दीनदयाल जी दीनदयाल जी जैसे
दीनदयाल उपाध्याय का जन्म एक गरीब ब्रह्मण परिवार मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गाव में हुआ था वे बड़े ही मेधावी क्षात्र थे प्रत्येक कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते थे एक बार वे और नानाजी देशमुख आगरा में सब्जी खरीद रहे थे फुटकर पैसा नहीं होने से जिस बुढिया से सब्जी ख़रीदा धोखे से पंडित जी ने उसे खोटा सिक्का दे दिया, बाद में देखा की वह खोटा सिक्का कहा गया उन्हें लगा की वह मैंने उस बुढिया को दे दिया तुरंत उन्होंने नानाजी से कहा कि नाना खोटा सिक्का तो मेरे पास नहीं है शायद मैंने वह उस बुढिया को दे दिया उसे वापस करने गए तो वह बुढिया ने कहा की इस युग में भी ऐसे मनुष्य है, दीनदयाल जी संघ के स्वयंसेवक थे वह एक ऐसे प्रचारक थे जो केवल तीन वर्षो में ही सह प्रान्त प्रचारक बन गए और बाद में उनको डॉ मुखर्जी के मागने पर पूज्य श्री गुरु जी ने जनसंघ में काम के लिए दे दिया..।