मंत्रद्रष्टा ऋषिका अदिती

 

मंत्रदृष्टा ऋषिका अदिति

अदिति ऋग्वेद की कई ऋचाओं की मंत्रदृष्टा है। जिसका अर्थ है कि उन्होंने उन मन्त्रों को देखा अथवा अनुभव किया। अदिति को विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, जैसे गाय, पृथ्वी और ब्रम्हांड। अदिति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी है और उन्हें ब्रम्हांड की उत्पत्ति व विकास से भी जोड़ा जाता है। ऋग्वेद अथवा कई वैदिक पौराणिक ग्रंथों में इन्हें देवताओं की माता कहा गया है। उन्हें आदित्यो की माता भी कहा जाता है, जो सनातन धर्म के प्रमुख देवता हैं। अदिति 12आदित्यो की माता है जिनमें विवस्वान, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, वरुण, मित्र और शक्र शामिल हैं। अदिति को महर्षि कश्यप की पत्नी और दक्ष प्रजापति की पुत्री बताया गया है। अदिति को भगवान विष्णु के वामन अवतार के माता रूप में भी जाना जाता है। 

महत्वपूर्ण मंत्रदृष्टा ऋषिका

अदिति ऋग्वेद में एक महत्वपूर्ण देवी है, जिन्हें देवमाता और ऋषियों की माता के रूप में जाना जाता है वह अनंत, असीम ब्रम्हांड का मानवीकारण हैं, और मातृत्व, चेतना, अतीत, भविष्य और प्रजनन क्षमता की देवी है। अदिति का शाब्दिक अर्थ "असीम " है और उन्हें निर्दोषता की देवी भी माना जाता है। अदिति को कई ऋषियों के माँ होने का भी गौरव प्राप्त है जिनमें कुछ ऋषि इस प्रकार हैं, सूर्य, अग्नि, वायु, आदित्य, इंद्र, वरुण, मित्र, पूषण और विवस्वान हैं। वैदिक साहित्य और पौराणिक कथाओं में अदिति का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। उन्हें ब्रम्हांडीय व्यवस्था और देवताओं की उत्पत्ति से जोड़ा जाता है और एक शक्तिशाली और उदार देवी माना जाता है जो अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करतीं हैं। उन्हें ब्रम्हांड की रचना और पोषण से जोड़कर देखा जाता है। कुछ मन्त्रों में अदिति को गाय के रूप में वर्णित किया गया है, जिसे वेदों में पवित्र माना जाता है। यह गाय को अदिति का एक रुप माना जाता है और इसलिए गाय की रक्षा करना और उसका सम्मान करना महत्वपूर्ण माना गया है। अब हम यह समझ सकते हैं कि भारतीय वैदिक सनातन धर्म की मान्यतानुसार गाय की शरीर में सभी देवताओं का वास माना जाता है इसलिये चुकि अदिति देवताओं की माता है तो उसकी मान्यता गाय से की गई है। हमारे वेदों में कई स्थानों पर अलंकारिक भाषा का प्रयोग है जैसे इन्द्र जिसके स्थान और समयानुसार उसके अर्थ बदल जाते हैं ठीक उसी प्रकार अदिति का एक नाम गाय भी बताया गया है।

ऋग्वेद में अदिति

ऋग्वेद में ऋषिका अदिति कई मंत्रो की दृष्टा है, उसे माता के रूप में स्वीकार किया गया है इस मातृदेवी की स्तुती में वेद में बीस मंत्र कहें गए हैं। उन मंत्रों में अदितिधौ: ये मंत्र अदिति को माता के रूप में प्रदर्शित करते हैं।

                   "विश्व देवा अदिति:पंच जना, अदितिर्जातमदितिर्नित्वम्।"

यह मैत्रवरुण, अर्यमन, रुद्रों, आदित्यो इंद्र आदि की माता है, इंद्र और आदित्य को शक्ति अदिति माता से प्राप्त होती है। उसके मातृत्व की ओर का संकेत "अथर्वेद" (7.6.2) और "वाजसनेयिसंहिता" (21.5) में भी है। इस प्रकार उसका स्वाभाविक स्वत्व शिशुओं पर है और ऋग्वेदिक ऋषि अपने देवताओं सहित बार बार उसकी शरण में जाता है एवं कठिनाइयों में उससे रक्षा की अपेक्षा करता है। "अदिति" का शाब्दिक अर्थ में बंधनहीनता और स्वतंत्रता का द्योतक है, "दिति" का अर्थ बंधकर और 'दा' का बांधना होता है। इसी से पाप के बंधन से मुक्त होना भी अदिति के संपर्क से ही संभव माना गया है। ऋग्वेद (1.162.22) में उससे पापों से मुक्ति की प्रार्थना की गई है, कुछ अर्थो में उन्हें "गो" का पर्याय माना गया है। ऋग्वेद का यह प्रसिद्ध मंत्र (8.101.15) मा गाँ अनागां अदिती वधिष्ट-गाय रूपी अदिती को न मारो। जिससे यह सिद्ध होता है कि वेदों में गो हत्या का निषेध माना गया है। जो इसी अदिति से सम्वधित है, इसी मातृ देवी की उपासना के लिए किसी न किसी रूप में बनाई मृणमूर्तियां प्राचीन काल में सिंधु नदी से भूमध्यसागर तक बनाई गई थी।

सूर्य वंश की उत्पत्ति 

अदिति को देवताओं की माता माना गया है कहा जाता है विवस्वान जो सूर्य के ही स्वरूप हैं यानि सूर्य ही हैं। विवस्वान के पुत्र विवस्वान मनु उनके पुत्र महर्षि मनु जिसके वंश में इक्षाकु इत्यादि नरेश पैदा हुए जो बाद में सूर्यवंशी कहलाये। अदिति ने अनेक वर्षो तक सूर्य की उपासना किया, तत्पश्चात अदिति ने वरदान सूर्य देव से वरदान माँगा "आप जैसा पुत्र मुझे चाहिए," कालांतर में अदिति ने गर्भ धारण किया, उचित समय होने पर एक पुत्र रत्न ने जन्म लिया और वह विवस्वान नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि विवस्वान सूर्यदेव के स्वरुप में ब्रम्हांड के मध्यभाग में स्थित हुए और ब्रम्हांड का संचालन करते हैं। यहीं से सूर्यवंश की उत्पत्ति माना जाता है विवस्वान से विवस्वान मनु, इक्षाकु से लेकर भगवान श्री राम इसी वंश में हुए उसमें अनेक कुल के आधार पर वंश वृद्धि हुई, ये सभी माता अदिति के वंसज हुए।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