जब चन्द्रगुप्त ने महापद्म नंद का नाश किया
विश्व के अंदर अहिंसा का सबसे बड़ा उपदेश देने वाला देश भारत जिसने ''महात्मा बुद्ध'' जैसे महापुरुष को जन्म दिया, शांति की स्थापना कब हो सकती है जब मानवतावादी सकारात्मक सात्विक विचार वाले शक्ति सम्पन्न होंगे भगवान बुद्ध का जन्म उस समय इसी कारण हुआ जब वैदिक धर्म व्यवहारिक न होकर केवल कर्मकांड मे फंस गया था तब महात्मा बुद्ध ने सभी राजाओं को संगठित कर नए मार्ग को प्रसस्त कर वेदों की व्यावहारिक जीवन पद्धति को अपना कर हिंसा को बंद कराया उन्होने कोई पंथ नहीं चलाया, कहते हैं बुद्ध मुस्कराये कब जब 'सम्राट चन्द्रगुप्त' ने 'महापद्म नन्द' वंश को समाप्त कर विशाल साम्राज्य की स्थापना की ! जब 'सम्राट अशोक' विश्व शांति स्थापित करने की सैनिक क्षमता ग्रहण की तब ''बुद्ध मुस्कराये,'' कोई भी कमजोर संस्था अथवा राजा बिना शक्ति सामर्थ्य के कुछ नहीं कर सकता इसलिए बुद्ध कब मुस्कराते हैं जब कोई सद-विचार, मानवतावादी सभ्य समाज शक्ति शाली हो उभरता है जिससे विश्व मे शांति स्थापित होने की संभावना हो तब बुद्ध मुस्कराते हैं।जब पुष्यमित्र शुंग
जब चाणक्य ने सम्राट चन्द्रगुप्त को 'पाटिलीपुत्र' की गद्दी पर बैठाया (जहां तक हिन्दू संस्कृति वहाँ तक भारत) भारतीय सीमा का वास्तविक निर्धारण किया तब बुद्ध मुस्कराइए, जब अंतिम मौर्य सम्राट 'बृहद्रथ' का 'बध' कर ''सेनानी पुष्यमित्र शुंग'' पाटिलीपुत्र की गद्दी पर बैठा (वैदिक धर्मानुकूल शासन) तब बुद्ध मुस्कराये और फिर बुद्ध मुस्कराये जब सम्राट ''चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य'' ने भारत की सीमा का विस्तार 'अरब' तक किया ''हूड़ों'' को 'भारत भूमि' से बाहर किया 'विक्रम संबत' प्रारम्भ किया, एक बार फिर बुद्ध मुस्कराये जब अदुतीय वीर महान ''हिन्दूसम्राट पृथ्बीराज चौहान'' दिल्ली की गद्दी पर बैठा वे फिर मुस्कराये जब 'सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य' ने तुर्कों से सत्ता छीन 'हिन्दू साम्राज्य' स्थापित किया, भगवान बुद्ध फिर मुस्कराये जब हिन्दू कुल भूषण ''महाराणा प्रताप'' ने मुगल विदेशी सत्ता के समाप्ति का संकल्प लिया, जब राणा राजसिंह, गुरुगोविंद सिंह, क्षत्रपति शिवाजी ने मुगल सत्ता को तार- तार कर समाप्त कर दिया और क्षत्रपति संभाजी राजे-वीरबंदा बैरागी जैसे हुत्तामा को बलिदान होते देखा ! बुद्ध फिर मुस्कराये जब महाराजा रंजीत सिंह, हरी सिंह नलवा ने अफगानिस्तान तक हिन्दू साम्राज्य को फैलाया और इस्लाम को उसी भाषा मे जबाब दिया (हरीसिंह नलवा ने मारे खेद-खेद अफगान पठन)।जब राष्ट्रवाद का अलख जगा
भगवान बुद्ध ने जब देखा भारत भूमि मे छट-पटाती भारत माता के दुख हरने जहां 'स्वामी दयानन्द सरस्वती' ने ऋषि अनुकूल ग्रन्थों की रचना व ''वेदों'' का भाष्य किया, 'आर्यसमाज' की स्थापना कर हजारों क्रांतिकारी तैयार किया वहीं 'स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती' ने सुद्धी सभा का गठन कर हजारों हुए बिधर्मियों को पुनः हिन्दू धर्म मे वापसी की, 'स्वामी विबेकानंद' ने विश्व गर्जना शुरू कर दी, 'वीर सावरकर' ने ब्रिटेन मे जा क्रांतिकारियों की फौज ही खड़ी कर दी, ''प पू डॉ केशव बलीराम हेड्गेवार'' ने 1925 मे नागपुर मे 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की स्थापना कर हिन्दू समाज मे देश भक्ति का ज्वार ला दिया, 'नेताजी सुभाषचन्द्र बोस' ने जय-हिन्द नारा के साथ ''आज़ाद हिन्द फौज'' की स्थापना-- तब बुद्ध मुस्कराये जब भारत आज़ाद हुआ और वे फिर मुस्कराये, जब भारत ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर उसके टुकड़े कर एक नया राष्ट्र खड़ा कर दिया बुद्ध फिर मुस्कराये, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री ''अटल बिहारी वाजपेयी'' ने पोखरण किया भारत परूमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र हो गया ।भारत का उदारमना विचार ही विश्व मे शांति स्थापित कर सकता है इतिहास गवाह है की भारत ने बलात अपने विचार किसी के ऊपर नहीं थोपा न ही किसी पर आक्रमण किया हमारे पास विचार है क्षमता है हम उसके लिए शक्ति आराधना कर हम पुनः बुद्ध के मुस्कराने का आवाहन कर सकते हैं।