रहते हैं। लेकिन बहुत सारे 'मुस्लिम स्कालर' इसके अतिरिक्त विचार ही नहीं रखते बल्कि उनके पक्ष में संघर्ष करते भी दिखाई देते हैं, लेकिन जो बुद्धिजीवी स्कालर इस्लामिक (आतंकी जिहाद) का विरोध करते दिखते हैं जैसे तारिक फतेह, सलमान रुश्दी, तस्लीमा नसरीन, सलाम आजाद (ठीक है) ये सब लोग इस्लामी आतंकियो के हमेसा निशाने पर रहते हैं, बहुतों को अपना जीवन बचाने के लिए अपने घर व देश की तिलांजलि देनी पड़ी ।

जिहाद के प्रकार

इस्लामी जगत में कुरान के बाद सर्बाधिक महत्व हदीश को दिया जाता है कभी कभी तो हदीश को ही प्रमुखता दी जाती है क्योंकि मुहम्मद साहब ने अपने जीवन में जो जो किया वही हदीश है यानी मुहम्मद की जीवनी। इस प्रकार जो मुहम्मद साहब ने किया उसे किसी प्रकार करना उस उद्देश्यों को प्राप्त करना उसके लिए जो भी रास्ता हो नैतिक अथवा अनैतिक उन सभी रास्तों को जेहाद कहा जाता है। 
इसके दो प्रकार है 1- 'अल अकबर जिहाद' जो बड़े उद्देश्यों के लिए किया जाता है काफ़िरों से युद्ध उनके देश पर हमला इत्यादि। 2- 'जेहाद अल असगर' इसे छोटा मोटा काम के लिए किये जाते हैं, आज जो इस्लाम धर्म को जानने वाले हैं वे हदीश के अनुसार जिहाद कर रहे हैं वह जिहाद इस प्रकार है। अविस्वासी के खिलाफ संघर्ष, लव जिहाद, लैंड जिहाद, जनसंख्या जिहाद, रेप जिहाद, बुद्धिजीवी जिहाद, हत्या हिँसा जिहाद, लूट जिहाद, सेक्स जिहाद, धर्मांतरण जिहाद, घुसपैठ जिहाद, राजनीतिक जिहाद ऐसे सौ प्रकार के जिहाद हैं और इन सब प्रकार से इस्लाम में इस पवित्र युध्द से जिहादियों को जन्नत में 72 हूरें मिलती हैं। इसलिए किसी भी आतंकी हमलों, मुसलमानों द्वारा बलात्कार, लव जिहाद व धर्मान्तरण पर कोई मुफ्ती या मौलाना कुछ भी बोलने से बचता है ।

लव जिहाद

वर्तमान में लव जिहाद पूरे भारत को अपने गिरफ्त में ले रखा है एक आँकड़े के अनुसार प्रत्येक वर्ष एक लाख हिन्दू, ईसाई लड़कियों को लव जिहाद के माध्यम से शिकार बनाया जाता है। यह लव जिहाद शब्द किसी हिंदू वादी संगठन ने नहीं दिया है इसे केरल, कर्नाटक में उच्च न्यायालय के जजों ने बताया कि ये लव नहीं लव जिहाद है। मस्जिद व मदरसों की योजना से महिला कॉलेज के सामने सौंदर्य प्रसाधन की दुकान, मोबाईल रिचार्ज करने की दुकान खुलवाना, प्रत्येक मस्जिदों मदरसों में बाइक उपलब्ध कराने की योजना, पंचर बनाने, दाढ़ी वनाने वाले लड़कों को कपड़े मोबाईल उपलब्ध करा हिन्दुओं के अच्छे घरों की लड़कियों को चिन्हित कर पीछे लगाना फिर इस्लामिक देशो, मुत्ताह विवाह, मानव बम इत्यादि के लिए उपयोग करना प्रतिदिन अखबारों में समाचार आते रहते हैं हिंदू समाज में अपनी मर्यादा बचाने में इसकी चर्चा नहीं करता।

