मराठा साम्राज्य की महारानी ताराबाई
छत्रपति संभाजी महाराज के मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य वह हिंदवी स्वराज्य कटक से अटक का छत्रपति शिवाजी महाराज के सपने को जागृत रखने का काम उनकी कुलबधू छत्रपति राजाराम महाराज के धर्मपत्नी महारानी ताराबाई, जो छत्रपति शिवाजी महाराज व संभाजी के राज्य में सरसेनापति, महारानी सोयराबाई के भाई "हांबिराव मोहिते" की बेटी थी।महारानी युद्ध व राजनीति में माहिर थीं। उन्होंने ही मराठा साम्राज्य को बिखरने से बचाएं रखा और मुगलों के दक्कन मुहिम हो विराम लगाया। उन्होंने सात वर्षों तक मुगलों से लड़ाई लड़ी और मराठा साम्राज्य का गुजरात व मध्यप्रदेश तक विस्तार किया।
मुग़ल जिहादी औरंगजेब छत्रपति शिवाजी महाराज से लड़ते हुए नहीं बल्कि एक महिला से लड़ते हुए अपनी सेना व ख़ज़ाने को लुटवाके मरा था।
बालाजी विश्वनाथ को उन्होंने ही पेशवा नहीं प्रधानमंत्री नियुक्त किया। पेशवा का बेटा बाजीराव बालाजी ने आगे जा कर मराठा साम्राज्य को अलग ही ऊंचाई दी।
मराठा साम्राज्य में फूट डालने के लिए औरंगजेब ने बंधक बनाकर रखें छत्रपति संभाजी महाराज के पुत्र युवराज साहूजी को औरंगजेब के बेटे ने रिहा किया। इसके बाद दोनों में तकरार हुईं, पेशवा से तकरार हुईं और इस विवाद के चलते महत्वपूर्ण समय में मराठा साम्राज्य के लिए उनके योगदान को बढ़ावा नहीं दिया जाता। उनके मृत्यु से पहले उनकी छत्रपति शाहूजी महाराज से सुलह हो गई थी।
महारानी ताराबाई को "मुग़ल मर्दनी" भी कहा जाता हैं।
बहुत सारे राजकीय परिवार के महिलाएं युद्ध कौशल में, राजनीति में माहिर होती थीं, लेकिन सिर्फ़ कुछ एक महिलाएं युद्धभूमि में उतरने का साहस करती थीं।
छत्रपति संभाजी महाराज की निर्मम हत्या के बाद न वो डरे न उन्होंने मुगलों से कोई समझौता किया। न जौहर किया न मराठा साम्राज्य को बिखरने दिया। हिंदवी स्वराज्य की दौर उन्होंने विपरीत परिस्थिति में सम्भाल रखा था।
महारानी ताराबाई एक ऐसी महिला थीं जो जिस दौर में महिलाएं मुग़ल जिहादियों को देख घुंघट में दुबक जाती थीं। पुरुष समझौते कर लेते थे।, उस समय वो युद्धभूमि में उतरकर मुगलों को गाजर मूली की तरह काट डालती थीं। इन सारी परिस्थितियों ने महारानी ताराबाई को महारानी दुर्गावती, महारानी कर्णावती, महारानी पद्मिनी, अहिल्याबाई होलकर और महारानी लक्ष्मीबाई के साथ खड़ा कर दिया।
ऐसी वीरांगना सदियों में एकाध ही जन्म लेती हैं, "मुग़ल मर्दनी महारानी ताराबाई" को शत-शत नमन।
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