भारत में जिहाद और हिंदू समाज का प्रतिकार



 भारत में जिहाद और हिन्दू समाज का प्रतिकार 

जिहाद 

जिहाद का अर्थ है गैर मुस्लिमों को मुसलमान बनाना और यदि वे आसानी से मुसलमान नहीं बने तो उनके साथ जोर जबरदस्ती करना। विश्व के अंदर बहुत सारे देशों को जिहाद द्वारा इस्लामीकरण किया गया विश्व में कुछ ऐसे मूर्ख मानवता वादी देश हैं जैसे अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड इन देशों ने सरणार्थी समझ अपने यहाँ सरण दिया आज ये सारे देश झेल रहे हैं इंग्लैंड के एक दर्जन शहरो के मेयर मुसलमान हो गये हैं बहुत सारे इलाकों में पुलिस नहीं जाती है। और इस्लामीकरण हेतु जिहाद जारी है। फ्रांस, जर्मनी में आये दिन हिंसा हो रही है सड़के जाम हो रही है जब ये देश इस्लाम की ओर बढ़ने लगे तब इनका ध्यान टुटा तमाम प्रकार के प्रतिबन्ध लगाने शुरू किये। जैसे मस्जिदों पर रोक सड़को पर नमाज पर रोक लगाने शुरू हो गये अब इन देशों को ध्यान में आ रहा है कि इस्लाम क्या है? और केवल मखतब व मदरसों तक जिहाद सीमित नहीं है। जब बच्चा पैदा होता है तभी से उसके कान में "अजान" दिया जाता है कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूजा करने योग्य नहीं है। मदरसों के बच्चों से बात करेंगे तो वे अपने को "जिहादी बम" बताते हैं। और केवल ये घर व मदरसों तकसीमित नहीं हैं जितनी मुसलमानो की यूपीएससी, बीपीएससी तथा मेडिकल की कोचिंग है, जितने अल्पसंख्यक कालेज है मेडिकल कालेज है अथवा अल्पसंख्यक विश्व विद्यालय हैं सभी में प्रथम जिहादी सेकेण्डरी में अन्य शिक्षा।

बौद्ध धर्मावलंबियो के साथ जिहाद और संघर्ष

पूरा अफगानिस्तान सहित कई देश जिहाद के शिकार हुए देश के देश धर्मान्तरण के शिकार हुए। लेकिन वे इसको भूले नहीं याद रखा, जापान ने कुछ ऐसा किया अपने देश जापान में मुस्लिमों को वीसा नहीं देता, किसी को नागरिकता नहीं किसी भी शरणार्थी को शरण नहीं। ब्राम्हदेश ने कुछ दिन पहले रोहगियों को निकाल बाहर कर दिया, मस्जिदों पर प्रतिबन्ध लगा दिया, कोई भी मस्जिद नहीं बन सकती। श्रीलंका ने मस्जिदों पर रोक लगा दिया मुस्लिम प्रवेश रोक दिया कोई भी नई मस्जिद नहीं बन सकती, ऐसे जितने भी बौद्ध देश हैं सभी ने अपने तरीके से इन पर अंकुश लगा दिया हैं। आज सभी बौद्ध देश इन जिहादियों से सुरक्षित हैं। अपने को बड़ा ताकतवर देश समझने वाले अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोप के तमाम देश अपने नागरिकों की इन जिहादियों से सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं, यही होता है इस्लाम को समझाने और न समझने का परिणाम ¡

बामपंथी देशों का जिहादियों के साथ प्रतिकार

वैसे तो भारत में जिहादी, ईसाई और बामपंथी एक होकर भारतीय संस्कृति को समाप्त करने के काम में लगे हुए हैं। लेकिन जब हम किसी इस्लामिक देश की बात करते हैं तो वहाँ पर कोई बामपंथी दिखाई नहीं देता ठीक उसी प्रकार किसी भी बामपंथी देश में न किसी मस्जिद बनाने की अनुमति है न उन देशों के मुसलमानो को हज यात्रा की अनुमति है कोई भी मोमिन अपने घर में कुरान नहीं रख सकता है। चीन और सोबियत रूस में तो मस्जिदों में सुवर पाले जाते है किसी मुसलमान यदि दाढ़ी रखी अपनी पहचान मोमिन की बनाई तो उसे कड़ी से कड़ी सजा का विधान है। इसलिए सभी कम्युनिष्ट देश अपने देश को इन जिहादियों से सुरक्षित कर रखा है इन देशों में रहना है तो उन्ही देशों के कानून, संस्कृति माननी होगी नहीं तो बाहर का रास्ता देखना पड़ता है।