लैंड जिहाद

जिस प्रकार लव जिहाद पूरे भारत को गिरफ्त में ले रखा है उसी प्रकार लैंड जिहाद भी है बांग्लादेशी घुसपैठियों ने झारखंड, बिहार में अपना कार्य बड़ी ही योजना से कर रहे हैं। बिहार के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार झारखंड के साहेबगंज गोड्डा, दुमका इत्यादि जिलों में बंगालियों की बड़ी संख्या में जमीने हैं । अधिकांश बँगाली प.बंगाल बस गए हैं यहाँ के मुसलमानों को इन सब की जानकारी होने के कारण इन घुश्पैठियों को इन्हीं जमीनों में बसना फिर धीरे-धीरे लेखपालों- सचिव को घूस देकर आधार कार्ड बनवाना, वनवासियों की जमीनों के बिक्री पर प्रतिबंध होने के कारण ये घुष्पैठिये उनकी लड़कियों को फंसा विवाह कर उनकी जमीन पर कब्जा करने की प्रक्रिया। उनका इस्लामी करण करना जिससे बिहार, झारखंड का जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया है। परंपरागत तीज त्योहारों पर आक्रमण करना आये दिन हो रहा है, रेलवे स्टेशन, रेलवे लाइन के बगल वाली खाली ज़मीनों पर अधिकार पूर्वक झुग्गी झोपड़ी लगाना जिससे समाजिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है।

रोजगार जिहाद

बिहार, झारखंड और प.बंगाल गरीबो के रोजगारों पर जबरदस्त हमला कर रहे हैं। इधर जितनी भी लेमन चाय ट्रेनों में बेच रहे हैं, सड़क के किनारे जो भी टायर बनाने, पंचर वनाने वाले, बाल बनाने वाले नाई, मकान बनाने वाले मजदूर- राजमिस्त्री, गाड़ी बनाने वाले मिस्त्री। इधर संगठित तरीके से रोहंगिया घुश्पैठिया जो देश के बार्डर से सटे हुए राज्यों में फ़ैल चुके है.. को रोजगार देने समुचित व्यवस्था के लिए प्रत्येक सहरों में मुगफली (बदाम) बेचने के लिए ठेला उपलब्ध कराने, कम पूजी लगाकर सड़कों के किनारे फल, सब्जी व अन्य रोजगार करवाने के लिए कुछ इस्लामिक घुश्पैठियों का गिरोह सक्रिय है। एक तो वैसे भी बेरोजगारी मुहबाएं खड़ी है दूसरी तरफ इस प्रकार का जिहाद भी जारी है।

बुद्धिजीवी जिहाद

देश के अंदर अर्बन नक्सलियों के समान इस्लामिक जिहादी भी हैं । वे अपने अपने तरीके से इस्लामिक आतंकवाद को जस्टिफाई करने का काम करते रहते हैं जैसे फ़िल्म अभिनेता आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान या अन्य कोई सभी को गणेश जी, शंकर जी या किसी देवी देवताओं पर दूध चढ़ाना अच्छा नहीं लगता। उसकी गलत तरीके से ब्याख्या करना, किसी भी सिनेमा में हिंदुओं की भावनाओं का खयाल नहीं रखना उन्हें अपमानित करने का काम करना। दीपावली पर प्रदूषण, किसी देवी देवताओं को पशु बली प्रदूषण लेकिन ईद पर लाखो करोणों जानवरों की हिंसा पानी की बर्बादी, ईद पर पटाखे यह सब प्रदूषण के दायरे में नहीं। यही और रोहंगिया मुसलमानों को सुरक्षित बसाने हेतु टीवी पर उदारता की बहस चलाना उन्हें जायज ठहराना और भारतीय वांग्मय के बारे में गलत ब्याख्या करना इसे कहते हैं बुद्धिजीवी जिहाद।

राजनैतिक जिहाद

बड़ी योजना के तहत इस्लाम मतावलंबी आरक्षित सीटों पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं जैसा कि हमे पूरा पता है कि आरक्षण केवल हिन्दू समाज के उपेक्षित व कमजोर वर्ग के लिए है। लेकिन अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की लड़कियों से विवाह कर उनके आरक्षित सीटों पर मुखिया, सरपंच जिला पार्षद बन इन कमजोर वर्गों के साथ अन्याय कर उनके अधिकारों का हनन कर रहे हैं, देश के अंदर 12% मुस्लिम जनसंख्या है वे स्वविवेक से वोट नहीं करते उसके लिए फतवा जारी किया जाता है। किसे वोट देना है यह मस्जिद का ईमाम तय करता है मस्जिद मदरसों में कोइ देशभक्ति का पाठ नहीं पढाया जाता बल्कि उन्हें देश के महापुरुषों के बारे मे भी कुछ जानकारी नहीं दी जाती केवल और केवल इस्लामिक विस्तार भारत बिरोधी बातें भारतीय स्वाभिमान की बात तो अच्छा लगता ही नहीं इनके आइकॉन रहीम रसखान व कलाम न होकर औरंगजेब, दाऊद इब्राहिम, सहाबुद्दीन तथा ओबैसी जैसे लोग हैं इन्हीं के इशारे पर काम करते हैं इस प्रकार हिंदू समाज को विवेक पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

