जब जब हिंदू जागा तब तब शांति...!

 


हिंदू दर्शन 

सर्वेभवःन्ति सुखिनः सर्वेसंतु निरामया, सर्वे भद्राणी पश्यन्तु मां कश्चित दुःख भाग भवेत।

यही हिंदू दर्शन है जिसे हम भारतीय दर्शन भी कह सकते हैं, सभी सुखी हों, सभी निरोगित हों किसी को किसी प्रकार का कोई कष्ट न हो। यही भारतीय दर्शन है जिसे प्रत्येक हिंदू जीता है क्योंकि उसे बचपन से ही इस प्रकार का संस्कार दिया जाता है वह केवल उपदेशात्मक ही नहीं बल्कि ब्यवहारिक रूप से सिखाया जाता है जैसे हमारी माँ भले ही पढ़ी लिखी न हो लेकिन वह अपने बच्चे कोई कहती है कि बेटा चींटी को चारा दे आ!और बालक चारा देकर आता है जिससे माँ यह बच्चे को समझाने का प्रयत्न करती है कि सभी जीव जंतुओ को भूख लगती है और उसे भोजन देने का दायित्व मनुष्य का है।

अहिंसा परमो धर्म:, धर्म हिंसा तथैवच:।

हिंदू सनातन धर्म में अहिंसा परम धर्म है यानी सर्वोच्च धर्म माना गया है लेकिन यह अधूरा पार्ट है, आगे है धर्म हिंसा तथैवच यानी अपने धर्म रक्षार्थ हिंसा उससे भी बड़ा धर्म है। देश के अंदर एक तथाकथित स्वतंत्रता सेनानी पैदा हुए जिनको महापुरुष, महात्मा इत्यादि उपाधियों से उपकृत किया गया। लेकिन ये सब के सब अहिंसा का पाठ केवल हिन्दुओं को पढ़ाते रहे यानी हिंदू समाज सीधा सादा उसने इन पर विश्वास कर इनकी बात मान लिया उसके बदले हिन्दू सनातन वैदिक मतावलम्बियों को धोखा, हिंसा, बलात्कार और देश के टुकड़े परिणाम स्वरुप अहिंसा -अहिंसा के नाटक करने वालों ने लगभग एक करोड़ हिन्दुओं की हत्या कराई। दुर्भाग्य यह है कि आज भी हिंदू समाज उसी भ्रम में जी रहा है। लेकिन श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन ने हिंदू समाज के अंदर चैतन्यता लाने का प्रयत्न किया h और उसका परिणाम दिखाई देने लगा है।

हीन भावना से ग्रसित हिंदू समाज 

देश के अंदर दो प्रकार के लोग आये एक साधू संत महापुरुष और दूसरे तथाकथित साधू संत और महापुरुष यही देश का दुर्भाग्य था। विसवीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही इन दो प्रकार के महापुरुषों के बीच संघर्ष चल रहा था। एक खेमा राष्ट्रवादी था जिसने भारत के मौलिक इतिहास को लिखना शुरू किया दूसरे को ये अपने अंदर हीनता का बोध था। कुछ महापुरुष जैसे स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानंद ने आठवीं शताब्दी के प्रारम्भ में देश के जगाने हेतु भारतीय इतिहास की वीरगाथा को लिखना बोलना शुरू किया। जिसमें बाप्पा रावल ने महाराजा दहिर की पराजय का बदला अरवी खलीफा को अरब देश तक पराजित किया, लब लौटे तो प्रत्येक सौ मील पर किला बनाते आये जिसमें सैनिक रखे गये इस कारण कोई पांच सौ वर्षो तक किसी बिदेशी की हिम्मत नहीं हुई कि वह भारत की ओर आँख उठाकर देख सके। एक दूसरी ओर जो तथाकथित महापुरुष थे जैसे राजाराम मोहन राय, महात्मा गाँधी जो अंग्रेजो के द्वारा पोसित थे उन्होंने अंग्रेजो को देवदूत बताना शुरू किया। इन लोगों ने महाराणा प्रताप, क्षत्रपति शिवाजी, चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाषचंद बोस, भगतसिंह, वीर सावरकर इत्यादि को भटके हुए राष्ट्र भक्त बताना समाज में इनके प्रति अश्रद्धा पैदा करना। और आठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी यानी बीच के पांच सौ साल का इतिहास गायब। इन लोगों ने हमें गुलामी का गलत इतिहास पढ़ाने का काम किया, वास्तविकता यह है कि हम कभी गुलाम नहीं हुए लड़ते रहे, संघर्ष करते रहे लेकिन नेहरूवादी, वामपंथी इतिहास कारों ने यह सब कुकर्म किया।

