क्या--- यह सब कहीं दाऊद क़े इशारे पर तो नहीं,या बिपक्षी एकता तोड़ने की साजिस.

       सोहराबुद्दीन --सोहराबुद्दीन आज -कल बड़ी चर्चा है जैसे हिन्दू आतंकबाद की चर्चा योजना बद्ध तरीके से चलायी जा रही है, मै आपको कुछ दिन पहले ले चलना चाहता हू, नेपाल क़े चर्चित स्पेश टाइम्स टी.वि. नेटवर्क क़े मालिक डी. कंपनी यानी दाउद क़े नेपाल इंचार्ज जमीम साह सहित आइ.एस.आइ. से सम्बंधित तीन मुस्लिम आतंकबादी भारत में फैक करेंसी भेजने वाले ऐ.क़े.४७ -५६ रायफल की सप्लाई करने वाले जिनका काम ही था दाउद क़े इशारे पर भारत क़े बिरोध में सभी कुछ करना ५-६ महीने पहले हत्या हो गयी नेपाल में एक ग्रुप मावोबादी भारत क़े बिरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए छोटा राजन ने कहा की हत्या हमने करायी, बस क्या था मुंबई में छोटा राजन क़े तीन साथियों क़ा काउंटर महाराष्ट्र पुलिस ने कर दिया कही महाराष्ट्र पुलिस दाउद क़े इशारे पर तो नहीं चलती  यह सभी को पता है की कुछ दिन पहले छोटा राजन ने कहा था की जो हिन्दू  बिरोध, भारत बिरोध करेगा मै उसको छोड़ूगा नहीं ।
         आखिर कौन है सोहराबुद्दीन ये दाउद क़े नेटवर्क चलाने वाले लतीफ़ जो गुजरात क़ा डी. कंपनी क़ा इंचार्ज था उसका ड्राईबर था लतीफ़ पुलिस की हिरासत में था भागने पर पुलिस ने मार गिराया दुर्भाग्य से १९९७ में राष्ट्रीय जनता पार्टी क़े दिलीप परिक मुख्यमंत्री थे, यदि भा.ज.पा. क़ा शासन होता तो आज उसका भी बड़ा नाम होता उसी समय सोहराबुद्दीन दाउद क़ा यानी डी.कंपनी क़ा इंचार्ज हो गया ये दाउद क़े द्वारा ऐ.क़े.४७ व ग्रेनेड क़ा सप्लायर था, इसी क़े बताने पर इसके खेत क़े कुए से २४ ए.क़े.५६, २७ ऐ.क़े.४७ और ४० हैण्ड, ५२५० कर्तिज,  ८१ मैगजीन और ४० हैण्ड ग्रेनेड बरामद हुआ था १९८९ में छोटा दाउद उर्फ़ शरीफ खान क़े ड्रग तस्करी जुड़ अपराध जगत में प्रवेश किया, १९९४ में जगन्नाथ रथयात्रा में बाम बिस्फोट, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में उसके खिलाफ हत्या, अपहरण और फिरौती क़े साथ राष्ट्र बिरोधी गतिबिधियो दर्जनों मामले दर्ज है तदा में पाच साल की कैद, जमानत पर था २६ नवम्बर २००५ को गुजरात ऐ.टी.एस. राजस्थान और आंध्र पुलिस क़े संयुक्त अभियान में मारा गया.चुकी यह दाउद क़ा आदमी था इस नाते  सभी सेकुलर, बामपंथी और मानवाधिकार बादी, हिन्दू बिरोधी व भारत बिरोधी सब  दाउद क़े समर्थन में खडे हो गए, शरद पवार क़े बारे में तो मुंबई में दाउद क़े संबंधो की चर्चा तो  सामान्य बात है।
      यह सभी को पता था की सोनिया सरकर बिपक्षी एकता को बर्दास्त नहीं कर पा रही है योजना बद्ध तरीके से गुजरात क़े राज्य मंत्री शाह जो अहमदाबाद से चार बार बिधायक, २००२मे एक लाख८५ हजाह और २००७ में २ लाख ३५हज़ार  क़े भरी अंतर से विजय होकर इतिहास रचा सर्बजनिक जीवन में इमानदार छबि आतंकबाद निरोधी कानून क़े मुख्य सूत्रधार ऐसे नेता  की गिरफ़्तारी हुई वास्तव में देश द्रोहीयो को हीरो और देश भक्तो को खलनायक बनाने की कांग्रेश धूर्तता  पूर्ण कोसिस, अभी यह सरकार यही नहीं रुकने वाली नहीं है बिहार क़े चुनाव क़े पहिले ऐसा ही कोई कांड रचेगी जिससे नितीश और भा.ज.पा. की एकता टूट जाय भा.ज.पा. नेतृत्व को केवल गुजरात क़े लिए नहीं पूरे भारत क़े लिए उग्र रूप में आन्दोलन करना चाहिए ।.
      वास्तव  में सब गलती भा.ज.पा. की ही है भा.ज.पा. यह माग क्यों नहीं करती की हजारो सिक्खों क़े हत्यारे जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार को सी.बी.आइ. पकडे २५००० लोग गैस कांड में मारे गए इसमें एडरसन को किसने छुड़ाया, बोफोर्स कांड में उसके कोत्रोची क़े खाते से पैसा किसके इशारे पर निकला तो यह सब सोनिया क़े इशारे पर हुआ, भा.ज.पा. क़े नेतृत्व की कमजोरी क़ा ही परिणाम है यदि पार्टी इस मुद्दे पर खड़ी होती पूरा देश जाम होता १० जनपथ को घेरना सी.बी.आइ. को घेरना जो केवल सोनिया क़े इशारे पर हिन्दुओ को बदनाम करने तुली है, एक भी मावोबादी की गिरफ्तारी की  सरकार हिम्मत नहीं जुटा पाती लेकिन संघ, व भा.ज.पा. की उदारता को सोनिया कायरता समझ रही है, वह दिन बड़ा ही दुर्भाग्य पूर्ण होगा जिस दिन हिन्दुओ को आतंकबादी बनना पड़ेगा तब क्या होगा यह सेकुलर ताकतों को सोचना चाहिए, पूरे  देश को पता है की भारतीय जनता पार्टी क़े शासन क़े पहले कांग्रेश क़े शासन काल में गुजरात में प्रति वर्ष दंगा होता था जबसे भा.ज.पा. क़ा शासन आया दंगे बंद हो गए केंद्र की सरकार को यह बर्दास्त नहीं हो पा रहा है क्यों की ये दंगे पर ही रोटी सकते थे अब गुजरात पुलिस क़े मनोबल को तोडना ही केंद्र सरकार क़ा कार्य है जिससे दंगे बंद न हो अपराध और अपराधियों क़ा मनोबल बढे यही केंद्र की निति है, काग्रेश यह हमेसा  चाहती रही है की दंगे होते रहे हिन्दू-मुसलमान हमेसा लड़ते रहे और हम शासन करते रहे ।
      राजनीती होनी चाहिए लेकिन किसी क़े अस्तित्व  से खेलना ठीक नहीं----भारत क़े आत्मा से मत खेलो।।