घुष्पैठ जिहाद

एक तरफ 'बांग्लादेश' से घुश्पैठियों का आगमन लगातार हो रहा है वर्तमान में एक आँकड़े के अनुसार यह संख्या 3 करोड़ से 5 करोड़ के बीच में है दूसरी तरफ 'रोहंगियो' की घुसपैठ तेज गति में हो रही है। हज़ारों की संख्या बिहार में तथा झारखंड में बस गए हैं रेलवे स्टेशन, रेलवे लाइन के किनारे किनारे अनाधिकृत झुग्गी झोपड़ी लगाकर स्थानीय वासियों के रोजगारों पर कब्जा कर रहे हैं। इन्हें सेक्युलर राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है, ब्रम्हदेश से 7 किमी की दूरी पर चीन की सीमा पड़ती है लेकिन वहाँ एक भी रोहंगिया नहीं गया सभी हज़ारों किमी दूर 'जम्मू कश्मीर' इस्लामिक प्रदेश में पहुंच गए। जहाँ कोई भी हिन्दू किसी दूसरे प्रदेश से नहीं बस सकता लेकिन 'रोहंगिया' खुलेआम जा सकता है सभी इस्लामिक संगठन उसे बसाने ब्यवस्था बनाने में लगे हैं। कोइ भी राजनेता इस पर बोलने को तैयार नहीं है इस प्रकार 'घुसपैठ जिहाद' जारी है जो भारत और भारतीयता के लिए खतरा बनकर सामने खड़ा है।

जनसंख्या जिहाद

जब देश का विभाजन हुआ था उस समय देश की जनसंख्या 30 करोड़ थी डॉ आंबेडकर ने कहा था कि जब धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ है तो भारत में एक भी मुसलमान व पाकिस्तान में एक भी हिन्दू नहीं रहना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य कैसा अपनी संख्या से अधिक पाकिस्तान जमीन ले लिया उस पर भी यहाँ एक बड़ी संख्या मुसलमानों की रह गई ये वैसे नहीं रहे ये बड़ी ही योजना वद्ध तरीके से रुके। भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद जो जमायते इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष थे वे पूरे भारत का इस्लामी करण करना चाहते थे। उन्होंने शिक्षा नीति सेकुलर के नाम पर नष्ट कर दिया, परिवार नियोजन सभी के लिए लेकिन मुसलमान उसमें भागीदार नहीं प्रत्येक मुसलमान 4-4 विवाह 20 से 25 बच्चे पैदा करना इतना ही नहीं लव जिहाद, घुसपैठ के माध्यम सुनियोजित तरीके आपनी संख्या बढ़ाना फिर देश पर कब्जा करने की योजना।

औषधीय जिहाद

चिकित्सा के द्वारा इस्लाम का काम यानी काफिरो को समाप्त करना विश्व में इस्लाम की सत्ता को स्थापित करना अभी अभी श्री लंका में एक चिकित्सक पकड़ा गया है जो हिन्दू महिलाओं की बच्चादानी निकालने, पुरुषों को नपुंसक बनाने की दवा देना कोई भी रोगी हो उसे इस प्रकार की दवा देना जिससे वह बच्चा नहीं पैदा कर सके, इस समय भारत में यह कार्य बहुत तेजी से हो रहा है एक प्रकार से मानवता के विरुद्ध जिहाद है।

केटरिंग जिहाद

भारत में जितने भी मुस्लिम होटल हैं उसमें यह कार्य जोरों से चल रहा है आज कल हिंदू समाज में छोटा परिवार का प्रचलन हो गया है जो केवल भारत के लिए ही हानिकारक नहीं बल्कि मानवता के लिए हानिकारक है। पति पत्नी दोनों सर्विस करते हैं भोजन होटल से मंगाते हैं यदि केटरर्स मुस्लिम है तो वह नपुसंकता की दवा खाने में डाल देता है। यदि हिन्दू होटल वाला है तो भोजन पहुचाने वाला यदि मोमिन है तो वह रास्ते में भी दवा मिला देता है। मोमिनों का प्रथम कर्तब्य जिहाद (धर्म के लिए युद्ध) है इसलिए कोई भी मोमिन कितना भी पढ़ा लिखा हो वह इसे करेगा ही।

जिहाद क्या है--?