जब-जब हिंदू समाज खड़ा हुआ शांति स्थापित हुआ

हम आपको ले चलते हैं मौर्य वंश की ओर जब सीमा क्षेत्र के महाराजा पोरस ने दिग्विजयी सिकंदर को युद्ध मैदान में धूल चटाई, सिकंदर भारत में प्रवेश नहीं कर सका उसके सैनिको ने लड़ने से इंकार कर दिया और सिकंदर को वापस जाना पड़ा। चन्द्रगुप्त मौर्य जब भारत का चक्रवर्ती सम्राट हुआ उसके बाद सैकड़ो वर्षो तक किसी भी विदेशी की हिम्मत नहीं हुई की वह भारत पर हमला कर सके। 712 ईं. में भारतीय सीमा रक्षक महाराजा दाहिर की पराजय के पश्चात्, दाहिर का पुत्र मेवाड़ नरेश बाप्पा रावल से मिला उसने बाप्पा से कहा शत्रु अपने जैसा नहीं है वह महिलाओं को, बच्चों को, गायों को नहीं छोड़ता शत्रु गांव के गांव जला देता है, फसलों को खाक कर देता है। भारत के सम्राट बाप्पा रावल को इस्लामिक अवधरना को समझने में देर नहीं लगी। उन्होंने उसी प्रकार की तैयारी किया देशभर के सभी राजा महाराजाओ को बुलाया गया सभी विदेशी इस्लामिक हमले के विरुद्ध एक थे फिर क्या था? भारतीय सेना ने अरब तक जीता। अब खलीफा गिड़गिड़ाने लगा दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी, लेकिन बाप्पा रावल के गुरु हारीत मुनी ने कहा समझौता ऐसे नहीं होगा। समझौता जैसे चन्द्रगुप्त मौर्य और सैल्यूकस का हुआ था उसी प्रकार होगा फिर खलीफा के सेनापति की पुत्री मैयाह का विवाह बाप्पा रावल के साथ हुआ। जब दिग्विजयी सेना लौटी तो प्रत्येक सौ मील पर ठिगाना बनाते आयी, 712 से 1195 तक किसी भी इस्लामिक आतंकी सेना, खलीफा की हिम्मत नहीं हुई की वह भारत की ओर आँख उठाकर देख सके। भारत के सत्ता का केंद्र महाराणा राजसिंह तक मेवाड़ बना रहा।

बिसवीं शताब्दी-जब हिंदू जागा---!

इन कांगियों, वामपंथियों और इस्लामिक आतंकवादियों की मिली जुली चाल कारण 15अगस्त 1947 को देश का विभाजन हुआ। जवाहरलाल नेहरू अंतरिम सरकार के गाँधी जी की कृपा से प्रधानमंत्री थे, बंगाल के प्रधानमंत्री सोहराववर्दी थे, सोहराववर्दी जिन्ना का आदमी था वह चाहता था कि कोलकाता पाकिस्तान में रहे इसके लिए उसने 1946 ईद के दिन कोलकाता के एक मैदान में घोषणा की कि कर्बला के मैदान में मुहम्मद के साथ केवल तीन सौ लोग थे फिर भी दस हजार पर भारी पड़े थे, हिंदू तो कायर है एक-एक मुसलमान सौ-सौ हिन्दुओं पर भारी पड़ेगा। और हिन्दू कोलकाता छोड़कर भाग जायेगा। फिर क्या था हिन्दुओं पर हमले शुरू हो गये चौबीस घंटे के अंदर हज़ारों हिन्दुओं का कत्लेआम हो गया। अब हिंदू क्या करें? मरने वाले अधिकांश बिहार और उड़ीसा के थे बिहार में प्रतिक्रिया शुरू हो गयी। कोलकाता में "गोपाल पाठा" ने हिंदू समाज की बैठक किया उन्होंने आह्वान किया कि ज्यादे नहीं एक हिंदू केवल दस मुसलमानो को मारेगा फिर क्या था चौबीस घंटे के अंदर पांच हजार का आकड़ा पार हो गया। वास्तविकता यह है कि मुसलमान धरती की सबसे डरपोक कौम है! अब मोमिन भागने लगे सोहराववर्दी चिल्लाने लगा और जब तक हिन्दू मारा जाता रहा तब तक गाँधी नहीं आया लेकिन जैसे मोमीनों की हत्या शुरू हुई 'गाँधी' कोलकाता पहुंच गया। उधर नोआखाली में हिन्दुओं पर हमले शुरू हो गये नोआखाली में हिंदू केवल 20% था मुस्लिम 80% हिन्दुओं की बहन बेटियों के साथ क्या हुआ होगा आप समझ सकते हैं। 

