जब पूर्वी पाकिस्तान बंग्लादेश बना
''भारत'' बिभाजन के पश्चात् पाकिस्तान के स्वाभविक दो क्षेत्र बने एक प.पाकिस्तान दूसरा पू. पाकिस्तान हमेशा प.पाकिस्तान का राजनैतिक बर्चस्व होने के कारन बंगाली मुसलमानों के प्रति भेद -भाव स्वाभिविक ही था सेना में तो पू.पाकिस्तान के लोग तो थे ही नहीं, धीरे-धीरे बंगालियों के अन्दर राजनैतिक जागरूकता आना शुरू हुआ चुकि पश्चिम के लोगो को ही हुकूमत होने के नाते उनकी मागो को निर्दयता पूर्बक दबाया जाता रहा पडोसी होने के कारन भारत उससे दूर भाग नहीं सकता था, मुक्ति बाहिनी का आन्दोलन जब तेज गति में था उसी समय पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला कर दिया भारत को जबाब देना ही था परिणाम स्वरुप पाकिस्तान का बिभाजन ---- एक नया देश का उदय ''बंगलादेश'' भारतीयों ने बंगलादेशियो की भरपूर मदद की विश्व की क्षितिज में राष्ट्रसंघ ने एक नए देश के रूप में ''बंगलादेश'' को मान्यता दी.।
करोडो घुसपैठिये भारत
लाखो बंगलादेशी मुसलमान भारतीय सीमा में घुश आये, भारत के संसाधनों का भरपूर उपयोग किया कुछ तो गए कुछ यही रुक गए, सम्पूर्ण विश्व के इस्लामिक नेताओ ने बैठक कर बांग्लादेशी मुसलमानों को भड़काया और उन्हें यह अवसर है की भारत में घुश्पैठ करे देखते-देखते इस समय सरकारी आकड़ो में लगभग तीन करोण मुस्लिम घुसपैठिये भारत के बिभिन्न स्थानों पर है एक तरफ वे भारत के संसाधनों पर कब्ज़ा किये हुए है दूसरी तरफ भारत के शत्रु प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उन्हें भारत के संसाधनों पर पहिला अधिकार दिला रहे है, धीरे-धीरे हिन्दुओ की हालत ख़राब होती जा रही है बंगलादेशी मुसलमानों की संख्या इतनी बढती जा रही है की हिन्दुओ का जीना दूभर हो गया है बिहार के पुर्णिया, कटिहार और किसनगंज के हिन्दू तो कोशी के पश्चिम भागने की तयारी में है ।
ग्रेटर बंग्लादेश बनाने कि तयारी
बिहार के किसनगंज, कटियार, पूर्णियाँ, अर्ररिया, दरभंगा, मधुबनी और भागलपुर जिले प बंगाल के मुरसीदाबाद, उ दीनाजपुर, द दीनाजपुर, २४परगना, मालदा, नदियाँ और कोलकाता, असम और झारखण्ड के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक 'ग्रेटर बंगलादेश ' बनाने की साजिस रची जा रही है सीमा के बिभिन्न रास्तो से घुसपैठ बेधडक जारी है कोई पूछने वाला नहीं, दूसरी तरफ बिहार सरकार जिस अलीगढ मु.वि.बि. ने देश बिभाजन की नीव रखी थी, उसकी ब्रांच मुस्लिम बहुल जहा घुसपैठियों का बोल-बाला है वही पर जमीन का एलाटमेंट किया गया है राष्ट्रबदियो ने इसके बिरोध में जब आन्दोलन चलाया तो उन्हें सांप्रदायिक करार दे दिया गया,----- झारखण्ड के पाकुड़ जिले के छ रास्ते से बंगलादेशी मुस्लिमो का घुसपैठ बदस्तूर जारी है, साहिबगंज और गोड्डा के भी कुछ हिस्से इनके प्रभाव में है, इस रास्ते पशु, कोयला, पत्थर, मादक पदार्थ लकड़ी, हथियार इत्यादि की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है, देह ब्यापार भी इसका एक हिस्सा है. घुसपैठ की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रो में जनसँख्या