1- 'जिहाद' (जान तोड़ कोशिश) करो अल्लाह के मार्ग में ठीक-ठीक जिहाद" (२२:78,पृष्ठ601)
2-"अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सुनने और जानने वाला है।" (2:244, पृष्ठ169)
3-"जो अल्लाह के मार्ग में मारे गए, उन्हें मरा हुआ न समझो, बल्कि वे अपने रब के पास जीवित हैं, रोजी पा रहे हैं।"(3:169 पृष्ठ 211)
4- "उसकी (अल्लाह की) राह में जिहाद करो ताकी तुम सफल हो जाओ।" (5:35, पृष्ठ 263)
5- "तुम अल्लाह के मार्ग में युध्द करो -तुम पर अपने शिवा किसी और का दायित्व नहीं-- और 'ईमान' वालों को भी इसके लिए तैयार करो! हो सकता है अल्लाह 'काफ़िरों' का जोड़ तोड़ दे।" (4:48, पृष्ठ 236)

अल्लाह का जिहाद के लिए आदेश

१- "हे नबी!  काफिरों और मुनाफिकों के साथ जिहाद करो और उनपर सख्ती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नुम' है।" (66:9 पृष्ठ1055)
2- "तो काफ़िरों की बात न मानना और इस (कुरआन) से तुम उसने बड़ा जिहाद करो"(25:52, पृष्ठ 643)
3- "फिर रमजान हराम महीने बीत जाय, तो 'मुशरिकों' को जहां कहीं पाओ कत्ल करो, उन्हें पकड़ो, उन्हें घेरो, और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो, यदि वे तोबा कर लें और नमाज कायम करें और 'जकात' दे तो उनका मार्ग छोड़ दो।" (9:5 पृष्ठ 368)
4- "हे नबी ! काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों से जिहाद करो! और उनके साथ सख्ती से पेश आओ, उनका ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या ही बुरा ठिकाना है" (9:73, पृष्ठ 380)

जिहाद का उद्देश्य

अन्य धर्मों को समाप्त कर, विश्व में इस्लामी राज्य स्थापित करना---!
1- "और उसने युध्द करो जहां तक कि 'फितना' (उपद्रव) शेष न रहे और 'दीन' अल्लाह का हो जाये" (2:193, पृष्ठ 158)
2- किताब वाले जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं और न 'आख़िरत' पर और न उसे हराम करते हैं जिसे 'अल्लाह' और उसके 'रसूल' ने हराम ठहराया है और वे न सच्चे दीन को अपना दीन बनाते हैं, उनसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित होकर अपने हाथ से जजिया देने लगें।" (9:29 पृष्ठ 372)
3- "सबसे आखिरी वक्तब्य जो मुहम्मद ने दिया था कि"हे अल्लाह! यहूद.और ईसाईयों को समाप्त कर दे, वे अपने पैगम्बरों के कब्रों पर चर्च (पूजा घर) बनाते हैं, अरेबिया में दो धर्म नहीं रहेंगे।" पहले चार खलीफाओं के समय में यह नीति पूरी तरह अपनायी गई और सभी गैर मुसलमान अरेबिया से बाहर निकाल दिया ।" (मलिक,511; 1588)
4- "ओ अल्लाह-! तूने जो मुझसे वादा किया था वह सब दिला ओ अल्लाह ! यदि ये थोड़े से मुसलमान मारे गए तो संसार में तुम्हारी पूजा करने वाला कोई न रहेगा।" (मुस्लिम खण्ड-3 4360, पृष्ठ 1158)

जिहाद कैसे करें-?