एक नज़र इधर भी 


भारत में जिहाद और उसका प्रतिकार 

भारत में जिहाद की एक लम्बी संघर्ष गाथा है, 712 में जब खलीफा के सेनापति मुहम्मदबिन क़ासिम ने सीमा रक्षक महाराजा दाहिर पर आक्रमण किया बार बार पराजित होने पर धोखे क्य सहारा लिए और महाराजा दाहिर हो धोखे से हरा दिया फिर लूट शुरू किया मुहिलाओ के साथ बलात्कार, अपहरण जो भारत ने पहली बार देखा था। राजा दाहिर का लड़का किसी तरह मेवाड़ नरेश चक्रवर्ती सम्राट बाप्पा रावल जिनका नाम था "कालभोज "। उसनें महाराजा को बिन काशिम के हमले और लूट व व्यवहार के बारे में बताया राजा कलभोज को इस्लामिक जिहाद तुरंत समझ में आ गया। उसने तुरंत भारतीय राजाओं को संगठित किया और 34लाख की सेना तैयार किया जिसमें मेवाड़ के पास बारह लाख की सेना थीं राजा ने उस इसलमी कट्टरपंथी जिहादी पर आक्रमण कर दिया। "अरबियन इतिहासकार लिखते है कि भारत में एक कालभोज नाम का राजा था जिसके पास 34लाख की सेना थीं इतिहास में जितना इस्लाम क्य नुकसान उस राजा ने किया जिसकी भरपाई नहीं हो सकी।" महाराज बाप्पारावल ने अरब तक जीता उन हज़ारों माताओं बहिनों क़ो वापस लाये इतना ही नहीं खलीफा रोने गिड़ गिड़ाने लगा और समझौते की पेशकस की तब "हारीत मुनी " ने सेनापति की बेटी "मैयाह " से विवाह कर समझौते किये। महाराज कलभोज लौटते समय प्रत्येक सौ मील पर ठिगाना बनाते आये उसके बाद लगभग पांच सौ वर्षो तक इस्लामिक जिहादियों की भारत की ओर आँख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं की।

उस समय भारतीय सत्ता का केंद्र मेवाड़ था इसलिए वहाँ के सूर्यवंशी राजाओं राणा सांगा से लेकर महाराणा कुम्भा, महाराणा उदयसिंह, महाराणा प्रताप, महाराणा अमरसिंह, महाराणा राजसिंह तक का जिहादियों से लम्बा सफल संघर्ष रहा। इतना ही नहीं मध्य काल में आध्यात्मिक संघर्ष भी हुआ जिसमें स्वामी रामानुजाचार्य, स्वामी रामानंद जिन्होंने द्वादस भागवत संत खड़े कर इस्लामिक सुफियों, सत्ता क़ो सफल चुनौती दी, संत रविदास, कुम्हानदास, संत तुलसीदास, संत कबीर दास, सूरदास और मेवाड़ की महारानी मीरा अब भारत खड़ा होकर मुसलमानो क़ो पहचानने लगा तभी ब्रिटिश काल में ऋषि दयानन्द अवतरित होकर आर्यसमाज की स्थापना कर वेदों के भाष्य ही नहीं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ लिखकर सारे विश्व में जिहादियों क़ो नंगा कर दिया।

अब जिहादियों से संघर्ष भारतीय गांवों में आम हिंदू समाज ने शुरू कर दिया। दंगा तो ये जिहादी शुरू करते हैं लेकिन हिंदू समाज उसे समाप्त करता है, एक समय था अलीगढ, मुरादावाद, मेरठ, रामपुर, टांडा, भागलपुर इत्यादि स्थानो पर अखबारों की हेड लाइन होती थी। अलीगढ, मुरादाबाद, मेरठ इतने मरे इतने घायल स्थित तनाव पूर्ण किन्तु शांति लेकिन जब हिंदू दंगे क़ो समाप्त करता था तो अगले बीसों वर्षो तक उन स्थानों पर दंगे नहीं होते थैं। लेकिन जिसने दंगों क़ो नहीं देखा था जब मस्जिद में नमाज पढता झुकता तो कतार में लम्बी संख्या देखकर उसकी क्षाती चौड़ी होती, मस्जिदों में मुल्ला तकरीर देता है कि एक मोमिन सौ काफिरों क़ो मारने की ताकत रखता है। लेकिन जब वह घर जाता तो उसका अब्बा जान उसे बताते क़ि नहीं दंगे नहीं करना हिंदू मारता है तो वड़ी मार मारता है इसलिये जब हम विचार करते है तो ध्यान में आता है कि हिंदू समाज की रक्षा कोई सरकार नहीं कर सकती हिंदू समाज क़ो स्वयं तैयार रहना होगा। क्योंकि मखतब, मदरसों की जिहादी तैयारी गांव गांव में है उसी प्रकार हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा हेतु गांव गांव में प्रतिकार हेतु तैयार रहना होगा।


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