असंतुलन की स्थित उत्पन्न हो गयी है, घुसपैठिये राज्य की अर्थ ब्यवस्था भी प्रभावित कर रहे है, भारत के दम पर जिस बंगलादेश का निर्माण हुआ दुर्भाग्य से वही हमारे देश की आन्तरिक सुरक्षा में सेध लगा रहा है, सीमावर्ती क्षेत्रो के जरिये लाखो की संख्या में घुसपैठ जारी है सूत्रों के अनुसार बिहार, बंगाल, असम और झारखण्ड के कुछ क्षेत्रो को मिलाकर 'ग्रेटर बंगलादेश बनाने की नियत से इन घुस- पैठियों ने रिक्सा ठेला, मजदूरी के बिबिध क्षेत्रो, कृषि, गृह निर्माण, ईट भट्ठा, लघु- उद्द्योग, पर बहुत हद तक कब्ज़ा जमा लिया है।
लूट-अपहरण और हिंसा
चोरी, अपहरण, महिलाओ पर अत्याचार, लव जेहाद तस्करी व अन्य घटनाओ के साथ-साथ आतंकी संगठनों को हथियार की आपूर्ति के अलावा भारतीय अर्थ ब्यवस्था को कमजोर करने के लिए जाली नोटों के कारोबार तक में इनकी संलग्नता उजागर हो रही है एक आकलन के मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्रो झारखण्ड, बिहार, बंगाल मिलाकर प्रति वर्ष लगभग ६-७ लाख घुसपैठिये देश की सीमा में प्रेबेश कर रहे है, भाषाई समानता के कारन ये आसानी से अपने ठिकाने बनाने में सफल हो जाते है. चुनाव तक को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले इन घुसपैठियों को परोक्ष रूप से राजनैतिक दलों का समर्थन हासिल हो जाता है, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड और अब यूआईडी कार्ड से लैस ये घुसपैठिये राज्य के कई हिस्सों में अब बहुसंख्यक हो चुके है, झारखण्ड के पकुदिया, महेशपुर, और सीमावर्ती इलाको में साहबगंज, राजमहल, बारहख , कोडाल पोखर, लाल्बथानी, गुमानी नदी उस पर कई गाव और निकटवर्ती इलाके गाव के दियारा क्षेत्रो में घुसपैठियो की मौजूदगी हो चुकी है. साहिबगंज के तत्कालीन उपायुक्त सुभाष शर्मा ने २००५-०६ में १२ से १४ हज़ार लोगो को चिन्हित किया था कई अधिकारी इस जुल्म में जेल की हवा भी खा चुके है।
नेताओ की इक्षाशक्ति ही समस्या
भारत सरकार भी कुछ इसी दिसा में बढ़ रही है अभी-अभी सितम्बर २०११ में एक समझौते के तहत बिना किसी संसद के निर्णय के ही हजारो एकड़ जमीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बंगलादेश को दे दिया, समझ में नहीं आता की पुरे देश में सन्नाटा क्षाया हुआ है जैसे कुछ हुआ ही नहीं, तथा कथित राष्ट्रबादी दल बीजेपी भी चुप है अभी तक किसी भी बड़े नेता या आडवानी की रथयात्रा में भी इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही, क्या हम सोनिया के चंगुल में बिलकुल फस चुके है ? कि हमारे ही ब्याक्ति को कुर्सी पर बैठा कर हमारे देश को नष्ट करने का प्रयत्न किया जा रह है।
हिन्दू समाज को सतर्क होने की आवस्यकता
यदि हिन्दू समाज नहीं चेता तो पुनः देश बिभाजन की तरफ बढ़ रहा है नेताओ को देश से कोई मतलब नहीं है यहाँ तक की बीजेपी के नेता भी जो मुसलमान हिन्दू लडकियों को भगाकर बिबाह कर लेते है उन्हें ही इनाम के तौर पर संसद और मंत्री बनाते है इस नाते समाज, राष्ट्र को एक साथ खड़ा होना होगा तभी देश बचेगा नहीं तो हम कब-तक देश का बिभाजन सहते झेलते रहेगे।