1- ''तो तुम लोगो को जो ईमान ला चुके हैं, जमाये रखो, मैं अभी काफ़िरों के दिलों में रौब डाले देता हूँ, तो तुम उनकी गरदनों पर मारो और उनके हर जोड़ पर चोट लगाओ''। (8:12 पृष्ठ350)
2-"हे ईमान वालों! जब तुम एक सेना के रूप में'काफ़िरों' से भिड़ो तो उनसे पीठ न फेरो।" (८:१५ पृष्ठ ३५१)
3- "तो यदि तुम में सौ जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त कर लेंगे और यदि तुम हजार होंगे तो दो हज़ार पर अल्लाह के हुक्म से भारी रहेगें।" (८:६६, पृष्ठ ३५८)
4- "है ईमान लाने वालो ! उन काफ़िरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास है, और चाहिए कि वे तुममें सख्ती पाएँ।" (९:१२३, पृष्ठ३९१)
5- "अब जब 'कुफ्र' करने वाले से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो गरदने मारना, यहां तक कि जब तुम उन्हें कुचल चूको, तो बंधन जकड़ो।" (४७:४, पृष्ठ९२९)
6- "तुमने उन्हें कत्ल नहीं किया, बल्कि अल्लाह ने उन्हें कत्ल किया।" (८:१७, पृष्ठ ३५१)
7- "अल्लाह ने मुहम्मद को बताया कि उसने जान-दि-बेपटिस्ट से बदला लेने के लिए सत्तर हजार लोगों का कत्ल किया और उसके नाती से बदला लेने के लिए सत्तर हजार सत्तर का कत्ल करेगा।" (हदीश-ऐ-कुदसी,22:17)
(इत्यादि ऐसे बहुत सी आयते कुरान, हदीश व अन्य इस्लामिक साहित्यों में है हमने कुछ ही उद्धरण दिया।)

गैर मुस्लिम बस्तियों का विनाश व देश निकाला जिहाद का अंग

१- "और- जब हम किसी बस्ती को विनष्ट करने का इरादा कर लेते हैं तो हम वहां के सुखभोगी लोगों को हुक्म देते हैं, फिर वे उसमें अवज्ञा करने लग जाते हैं तब उस बस्ती पर वह (यातना की) बात साबित हो जाता है, फिर हम उसे बिल्कुल उखाड़ फेकते हैं।" (१७:१६, पृष्ठ ५०९)
2- "और हराम (असम्भव) था हर उस बस्ती के लिए (पलटना) जिसको हमने विनष्ट कर दिया था, निश्चय ही वे पलटने वाले न थे।" (२१:९५, पृष्ठ ५८४)

अपने जान माल सहित जिहाद करो

1-"अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करो और अपने आप को तबाही में न झोंको"। (2:195,पृष्ठ 158)
2- "निकल पड़ो, चाहे हल्के हो या बोझिल, और अपने मालों और जानो के साथ अल्लाह के मार्ग में जिहाद करो यह तुम्हारे लिए अच्छा है यदि तुम जानो"। (9:41, पृ. 375)
3- "जहां तक हो सके तुम लोग (सेना) शक्ति और तैयार बधे हुए घोड़े उनके लिए तैयार रखो, ताकि उसके द्वारा अल्लाह के शत्रुओं और अपने शत्रुओं और इसके शिवा औरों को भय भीत कर दो जिन्हें तुम नहीं जानते"।
4- पैगम्बर ने कहा "हे लोगों ! घुड़सवारी और तीरंदाजी सीखो सावधान रहें, तीरंदाजी का अर्थ है शक्ति। जिसने पहले भी तीरंदाजी सीखी और बाद में छोड़ दी, उसने मेरी अवज्ञा की है।" (माजाह, खं.2,पृ.178)

