श्री गुरु जी (माधव सदाशिव गोलवलकर)----- एक महान राष्ट्र योगी.

 एक दिन मै गोरखपुर मे एक बहुत प्रतिष्ठित ब्यक्ति के यहा पर बैठा था, वे हमारे बरिष्ठ सहयोगी, मित्र, अभिभावक जो समझे थे। मै कई बार उनके घर मिलने जाता पूरे घर मे मेरा अच्छा सम्बन्ध था। वे बड़े समाज सेवी भी थे बहुत बिषयो पर हमारी चर्चा भी होती थी।
मै भी उनके एक परिवार के सदस्य जैसा ही था एक दिन वे बहुत प्रसंद्चित दिख रहे थे वे "बालाबाबू" (बाला प्रसाद तुलास्यायन) थे। उनके घर का एक कमरा बंद रहता था मैने एक दिन उनसे पूछा, बाला बाबू इस घर मे क्या है -? जो हमेशा बंद रहता है वे भावुक होकर बोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक "पूज्य गुरु जी" जब भी आते तो इसी कमरे मे रुकते थे। एक दिन एक कार्यक्रम में गीता प्रेस के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार से मिलने जाना था, कार्यक्रम के लिए कुछ देर होने लगी मै ब्याकुल होकर बाहर घूम रहा था। अचानक मैने उनके कमरे का द्वार खोल दिया ! मै उन्हें देख आश्चर्य चकित रह गया! वे धरती से ऊपर उठे हुए थे उनके बाले बिखरे हुए थे बालों में पानी की बूदे दिखाई दे रही थी, वे साक्षात् शिव जैसे दिख रहे थे। मैने घबड़ाकर दरवाजा बंद किया, छड भर मे वे बाहर आये, बोले 'बाला बाबू' चलिए। वे महान योगी थे जिन्होंने अपनी तपस्या को राष्ट्र कार्य मे लगा दिया। जैसे "स्वामी प्रणवानंद" ने अपनी तपस्या को समाज सेवा कार्य मे लगा दिया ऐसे थे हमारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य श्री गुरु जी उपाख्य म. स. गोलवरकर।