कभी-कभी उच्चतम न्यायलय के फैसले पर हिन्दू समाज को प्रतिकार करने की आवस्यकता ,दारा सिंह पर असहज महसूस करती भारतीय चिति .

        ग्राहम स्टिंस  को जला कर मारा क्यों---? क्या दारा सिंह की पुरानी  दुश्मनी थी--? जलते हुए ग्राहम के चारो तरफ घूम- घूम कर नाचना क्या दर्शाता है ? वहां के लोगो में इतना आक्रोस क्यों था--? आखिर यह घटना क्यों हुई ----? यह सवाल ढेर सारे प्रश्न छोड़ जाते है कही उच्चतम न्यायालय दबाव में तो नहीं आज देश जानना चाहता है क्यों की उच्चतम न्यायालयने अपने फैसले में कहा था कि 'ग्राहम स्टिन्स' की हत्या का कारन जोर जबर दस्ती धर्मान्तरण और हिन्दू यानी बनवासी संस्कृति को नष्ट करने का दुष्परिणाम भी था, ईशाई मिशनरियो ने वनबासियो का जीवन बड़ा ही कठिन बना दिया है भाई-भाई में भेद डालकर आपस में लडाई कराके भारत बिरोधी बनाना ही मात्र उद्देश्य है कोई सुख, समृद्धि और शांति के लिए अध्यात्मिक, उपदेश देना मिशनरियों का काम नहीं है, जहा-जहा ईशायियो की संख्या बढ़ रही है वहां -वहां हिन्दुओ का जीवन कठिन सा होता जा रहा है ये जितने ऊपर से मीठे दिखाई देते है उतना ही अन्दर से विषैले होते है .
       आखिर ऐसा क्यों होता है पहले हिन्दू इनका स्वागत करता है फिर इनका विरोध करना शुरू करता है हमें समझने की आवस्यकता है कि भाई-भाई में विस्वास ख़त्म कराना और आपस में लडाई कराना --- वनबासी क्षेत्रो के घरो में एक भाई को धर्मान्तरण कराके उसकी संस्कृति को समाप्त कर घर के मंदिर में हिस्सा मागना, बटवारा कराना उसमे चर्च बनाने के लिए उकसाना यह कार्य मिशनरियो का है जिससे आपस में विबाद खड़ा कराना और सेकुलर फोर्सेस द्वारा सहायता लेकर सीधे-साधे वनबसी को उसकी धर्म संस्कृति को समाप्त कराना और बहाने बनाकर झागना खड़ा कराना, हिन्दू संगठनों के ऊपर झूठे आरोप लगाना बहुत आसान है, क्यों कि भारत में इस समय ईशाइयो का ही साम्राज्य है जिन्हें हिन्दू संस्कृति से कोई सरोकार नहीं है, बिना ईशाई बने या बिना हिन्दू बिरोध किये कांग्रेस पार्टी में कोई जगह नहीं है इस नाते दिग्विजय जैसे नेता लगातार हिंदुत्व पर हमला करते जा रहे है, उन्हें सिम्मी, कसाव, अफजल और कश्मीरी आतंकी देशभक्त लगते है लेकिन देश भक्त संघ के कार्यकर्ता या इस देश का मूल हिन्दू समाज देश द्रोही लगता है, समय- समय का फेरा है ---कभी लोग कहते थे की मै घूस नहीं लूगा क्यों कि मेरे बाल-बच्चे है - लेकिन अब वह कहता है मुझे घूस दो क्यों की मेरे पास बाल- बच्चे है.
        अभी-अभी एक विशेष अदालत ने गोधरा पर फैसला सुनाया है जिससे न्याय पालिका पर से विश्वास उठता जा रहा दिखाई दे रहा है जिसे पूरे भारत की जनता देख रही है जान रही है कि गोधरा में कारसेवको को किस प्रकार मिटटी का तेल व पेट्रोल डालकर जलाया गया और कौन लोग जलाने में सामिल थे यह फैसला उसी प्रकार है जैसे उड़ीसा के जंगलो में ग्राहम स्टिन्स के धर्मान्तरण की आंधी से वहां का वनबासी त्राहि-त्राहि कर रहा था और उसकी परिणिति जो हुआ सब जानते है न्याय का लचीला रवैया तुष्टीकरण नीति रिटायर्ड होने के पश्चात् किसी न किसी आयोग का सदस्य अथवा चयरमैन बनने की उत्कंठा अपनी छबि सेकुलर बनी रहे इस नाते न्याय को प्रभावित करना देश का दुर्भाग्य ही है, कि अब देश की जनता का विश्वास न्यायपालिका से उठने लगा है क्यों कि जनता सब जानती है ये अदालते उसी प्रकार हो गयी है जैसे अंग्रेजो के समय की थी.