बिहार के हिंदू

अब प्रतिक्रिया बिहार में शुरू हो गयी सर्व प्रथम छपरा फिर गयाजी, जहानाबाद, नालंदा, मुंगेर, तारापुर तक फैलने लगा जहानाबाद के मथुरा सिंह, लोहगढ के महंत के नेतृत्व में प्रतिक्रिया शुरू हुई जिन्ना ने लिखा कि 25हजार मुसलमान मारा गया, सरकारी अकड़ा के अनुसार सात हज़ार लोग मारे गये लेकिन यह तोसत्य है कि दस से बारह हजार मोमीनों की हत्या हुई थी उसके कुछ प्रमाण आज भी दिखाई देते हैं। इस हिंदू प्रतिकार से कोलकाता, नोआखाली और तमाम दंगे बंद हो गये पटना की एक घटना नगरनौसा में तत्कालीन मनोनीत प्रधानमंत्री नेहरू ने पांच सौ हिन्दुओं का संहार कराया था प्रतिक्रिया स्वरुप पटना सिनेट हाल में नेहरू की जबरदस्त पिटाई हुई जयप्रकाश नारायण ने उन्हें बचाया। ऐसे जब -जब हिंदू जागा शांति की स्थापना हुई।

अस्सी-नब्बे का दशक 

अब कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति बहुत आगे बढ़ चुकी थी देश विभाजन का भी एक लम्बा समय हो गया था, मुसलमानो ने वोट तो पाकिस्तान बनाने के लिए दिए थे लेकिन वे बड़ी बुद्धिमानी से देश तो ले लिया लेकिन गये नहीं। अब वे गजवाए हिन्द करना चाहते हैं। हिंदू समाज तो सो रहा है उसे इसकी कल्पना भी नहीं है कि उसके साथ क्या होने वाला है? और फिर देश में दंगों की भरमार हो गई स्थान -स्थान पर हिन्दुओं पर हमले शुरू हो गये। हिन्दुओं का स्वभाव शांति से रहना होता है लेकिन मुसलमान का स्वभाव तो लड़ने का ही होता है जितना वह लूट करेगा, हत्या करेगा, बलात्कार करेगा उसे सबाब मिलेगा और उस समाज में इसे कोई बुरा भी नहीं मानता और वह अपने समाज में हीरो बन जाता है। अब मुस्लिम गजवाए हिन्द के लिए तैयार! नगरों में कसबों में अधिकतर व्यवसायिक समाज के लोग रहते, सामान्य समाज नौकरी करता व व्यवसाय करता लेकिन वह रात्रि को वापस अपने गांव पहुंच जाता। समाज में परिवर्तन आया लोग शहर में बच्चों को पढ़ाने हेतु छोटा मोटा मकान लेने लगे। इसी बीच इसवीं सन 84-85 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हो गया और हिंदू समाज में जाग्रति आना शुरू हो गया। लेकिन मुसलमानो की तो दंगा करने की आदत सी बन गयी थी वे हिन्दुओं को कायर समझते थे। अलीगढ, मुरादाबाद, मेरठ, रामपुर, प्रयागराज, काशी, टांडा, भागलपुर, भोपाल ऐसे देश तमाम हिस्सों में एकतरफा हमले शुरू हो गये और प्रतिवर्ष जैसे हमला करने की आदत सी बन गई हो। लेकिन अब धीरे -धीरे हिंदू प्रतिकार पर उतर आया और जब हिन्दुओं ने प्रतिकार करना शुरू कर दिया मुस्लिम पिटने लगे तब अपना विक्टिम कार्ड खेलने लगे हम तो अल्पसंख्यक है और क्या -क्या? अब इन्हें ध्यान में आया कि हिंदू मार भी सकता है ये कौम शांति होने लगी और दंगे बंद हो गये। कभी -कभी लोगों को लगता है कि बीजेपी की सरकार बनने से दंगे बंद हो गए लेकिन असलियत यह है कि जब हिन्दुओं ने इनका उत्तर देना यानि पीटना शरू किया अर्थात हिन्दू जागा फिर ये शांति हो गए। वास्तविकता यह है कि मुसलमान मूसल से ही मानता है और उसी की भाषा समझता है।

और वर्तमान में --!

