''मुसहर'' नव जवानों के हाथों में ''मूस'' नहीं ''माउस'' चाहिए---!

       

मुसहर राजा सगर के वंशज---!


भारत विभिन्न प्रकार के जातियों का देश है लेकिन वे सभी आर्य हैं, वैदिक युग में वर्ण व्यवस्था थी कोई छोटा -बड़ा नहीं कोई ऊँच -नीच नहीं यदि कोई विकृति आयी भी तो किसी न किसी महापुरुष ने सभी समस्याओं का समाधान किया इतना ही नहीं तो समाज में ऐसी ब्यवस्थायें थी कि आपस में मिल बैठकर सब निबटा लेने की भी क्षमता थी, लेक़िन एक समय ऐसा भी आया जिसे हम इस्लामिक काल कहते हैं, एक लंबे समय की जो बिकृति थी जो किंही कारणो से अपनी सुरक्षा के लिए बनाई गयी थी वह रूढ़ि बन गई, हमारे पूर्वजों ने इस दौरान बहुत संघर्ष किया "श्रीविजय" (स्वामी रामानन्द जीवनी) में लिखते हैं कि जब बचपन मे 7 वर्ष की आयु मे शिक्षा ग्रहण हेतु स्वामी जी प्रयाग से काशी जाने के रास्ते में रात्रि विश्राम के लिए रुकते हैं उस समय संध्या काल उनके प्रवचन सुनने हेतु जब लोग इकट्ठा हुए तो स्वामी जी उपदेश देते हैं कि तुम सामान्य प्राणी नहीं हो तुम सब धर्म योद्धा हो तुमने धर्म नहीं छोड़ा धर्म बचाने के लिए तुम सब यहां (जंगल) हो, वास्तविकता यह है कि इस सङ्घर्ष काल में इस समाज के लोग 'दलित और गरीब' हो गए हमें लगता है कि इस्लामिक काल के पहले ये जातियोँ नहीं थी, दबे कुचले लोग यह रूढ़ सा बन गया हमने हमारी भाग्य को कोसना शरू किया उपाय नहीं किया आज समय की आवश्यकता है समरस समाज का निर्माण हो।

  गौरव शाली अतीत


 हमे पूरा भरोसा है कि भरतीय वांग्मय में सभी जातियों का सम्वन्ध किसी न किसी राजवंश से है तो मुसहरों का भी कोई राजवंश तो होगा ही इस पर खोज आवस्यक है, एक कथानक के अनुसार इनका सम्वन्ध 'राजा सगर' से है राजा सगर कौन थे ? यह हमें जानना जरूरी है धरती पर 'भगवान श्रीराम' के वंशजों में उनके पूर्वज 'इक्ष्वाकु वंश' में ही 'राजा सगर' पैदा हुए उनके कोई संतान नहीं थी उन्होंने पत्नी सहित तपस्या की ब्रम्हा जी के वरदान से इनके एक रानी सुमति के गर्भ से एक 'तुम्बा' निकला निराश राजा ने उसे फेकना चाहा तभी आकाशवाणी हुई कि इस तुम्बे में साठ हजार वीज है उसे 'घी भरे' के घड़े में रखा गया समय से उसमे साठ हजार बालक पैदा हुए राजा ने अश्वमेध यज्ञ किया घोड़ा छोड़ा, इंद्र ने घोड़ा चुरा कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया राजकुमारों को लगा कि यह घोड़ा मुनी ने चुराया है उनका अनजाने में अपमान किया मुनी की आंख खुली सभी राजकुमार भस्म हो गए, एक कथा अनुसार यह 'समुद्र' राजा सगर के पुत्रों ने खोदा इस धरती के निर्माण में राजाओं का बड़ा ही योगदान रहा है उस समय यह हिमालय भी इतना ऊंचा नहीं रहा होगा तभी सिंचाई हेतु इसी वंश के 'राजा भगीरथ' ने हिमालय से इसकी खुदाई कर इतने वड़े भूभाग के सिचाई की ब्यवस्था की आज इसी को हम गंगा नदी कहते हैं आज भी उत्तर भारत के अधिकांश भाग गंगा जी के द्वारा ही सिंचित हैं, 'राजा सगर' ने वास्तव में पूरी धरती का शोधन किया कितना भाग पानी होना चाहिए, कितना भाग कृषि भूमि होनी चाहिए, कितना भाग जंगल चाहिए और कितना पहाड़ चाहिए यह चिंतन किया हमारे राजा ने, इस प्रकार भारत वर्ष में मुसहरों की कई जातियां हैं इन्हें जमीन की बड़ी जानकारी थी इन्हीं राजा सगर के पुत्रों के वंसज हैं मुसहर, भारत के आर्य जाति मे ये कहीँ वनबासी, कही दलित माने जाते हैं लेकिन इनका गौरव पूर्ण इतिहास है ये भगवान राम के पूर्वजों के वंश से आते हैं। 

