बहुत से हिन्दू समाज के प्रगतिशील 21वीं सदी मे अपने को कहने वाले यह कहते नहीं थकते की दीपावली प्रकाश उत्सव है क्या हिन्दू समाज बिना किसी विचार के कोई पर्व मनाता है नहीं---! प्रत्येक पर्व- परंपरा और त्यवहार के पीछे कोई विचार, कोई उद्देश्य छिपा होता है, अपने अंतर मन को ज्ञान से प्रकाशित करने वाले इस पर्व मे गणेश और लक्षमी की क्या आवस्यकता है ! कहते हैं कि गणेश जी बुद्धि के देवता हैं जब कृष्ण द्वैपायन {वेद ब्यास} को महाभारत की रचना करनी हुई तो उन्होने भगवान गणेश का आवाहन किया और व्यास जी बोलते गए गणेश जी लिखते गए।
गणेश यानी क्या --?
ऋग्वेद मे गणपती बुद्धि के देवता का वर्णन आता है, वैदिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी को लंबोदर यानी बड़े पेट वाला, कान हाथी के बहुत बड़ा, मुख छोटा, सवारी कैसी तो चूहे की इतनी बड़ी शरीर चूहे की सवारी अजीब है, पृथ्बी की परिक्रमा करनी है तो माता-पिता की परिक्रमा कर पूरा लेते करते हैं, इनके कान बहुत बड़े हैं वे सब कुछ सुनते हैं पेट इतना बड़ा है कि उसमे सब कुछ पचा जाते हैं मुख बहुत छोटा है अवस्यकतानुसार ही बोलते हैं, सवारी चूहे यानी माउस आज-कल जिससे कंप्यूटर चलता है, इन्हे हम लोकतन्त्र का भी देवता कह सकते हैं, जहां बुद्धि वास करेगी वहीं लक्ष्मी वहीं निवास करेंगी यानी बुद्धिमान ब्यक्ति ही धन का स्वामी हो सकता है।
आर्थिक चिंतन---!
दीपोत्सव के दिन मनुष्य ख़रीदारी करता है घर को सजाता है घर की सफाई इतना ही नहीं नए घर मे प्रवेश सबसे अच्छा माना जाता है छोटे- छोटे बालक खेलने के लिए सही नया-नया घर बनाते हैं पटाखे दागना, अपने प्रतिष्ठान, घर, प्रत्येक खेत मे दीप जला केवल मन का उजाला ही नहीं तो खेत, खलिहान मे भी संपन्नता का उद्घोष करना, यानी यह त्यवहार निर्माण का है कुछ न कुछ खरीदना, सोने का सिक्का, चादी का सिक्का खरीदना उसके द्वारा पूजा करना आज-कल जो भी खरीदना है दीपावली पर खरीदना वर्ष भर प्रसन्नता वैभव संपन्नता बनी रहे यह संपन्नता का द्वैतक माना जाता है यानी लक्ष्मी का बास घर मे, इसी कारण लक्ष्मी की पूजा प्रत्येक घरमे हमारे यहाँ यह उत्सव वैदिक काल से आज- तक चला आ रहा अनादि काल तक चलने वाली है और अब यह भारत का राष्ट्रीय त्यवहार बन चुका है।
भैया द्विज---!
पौराणिकों ने इसी बुद्धि के देवता को मूर्ति का जामा पहना कर गणेश और लक्ष्मी की पुजा शुरू कर दी, आज के दिन पूरे भारतवर्ष मे सम्पूर्ण भारतीय दीपावली के दिन गणेश-लक्ष्मी की पुजा करता है ये दोनों एक प्रकार से भाई -बहन भी हैं इसलिए भैया द्विज भी दूसरे दिन ही होता है।
2 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंप्रकाशोत्सव के महा पर्व दीपावली की शृंखला में
पंच पर्वों की आपको शुभकामनाएँ।
Sunder rochak prastuti.....aapko diwali parv ki mangalkamna !!
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