केसरिया बौद्ध स्तूप अथवा राजा बेन का गढ़ ----!

         राजा बेन की कुल देवी 

भारतीय संस्कृति को बिकृत करने के लिए कुछ इतिहासकार और अर्कोलाज़ी बिभाग के लोग भरपूर कोशिश कर रहे है, उसका एक उदहारण केशरिया बुद्ध स्तूप भी है, वैदिक काल में ''महाराजा वेन'' हुए थे वे बड़े ही पराक्रमी थे उनके अन्दर अहंकार आने से स्वयं ही अत्याचारी होकर जनता को पीड़ित करने लगे, आगे की कथा है की ऋषियों के समझाने पर नहीं मानने की सजा उनको मृत्यु के रूप मिली, राजा तो चाहिए उनके शरीर का मंथन कर ''राजा पृथु'' का जन्म होता है, यह केशरिया स्तूप जिसे बताया जा रहा है, वह महाराजा वेन की सुरक्षा सैनिक चौकी थी आज भी वहां रनिवास और घुडसाल के अवशेष पाए जाते हैं आज भी उनकी कुल देवी ''राज़देवी भगवती'' वहीँ बिराजमान हैं हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं, वहां के बहुत से क्षत्रिय बंश के लोगो की कुलदेबी 'राज़देवी' ही हैं उनकी गाड़ियों पर 'राज़देवी' लिखा हुआ मिलता है, इस मंदिर को भी तोड़ने का प्रयास सरकार ने किया वहां की जनता के प्रबल बिरोध के बाद बच पाया।

सुरक्षा चौकी बना बौद्ध स्तूप 

''अजातशत्रु'' नाम का शासक जो बौद्धधर्म स्वीकार कर चुका था उसने जबरदस्ती इसका बौद्धिकरण किया, आज यह इसका सुबूत है देश में बौद्धों ने बहुत सारे मंदिरों और मूर्तियों को तोडा ''झारखण्ड'' के 'गुमला' जिला में ''टांगी-नाथ'' भी इसका गवाह बनकर खड़ा है ''वैशाली गढ़'' के चारो कोनो पर विशाल ''शिव लिंग'' थे वे कहाँ गए अभी वही एक विशाल ''चतुर्मुखी शिवलिंग'' खुदाई में मिला है इसी प्रकार 'केशरिया स्तूप' के पास एक 'शिवलिंग' मिला है आज स्वतंत्र भारत में बौद्धि करण जारी केशरिया इसका साबुत है वास्तव में ये स्तूप न होकर 'राजा वेंन' की सुरक्षा चौकी थी जिसे आज स्तूप के रूप में जाना जा रहा है।

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4 टिप्पणियाँ

  1. अवकाशप्राप्त न्यायधीश तथा भारतीय प्रेस कौन्सील के अध्यक्ष मार्केंडे काट्जू नए कहा है की पाकिस्तान नकली देश है तथा एक दिन वह भारत तथा बंगलादेश के साथ फिर से मिल जाएगा. उन्होंने यह भी कहा है की ब्रिटेन नहीं चाहता था की भारत एक विकसित मुल्क बने, इसलिए हिंदू तथा मुसलमानों के बीच झगड़ा लगा कर चले गए. आज भारत में ज्यादा कट्टर साम्प्रदायिक हिंदू तथा मुसलमान है जैसा १०० साल पहले नहीं था. क्या संघ भी ब्रिटेन के इशारों पर हिंदू मुस्लीम के बीच झगड़ा करवाने में अपनी भूमिका निभाता है? अब तो बौद्धों के साथ भी झगड़ा करवाने पर तुल गए हैं आप.

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  2. pres caunsil ke adhyaksh kataju soniya ke aejent hi nahi desh drohi bhi hain .

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  3. मैं इस स्थान की यात्रा दो बार कर चुका हूँ. मेरे नानी जी के गाँव साहेबगंज से नजदीक ही है. इतिहास में निर्माण और विध्वंश चलता रहता है. फिर भी इस बारे जिज्ञासा है. सम्राट अशोक चक्रवर्ती पराकर्मी थे. बंगाल से लेकर गांधार (अफ़ग़ान) तक उनका राज था.

    यह अपने महान देश (आर्यावर्त) की महिमा ही ऐसी है कि अंत में लोग हिंसा से ऊबकर शान्ति की शरण में अपना माथा टेक देते हैं. अशोक भी बौद्धिक हो गए. बहरहाल, इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के तौर पर सुरक्षित क्षेत्र होना चाहिए।

    सभी हिंदी ब्लॉगर और पाठक बंधुओं को ग्रेगोरियन कलेंडर (नव वर्ष) की बधाई।

    - सुलभ

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