कुम्भ में दिखा समरसता, एकात्मता और वैभव का प्रदर्शन--- मिडिया को रास नहीं आ रहा---!

 राष्ट्र चिंतन का कुम्भ ---!

कुम्भ प्रत्येक बारह वर्ष में एक बार प्रत्येक स्थान हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में लगता है जिसमे सर्बाधिक महत्व प्रयाग के कुम्भ का है वैसे तो प्रत्येक वर्ष प्रयाग में माघ मेला लगता जिसमे कल्पवासी लाखों की संख्या में आते है, बड़ी संख्या में साधू-संत और महात्मा भी आते है लेकिन कुम्भ की बात ही कुछ और रहती है इस समय प्रयाग कुम्भ में सायद ही कोई अध्यात्मिक संत या अन्य होगा जो नहीं आया होगा, साधू संतो ने भी कोई कोर कसार बाकी नहीं रखा हिन्दू धर्म के वैभव का प्रदर्शन भर-पुर किया है जो देखते ही बनता है वैसे मैंने प्रयाग के तीन कुम्भ देखा है लेकिन इस बार की बात ही कुछ और है, जहाँ से देखिये वहां लाखों लोग प्रयाग की तरफ आते देखे जा सकते है जैसे सारा देश प्रयाग की तरफ जा रहा हो २२०० उ.प्र. परिवहन की बसें दूसरी कुम्भ मेला स्पेसल सैकड़ो ट्रेन लगायी गयी है फिर भी कैसा है दृश्य तो मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के पश्चात् प्रयाग से गोरखपुर जो सात घंटे का रास्ता है उसे तय करने में ४० घंटे लग रहे है इससे यह पता चलता है की सरकार को इस धार्मिक उत्सव की कल्पना नहीं थी, कुम्भ मेले में चारो तरफ सभी पंडालो में केवल मोक्ष, अध्यात्मिक ही नहीं तो राष्ट्र भक्ति पूर्ण प्रवचन कही रामजन्म भूमि की आवाज तो कहीं देश का प्रधान मंत्री कौन होगा इस पर चर्चा इसका मतलब है की हमारे संत केवल अपने जगतगुरु, महामंडलेश्वर, या मठों में ही नहीं उलझे बल्कि पुरानी परंपरा के अनुसार छुवा-छुत भेद-भाव से ऊपर उठकर देश का नेतृत्व कैसा हो इस पर बिचार.।

 साधू संतों का कार्य समाज कि रक्षा--!

एक बड़े ब्यक्ति ने हमसे पूछा की बाबाओ का यह प्रदर्शन जिसमे करोणों खर्च किया यह धन विद्यालयों अथवा चिकित्सालयों में लगाया जाता तो कितना अच्छा होता उन्हें यह बात नहीं समझ में आती कि यह काम सरकार का है, चिकित्सा, शिक्षा पर ध्यान दे, मठ- मंदिरों अथवा साधू महात्माओ का काम तो धर्म व राष्ट्र बचाना है, गुरुकुल चलाना, संस्कार देना समाज की ब्यवस्था को ठीक करना, समरस समाज का निर्माण करना, उन्हें यह नहीं पता है कि देश हज़ार वर्ष गुलाम रहा हिन्दू धर्म के अनुयायियों ने तो जजिया कर देकर धर्म की रक्षा की तो इस समय देश आज़ादी के साठ वर्ष भी यदि हम प्रदर्शन नहीं करेगे तो कब करेगे---?

भारतीय मीडिया विदूषक की भूमिका में--!

लेकिन मिडिया की भूमिका तो बिदुसक की ही है जहाँ करोणों लोग होगे वहां कुछ न कुछ छोटी-मोटी दुर्घटना होना स्वाभाविक है और कुम्भ की यह दुर्घटना तो सरकार की लापरवाही ये होना ही था इतनी बस्दी दुर्घटना होने बावजूद भी कोई देखने तक नहीं आया मुख्यमंत्री की अक्ल ही गुम हो गयी है वे केवल मुसलमानों को प्रसंद करने में लगे हुए हैं, जब हिन्दू धर्म के महान पर्व का मालिक आजम खा जैसे को बनाया जायेगा तो यह होगा ही ये आजम खां कौन है ये वही है जिसने कहा था कि भारत माता नहीं ये तो डायन है डायन, आज मिडिया भारत को आइस्थिर करने वालो के हाथो में खेल रही है कभी अन्ना आन्दोलन, कभी केजरीवाल तो कभी दामिनी जैसे मुद्दों को तूल देना, आज कुम्भ के बारे में भी इसी प्रकार कर रहे हैं मिडिया तो हाय-तोबा मचा रखी है जिससे हिन्दू समाज प्रयाग न जाय शायद उन्हें यह नहीं पता कि कश्मीरी आतंकबादियो की धमकी के बावजूद भी अमरनाथ यात्रा रुकी नहीं इस नाते कुम्भ हमारी हिन्दू धर्म कि सबसे बड़ा समागम है जो विश्व में कहीं नहीं मिलता चर्च प्रेरित मिडिया को यह हिन्दू धर्म का विशाल प्रदर्शन बर्दास्त नहीं हो पारहा है मिडिया यह नहीं देख्पति की भारतीय परंपरा के सभी मत-पंथ यहाँ चिंतन-मंथन के लिए उपस्थित हैं यह कुम्भ तो ऐसा है जहाँ दुनिया के कई देश समां सकते हैं कम नहीं एक ही दिन साढ़े तीन करोण, क्या और किसी संप्रदाय जैसे इस्लाम के अनुयायी शिया-सुन्नी व कादियानी अथवा ईसाई में प्रोटेस्टेंट, कैथोलिक एक साथ इतनी बड़ी संख्या में रह रकते है क्या--? यदि इक्कट्ठा हों तो लाखों आपस में लड़कर मर जायेगे, लेकिन यहाँ तो शैव, साक्त, वैष्णव, बुद्ध, जैन, अथवा आर्यसमाजी तथा नए-नए पंथ इकठ्ठा है लेकिन कोई दुर्घटना नहीं सभी एक दुसरे के यहाँ आ जा रहे है यह एकात्मता का भाव मिडिया को दिखाई नहीं देता जहाँ कोई उंच-नींच नहीं कोई भेद-भाव नहीं उन्हें केवल एक दुर्घटना ही दिखाई पड़ा आज आवस्यकता है की मिडिया देश के प्रति अपनी सोच बदले और सकारात्मक दिशा में बढे यही उसके और देश के हित में होगा ।.

राष्ट्र मंथन का कुम्भ--!

 आईये हम बिना किसी भेद-भाव के भारतीय राष्ट्र का निर्माण करें जो इसी मार्ग से सम्भव है भारतीय राष्ट्र का निर्माण शक्ति शाली देश इसी मार्ग से खड़ा हो सकता है शायद ही दुनिया में साढ़े तीन करोण एक साथ इकठ्ठा होते होगे पूरे कुम्भ में इस बार लगभग दस करोण हिन्दू भाग लेंगे, बड़ी संख्या में विदेशी तमाम पंडालो में डेरा डाले गंगा स्नान के लिए पड़े हुए है उन्हें यहीं शांति मिलरही है ।   

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. JIS PRAKAR VEW SWYAM PRANAM HAI USI PRAKAR KUMBH SAMARASTA KA SWAYAM PRANAM HAI SEKULAR MIDIYA KO KUCHH DIKHAYI NAHI DETA WAH TO BHARAT WA HINDUTW DONO KA BIRODHI GEET GA RAHA HAI.

    जवाब देंहटाएं