अध्यात्म

घर-बार दे दफ़न को ,

कौड़ी न दे कफ़न को ।

जिसने दिया तन क़ा,

वही देगा कफ़न क़ा।।

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1 टिप्पणियाँ

  1. सादर वन्दे !
    यही सच्चाई है. इसी पर किसी ने क्या खूब कहा है कि,
    तेरे अपने भी वक्त का चलन देंगे
    छीनकर तेरी दौलत बस दो ही गज कफ़न देंगे.
    रत्नेश त्रिपाठी

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