महान परंपरा के वाहक

इस जाती में स्थान- स्थान पर आज भी राजा पाये जाते हैं वे ही अपने सामाजिक न्याय व्यवस्था देते हैं आज भी उनका वड़ा ही सम्मान है उनका निर्णय सर्बोच्च निर्णय माना जाता है, इस समाज मे विभिन्न प्रकार के नामों से पुकारा जाता है जैसे माझी, दास और ऋषिदेव इत्यादि, समाज मे कई प्रकार के देवताओं की पूजा भी होती है बिहार के कुछ हिस्सों में " दीना -भद्री" जैसे देव पाये जाते हैं यदि कुछ समग्रता से यदि देखा जाय तो "सबरी माता" की पूजा पूरे देश में की जाती है इनमे पुरोहित भी होते हैं जो अपने समाज मे बड़े ही प्रतिष्ठित माने जाते हैं उनका कार्य पुजा- पाठ कराना, शादी- विवाह कराना तथा समाज को सनातन धर्म के प्रति आग्रही बनाए रखना है, इस प्रकार संपूर्ण भारत में यह जाती किसी न किसी नाम से पायी जाती है इसका अपना गौरव पूर्ण इतिहास है यह ओ राजवंश है जिसने धरती का सोधन किया, कितना भाग जंगल, कितना भाग पहाड़, कितना भाग पानी होना चाहियें आज भी इस जाती के लोग जमीन खोदने का कार्य करते हैं, एक- एक अन्न बचाने का कार्य जमीन को खोदकर निकालना, वास्तविकता यह है कि जिन लोगों ने धर्म व देश के लिए संघर्ष किया उन्हें ही पददलित किया गया, यह सब इस्लामिक कल की दें है, क्योंकि भरतीय वांग्मय में कोई ऊँच- नीच, छुवा-छूत तथा भेद-भाव को कोई स्थान नहीं था वर्ण व्यवस्था थी जिसमे कोई भी अपने कर्म के आधार पर ब्रह्मण, अपने कर्म से क्षत्रिय तथा शूद्र बन सकता था इसीलिए डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर ने हू आर शूद्रा मे लिखा है कि ये ओ शूद्रा नहीं हैं क्योंकि प्रथम 'चक्रवर्ती राजा सुदास' अपने कर्म से 'शूद्र' हो गया था वहीं शूद्र कुल मे पैदा हुए ''कवष एलुष व दीर्घतमा'' जैसे ऋषि 'ऋग्वेद' के मंत्र द्रष्टा बन ब्रह्मण हो गए ।

 प्रत्येक क्षेत्र मे अग्रसर

आज वर्तमान में इस जाति ने अपना गौरव पूर्ण इतिहास की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है यहाँ देश व धर्म की रक्षा हेतु बलिदान हुए 'सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी तिलका मांझी' तो सामाजिक पुरुषार्थ जगाने वाले 'दशरथ मांझी' ये ऐसे नाम है जिन्होने अखिल भारतीय प्रसिद्धि प्राप्त किया तो वहीं बिहार के अररिया में विद्वान पूर्व विधायक परमानन्द ऋषिदेव, पूर्णिया में वर्तमान मंत्री श्री कृष्ण कुमार ऋषिदेव तो गया में सांसद हरि मांझी जैसे राजनेता हुए हैं जहाँ बड़ी संख्या में मेधावी छात्र आगे आ रहे हैं वहीं धर्म- संस्कृति रक्षा हेतु गुरु व गुरुमाताएँ अलग धारा लिए सभी दिशाओं में अग्रसर है आज की पीढ़ी माउस यानी कम्प्यूटर की ओर बढ़ रही है, अपना समाजिक उत्थान तो स्वयं ही करना होगा हम आर्थिक व समाजिक दृष्टि से पिछड़े हैं तो उसके लिए किसी और को दोष न देकर गतिशील व सकारात्मक संघर्ष करने की आवश्यकता है हम धरती के निर्माण में अद्भुत भूमिका निभाने वाले सम्राट सगर के वंशज हैं।

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3 टिप्पणियाँ

  1. Jay Shree Ram Jay Manjhi
    ऐसे ही मांझी का गौवशाली इतिहास बताएं 🙏🙏🙏🔥👍

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  2. Sir main ye sab padhkar or sunkar bahhut khush hua hoon ki hamein apne musahar jaati hone par garve hota hai

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  3. Sir i also belong this category, I know why their conditions is so pitiable because they have nothing any type of importance about education and government also are not responsible for their growth. At 1 st government would give proper education and importance of education would be produce in their mind. My self krishna kumar rishi, I am studying B. Tech in it.

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