भारत के सपूतो की हत्या ---- [छत्तिसगढ़ ].

      छत्तीसगढ़ दंतेवाडा हत्या कांड कायरता पूर्ण है, अब मानवाधिकार बादी कहा है, अरुंधती राय कहाँ है, तिश्ता जावेद  कहाँ है, ये सभी तो इस हत्या में मारे ८० से अधिक सी.आर.पि.ऍफ के जवानों के मरने क़ा उत्सव मना रहे होगे ।इन बिदेशी एजेंटो के बैंको के खातो की जाच होनी चाहिए, इन सबकी करतूत गुजरात में सामने आ चूका है, इन्होने दबाव डालकर गोधरा के बाद हुई हिंसा में जो गवाही दिलाई थी वह पलटी खा गई. और कहा की मेरे ऊपर गवाही के लिए दबाव डाला गया था। इनकी बिना परवाह किये आतंकबादियो से निपटना पड़ेगा, ये तो हाय तोबा मचाते रहेगे, गृहमंत्री क़ा पलटी खाने वाला बयान नुकसान दायक हो सकता है. इन सभी मानवाधिकार बादियो और आतंकबादियो के संबंधो की भी जाच होनी चाहिए। 
         ये सारी हिंसा भारत को अइस्थिर करने के लिए है, इनको समूल नष्ट करना ही श्रेयस्कर होगा। जो सुरक्षा कर्मी मारे गए है उनकी पत्निया, बच्चो और उनके परिजनों के दुखो को देखा नहीं जा रहा, पूरा देश उनके साथ है, आज पूरे देश में शोक की लहर है,ऐसा नहीं की वे किसी एक प्रान्त के थे वे भारत के बिभिन्न प्रान्तों से थे आज देश शोकाकुल है, वहां के मुख्यमंत्री को केंद्र को समझाने में ही बहुत सारा समय निकल जाता है क्यों की ये केंद्र की सरकार माओबादियो को देश भक्त समझ रही है जबकि ये देश द्रोही ही है इसके अलावा कुछ भी नहीं, यदि देश के गृहमंत्री छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के साथ मिलकर इनको समाप्त नहीं करेगे तो देश इनको माफ नहीं करेगा।

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4 टिप्पणियाँ

  1. महारानी सोनिया तथा माओवादियो के निर्देशक एक हीं है। आप भी कहा अलग है। नेपाल मे यह प्रमाणित हो चुका है।

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  2. देश द्रोहियोन को आज की सत्ता सजा नही दे सकति है क्यो कि इस से उन कि कुरसि च्लि जायेगी
    अब तो देश को जग्ना ही चाहिये
    वेद व्यथित

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  3. मेरी टिप्पणी समझ मे न आई हो तो स्पष्ट कर दुं। मनमोहन सरकार ने हीं नेपाल में माओवादीयो और पालिटीकल पार्टियो के बीच संझौता करा कर उनके सत्ता मे आने का रास्ता प्रशस्त किया था। बाद मे नेपाल मे माओवादीयो ने अपने वाई.सी.एल नामक अपने छापामार दस्ते का प्रयोग कर नेपाल के संविधान सभा के चुनाव मे अप्रत्याशित सफलता हासिल किया। भारत के द्वारा नेपाल के माओवादीयो के सन्दर्भ मे अपनायी गई नीति के बारे मे लोगो को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

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