आज चाहे सी.ए.ए. के बिल को लेकर अथवा वक्फ बोर्ड कानून को लेकर हंगामा करना, लेकिन इतना ही नहीं लोकतान्त्रिक अधिकार आपको धरना प्रदर्शन का अधिकार देता है, लेकिन हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों पर हमले की इजाजत नहीं देता। लेकिन मुसलमान तो इस्लाम का अनुयायी है उसे देश के संविधान से कोई लेना देना नहीं है, संविधान तो केवल हिन्दुओं के लिए है जब मोमीनों को विक्टिम कार्ड खेलना होता है तो वे संविधान का उपयोग करते हैं। देश का कोई मुसलमान भारतीय संविधान को नहीं मानता और न ही मानेगा चाहे उसके गले पर तलवार ही क्यों न रख दी जाय! लेकिन देश का दुर्भाग्य कैसा है जब मुसलमान सरिया को ही मानता है तो उस पर पुरी तरह सरिया कानून ही लागू होना चाहिए। आज स्थिति ऐसी है कि जहाँ मोमीनों की जनसंख्या तीस प्रतिशत हो गयी है उन क्षेत्रों में हिंदू अपने त्यौहार नहीं मना सकता। चाहे श्री रामनउमी का जुलूस हो, या कावर यात्रा अथवा कोई भी हिंदू धार्मिक कार्य दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा सभी पर हमले वो करेंगे ही क्योंकि उन्हें बुत को तोड़ने में सबाब मिलता है उन्हें ये कुरान आदेश देता है।

मोमिन हिंदू पर क्यों करते हैं हमले ?

प्रत्येक मस्जिद से दिन में पांच बार अजान होती है, वह अजान कोई इबादत नहीं है वह काफिरों को चेतावनी है कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूजा करने योग्य नहीं है। अब जब वो दिन में पांच बार बता रहे हैं कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूजा करने योग्य नहीं है और उसके रसूल मुहम्मद है। तो आप मानते नहीं मूर्तियों की पूजा करते हो! अपने देवी देवतावों के जुलुस निकालते हो तो हमले होंगे ही! क्योंकि वो तो अपने मजहब के अनुसार जी रहे हैं, कुरान कहता है रमजान के महीने में छुपकर बैठो और काफिरों को ------! अब हजार वर्षो से वे आपको बता रहे और आप ऐसे है कि समझते ही नहीं तो हमले तो होंगे ही। इस्लाम में सर्व प्रथम दीन है और वे उसका पालन कर रहे हैं और आप अपने धर्म का पालन कर ही नहीं रहे हो। 

अहिंसा परमो धर्मा: धर्म हिंसा तथैव च।

भगवान कृष्णा अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं, जब जब धर्म की हानि होती है मैं आता हूँ और बिधर्मियों का संहार करता हूँ। इसका व्यापक अर्थ समझने की आवश्य्कता है भगवान कृष्ण ने स्वयं अस्त्र नहीं उठाया लेकिन महाभारत हुआ सारे विधर्मी मारे गये। आज समय की आवश्यकता कि "धर्म हिंसा तथैव च " अर्थात धर्म के लिए हिंसा आवश्यक है। कोई आया आधा अधूरा ज्ञान दिया कि "अहिंसा परमो धर्म :" लेकिन ये तो अधूरा ज्ञान हुआ आगे नहीं बताया कि "धर्म हिंसा तथैव च" इसलिए अपने धर्म के लिए हिन्दुओं को जागना होगा आत्म रक्षा का अपने धर्म रक्षा का अधिकार सभी को है तो हिन्दुओं को भी है। कोई भी सरकार आपकी सुरक्षा नहीं कर सकती क्योंकि व्यूरोकेसी की शिक्षा हिंदू बिरोधी ही नहीं राष्ट्र विरोधी भी है इसलिये इनसे कोई उम्मीद करना अपने देश को, अपने धर्म को खतरे मे डालना है। जब जब हिंदू जागा है शांति स्थापित हुआ है आज हिंदू जागेगा और इनका मुँह तोड़ जबाब देगा हमारे तीर्थो पर, हमारे प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों पर, हमारे धार्मिक जुलूसों पर हमले करने का साहस कोई नहीं करेगा।


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