          यह ठीक है कि जनता को फैसला अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है लेने भी नहीं चाहिए लेकिन देश में गोधरा और ग्राहम स्टिन्स जैसे फैसले यदि आयेगे तो जनता मजबूर होगी और माओबादियो जैसा ही अदालत लगाने को, सेकुलर के नाम पर देशद्रोह को तो इजाजत नहीं दिया जा सकता, इस समय सरकार और पत्रकार सेकुलर के नाम पर देशद्रोह पर उतारू है और सेकुलर आतंक की छाया भारत को ग्रसित किये हुए है इशाई मिशनरिया और मखतब, मदरसे, मुल्ला, मौलबी  धर्मान्तरण का होड़ लगाकर भारत को बिभाजन की तरफ ले जा रही है, जिसको हम सभ्य समाज कह रहे है वह तो धर्मान्तरण द्वारा समाप्त कर दिया जायेगा, ये बड़ी-बड़ी गाड़ी ,बंगला और फोरलेन सड़क सब के सब यही रह जायेगा लेकिन भारत नहीं रहेगा, जब हिन्दू अल्पमत में आ जायेगा कोई भी सुनाने वाला नहीं होगा आज इस्लामिक जगत में जो बिद्रोह दिखाई दे रहा है वहां कोई लोकतंत्र का नहीं है वहां तो और भी कट्टरपंथी तत्व आने वाले है इस नाते भारत को भारत बनाये रखने में भारत को ही लाभ नहीं है बल्कि सारे विश्व की मानवता के लिए भारत और भारतीय संस्कृति की ही आवस्यकता होगी मानवता का सन्देश यही से जायेगा उसके लिए हिन्दू का बचे रहना ही नहीं हिन्दूराष्ट्र का समृद्ध शाली होना आवश्यक है न्याय पालिका को ध्यान रखना होगा की तुष्टि करण से न्याय प्रभावित न हो, हमें बिचार करना होगा की गोधरा के पश्चात् ही गुजरात हुआ और उड़ीसा में धर्मान्तरण के पश्चात् ही ग्राहम की घटना हुई यह दुबारा न हो इसका हमें ध्यान रखना होगा इसकी जिम्मेदारी जीतनी हिन्दुओ की है उतनी ही ईशाई और मुसलमानों की भी, ऐसा नहीं कि हिन्दू केवल मार खाने के लिए पैदा हुआ है-? दारा सिंह और गोधरा के फैसले पर हिन्दू समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है, जिसके नेतृत्व में ट्रेन में आग लगायी गयी थी उसे छोड़ दिया गया है सरकार को चाहिए कि पुनः अपील कर सभी को सजा दिलाने में सहयोग करे लेकिन यह तो विशेष अदालत है जिसे केंद्र सरकार ने नियुक्त किया है इस पर कैसे भरोसा किया जाय ? क्यों कि ये तो ईटली की गुलाम सरकार भारत और हिन्दू बिरोधी सरकार है जिसके लिए नयी आज़ादी की लडाई लड़नी ही होगी.

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3 टिप्पणियाँ

  1. कठिन समय है... लोगों को समझदारी से काम लेना चाहिये.

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  2. Conversion activity carried in India by missionaries is a type of violence. Violence breeds violence. The reaction of Mahatma Dara Singh was natural. Rulers of modern India will have to pay price for atrocities against Mahatma Dara Singh.

    Church's activities are more dangerous then that of Islamic terrorist. I hate the envengalist church.

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  3. आपके बेबाक लेखन से शत प्रतिशत सहमत हूँ । लेकिन इस सरकार के आगे बहुतेरे लाचार हैं।

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