राष्ट्र बिरोधी तत्व ----!
ऐसे कौन लोग है जो भारत को खंड-खंड करना चाहते है, हिन्दुओ को पद दलित करना चाहते है, भारत की गरिमा को नष्ट करना चाहते है और मानवता बादी संस्कृति को समाप्त करना चाहते है, आखिर उनकी मनसा क्या है ? जो इस कानून बनाने का मसौदा तैयार किये है वे कौन लोग है क्या वे कानून बिद है या प्रतिष्ठित नागरिक है अथवा देश भक्त लोग जिन्होंने देश के जिए कुछ किया हो ऐसा कुछ नहीं समझ में नहीं आता जो भी लोग सोनिया की टोली में है जिन्होंने यह मसौदा तैयार किया है उनपर समय-समय पर देश द्रोह का आरोप लगता रहा है उन्होंने हमेशा राष्ट्र बिरोधी बात ही किया है क्या सोनिया को देश में कोई कानून बिद नहीं मिला ? कोई देश भक्त नहीं मिला इस पर बिचार करना जरुरी हो गया है, क्या हम देश टूटते देखते रहेगे ? हमारी संस्कृति पर हमले हो हम देखते रहेगे, आइये हम देखे की इस टोली में कौन-कौन है. सोनिया की पसंद हम समझ सकते है इनके पसंद सैयद शहाबुद्दीन जिन्हें भारत, हिन्दू बिरोध के नाते जाना जाता है, जान दयाल जैसे ईशाई तिश्ता जावेद, योगेन्द्र यादव,अरविंद केजरीवाल जैसे सेकुलर (अर्बन नक्सली) इस टोली में है कोई चुना हुआ प्रतिनिधि इसमें नहीं है.
१-सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होने वाले हिन्दुओ को दोयम दर्जे का नागरिक के रूप में देखा जायेगा और यह काफी कुछ पाकिस्तान जैसे इस्लामिक राज्य मे लागू पाकिस्तान जैसे हिन्दू विरोधी कानून की तरह है।
२- इस अधिनियम की धारा १ की उपधारा २ के अनुसार यह कानून बहुसंख्यक हिन्दू राज्यों में लागू होगा. यह जम्बू&कश्मीर, मिजोरम एवं नागालैंड राज्यों में लागु नहीं होगा.
३- अधिनियम ३ग के अनुसार किसी भी सांप्रदायिक हिंसा में स्फूर्त रूप से सिर्फ हिन्दू अपराधी माने जायेगे, गैर हिन्दू महिला के ऊपर किया गया दुरव्यवहार अपराध माना जायेगा किन्तु हिन्दू महिला के साथ किया गया बलात्कार अपराध नहीं माना जायेगा.
४- अफजलगुरु, कसाव आदि को फासी की माग करना, घुसपैठियों के निष्काशन की माग करना अपराध माना जायेगा.
५- हमारे मानवीय (भारतीय मन) ढाचे पर प्रहार.
६-अनुसूचित जाती, जनजाति को हिन्दुओ से अलग कर अल्पसंख्यक बनाना.
७- भारत की एकता-अखंडता को नष्ट करना.
८-हिन्दुओ को क़ानूनी सरक्षण से बंचित करना.
९-इस विधेयक में गवाह सिकायत करता की पहचान गुप्त राखी जायेगी, नामित अभियुक्त को उसका नाम पता जानने का अधिकार नहीं होगा.
१०-विधेयक में अभियुक्त को अपने को निर्दोस सिद्ध करना आवश्यक है, बिपरीत सिकायत करता को दोष सिद्ध करना आवस्यक नहीं.
११-मुक़दमा चलाने वाले सरकारी वकील के पैनल में सरकार द्वारा एक तिहाई सदस्य मुस्लिम व इशाई होना आवश्यक है.
१२-कानून के गठित प्राधिकरण में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ चार सदस्य निश्चित ही ईसाई और मुस्लिम होगे.
१३-इस कानून के तहत केंद्र सरकार किसी भी प्रांतीय सरकार को कभी भी आतंरिक बहाना बनाकर बर्खास्त कर सकती है.
१४- यह कानून बर्बर, हिन्दू और भारत बिरोधी है.
१५- प्रकारांतर से हिन्दू अपने ही देश में गुलामी का जीवन जियेगा.
2 टिप्पणियाँ
बेहतरीन प्रस्तुति। बहुत विस्तार से समझाया है आपने।
जवाब देंहटाएंhindoo chete tab n, gulam yun hi thode hi raha hai...
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