जिहाद के परिणाम

सम्पूर्ण विश्व को दो भागों में बाटना 1- मोमिन जो मुहम्मद के विचारों को स्वीकार किया यानी इस्लाम स्वीकार किया। 2- जिन्होंने अभी इस्लाम स्वीकार नहीं किया यानी काफिर हैं यानी वे बहुदेववाद (हिंदू धर्म मानव धर्म) मानते हैं या ईसाई, यहूदी अथवा अन्य कोई मतावलंबियों का।
1- मुहम्मद ने जो भी किया वह मानकर वह सब कुछ करना जो जो मुहम्मद ने किये यही जायज, इस प्रकार इस्लाम के 72 फ़िरकों में संघर्ष असली मुहम्मद का अनुयायी कौन ? युध्द जिहाद के लिए सेक्स जिहाद-----!
1- निः संदेह काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं!(कु.4:101)
२- मोमिनों को चाहिए कि मोमिनों के सिवा काफ़िरों को मित्र न बनाये और जो ऐसा करेगा उसे खुदा का क़ुछ (आहर) नहीं हां इस तरीके से तुम उनसे बचाव की सकल निकालो---!(कु.3:28)
3- हुजूर नबी अकरम सल्ल ने लड़ाई का नाम खुदाआ (धोखाधड़ी) रखा है--( बुखारी शरीफ ह. स.12,13)
 4- और काफिरों से लड़ते रहो यहां तक की फसाद, (मूर्ति पूजा व कुफ्र) बाकी न रहे और सब अल्लाह का दीन हो जाये। (कुरान 8-39)
5- और जब तक तुम खुदाए-वाहिद पर ईमान न लाओ हममे तुमसे हमेशा खुल्लम-खुल्ला अदावत और दुश्मनी रहेगी। (कुरान 8-4)
6- और काफिर यह न समझें कि वह भागकर हमेशा के लिए बच निकलेगे, वह कदापि हमे थका नहीं सकेंगे। (कुरान8:59)
7- फिर जब हराम का महीना बीत जाय तो मुशरिकों (मूर्ति पूजकों) को जहाँ कहीं पावो कत्ल करो और पकड़ो और उन्हें घेरो औऱ हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। (कुरान 9:5)
8- मैं जल्द काफ़िरों के दिलों में भय पैदा करूंगा, बस तुम इनकी गरदनों को मारो औऱ इनके पोर पोर पर वार करो--(कुरान-8:12)
9- अल्लाह ने तुमसे बहुत सी गनीमते(लूट का माल) का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आएगी-(कुरान48:20)
मुहम्मद साहब के जीवन का अनुसरण करना इस्लाम के लिए अनिवार्य है, इसलिए "अलीसिना" ने लिखा है "इस्लाम का पहला शिकार मुसलमान ही है उनका मन 'अन्धविस्वास' से भर जाता है, नफरत से हृदय कठोर हो जाता है, दुख से वे ब्यथित रहते हैं और उनका दिमाग भय से लकवाग्रस्त हो जाता है, वे संसार में दया के पात्र हैं"------! 

अलीसिना ने सरिया के कुछ उद्धरण दिये हैं! 

1-जिहाद, "गैर मुस्लिमों के विरुद्ध मजहब को स्थापित करने हेतु युध्द करना"। 
2- एक खलीफा बल पूर्बक सत्ता छीनकर शासन कर सकता है। 
3- गैर मुस्लिम मुसलमान का उत्तराधिकारी नहीं वन सकता। 
सम्पूर्ण विश्व को इस्लाम ने दो भागों में बाट दिया है मोमिन और गैर मोमिन फिर मोमिनों में 72 फिरके यह सब फिरकों के खलीफा अपने को असली मुहम्मद साहब के बाद असली खलीफा मानते हैं उसी के लिए युद्ध जारी है कुछ इस्लामिक विद्वान इस्लाम को प्रेम मुहब्बत का बताते नहीं थकते लेकिन इस शान्ति धर्म के बीच जो युद्ध का आंकड़ा है वह चौकाने वाला है 20 वर्षों में एक दूसरे पर हमला हिंसा और आतंकवाद द्वारा "एक करोड़ पच्चीस लाख" मुसलमान मारे गए हैं और जो गैर मुस्लिमों का आंकड़ा है इन चौदह सौ वर्षों में "एक अरब" से अधिक मानव समाज की हत्या की है इसी को जिहाद कहा जाता है और उसके इस प्रकार के परिणाम हैं ! 

( सन्दर्भ ग्रन्थ-- फतवा उलेमा और उनकी दुनिया-अरुण सौरी, सत्यार्थ प्रकाश- ऋषि दयानन्द, आइएसआईएस और इस्लाम में सिविल वार- सतीश पेडनेकर, जिहाद और गैर मुसलमान- प्रो.कृष्ण वल्लभ पालीवाल  पीएचडी, हदीस ऐ कुदसी, बुखारी शरीफ )