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7 टिप्पणियाँ

  1. कौंग्रेस का मुस्लिम तुष्ठिकरण है , काश्मीर में मुसलमानों ने गर्द मचा रखी है और हमारे प्रधानमंत्री महोदय बेफिक्री से केरल के एक सुन्नी नेता जिसका इंतकाल पिछले साल हुआ उसके पहली बरसी पर दाक्तिकित जारी करने में व्यस्त है !

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  2. aapka aalekh hamesha se hi prabhavi raha hai.jis dhang se aap kisi baat ko prastut karte hai vah behad hi sarahniy raha hai.ek sashakt lekh.
    poonam

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  3. बहुत खूब लिखा आपने....सही बात कही.
    कभी 'डाकिया डाक लाया' पर भी आयें...

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  4. माओवादीयो को नेपाल की सत्ता मे किसने स्थापित किया ? ? ? ? भारत के सिंहासन पर क्या आज भारत विरोधी बैठे हुए नही है । नेपाल की राजनिति मे संघ की सोच और कार्य पर भी समिक्षा होनी चाहिए ।

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  5. सचमुच दीर्घ आलेख है
    लेकिन मैं सिर्फ एक लाईन कहूंगी--
    सिकंदर भी आए कलंदर भी आए ,न कोई रहा है न कोई रहेगा.........

    आपने गठिया के बारे में पूछा है-
    अश्वगंधा,मेथी और काले तिल का चुर्ण बना लीजिये ,बराबर मात्रा में मिला लीजिये, सुबह खाली पेट पंद्रह ग्राम चूर्ण पानी से निगल लीजिये
    तीन-चार दिन में आराम मिलेगा ,मगर ये लगातार तीन महीने तक खाना है

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