सन २०७१ के पूर्व ही हिंदुस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जायेंगे---!
1-हिन्दुओं की बृद्धि दर घट रही है (25% से 2०% हुई)
२- मुसलमानों की बृद्धि दर बढ़ रही है. (34.5% से 36%हो गयी है) यानी भारत की आज़ादी के समय 85% हिन्दू 13% मुसलमान व ईसाई थे, आज 8०% हिन्दू और 16% ईसाई व मुसलमान हैं।
पिछले 4० वर्षों मे हिन्दू अनुपात मे 3% कमी हुई है और मुस्लिम, ईसाई मे तदनुरूप बृद्धि हुई है। 1991से २००1 के दशक मे मुसलमानों मे 9०.5%, इसाइयों मे 98% हिंदुओं मे २०% बृद्धि हुई है, पिछले दसको मे हिंद्दुओं के बृद्धि दर मे कमी हुई है (हिन्दू २०% मुसलमान ३०% ईसाई २३% ) बृद्धि हुआ है ।
हिमांचल प्रदेश में हिन्दू बृद्धि दर १६.९७% जब की मुसलमानों ३4.०8% है, हरियाणा में हिन्दू बृद्धि दर २7.०३% मुसलमान का 27.81% है, राजस्थान हिन्दू बृद्धि दर 27.93%, मुसलमान का 35.82% है, बिहार में हिन्दू बृद्धि दर -2.97% जब की मुसलमानों की 7.5०% है, असम की हिन्दू बृद्धि दर 14.95% मुसलमानों की 29.50% है, त्रिपुरा हिन्दू 14.86% मुसलमानों की 27.92% है, प.बंगाल की हिन्दू बृद्धि दर 14.18% मुसलमान 26% है, उत्तरप्रदेश की हिन्दू बृद्धि 17.82% मुसलमान की 27.50%, आंध्रप्रदेश की हिन्दू बृद्धि 14.43% मुसलमान की 18% है, गुजरात की हिन्दू बृद्धि दर 22.13% मुसलमान 27.33%, महाराष्ट्र में हिन्दू बृद्धि दर 21.61% मुसलमानों की 34.63%, मध्य प्रदेश में हिन्दू बृद्धि दर 10.43% मुसलमानों की 17.०2%, कर्नाटक में हिन्दू दर 15.32% मुसलमान 23.48%, उड़ीसा हिन्दू बृद्धि दर 15.86% मुसलमान 31.88%, तमिलनाडु हिन्दू बृद्धि दर 11.01% मुसलमान 17.94%, केरल की हिन्दू बृद्धि दर 7.29% मुसलमानों की 16.01% है, लक्षद्वीप हिन्दू दर -4.96% मुसलमानो की 98.74% है, आज हिन्दू समाज को विचार करने की आवस्यकता है की जिस दिन हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएगा तो कहाँ जाएगे--? देश के विभाजन के समय प्रथम जनगणना 1951 मे हुई उस समय भारत की जनसंख्या का 85% हिन्दू तथा मुसलमान और इसायियों की संख्या का औषत 15% थी इस समय 80% हिन्दू और 16% मुसलमान शेष अन्य हैं, यदि मुसलमानों की जनसंख्या बृद्धि दर इसी प्रकार रही तो 2061 मे यह हिन्दू और मुसलमान 50-50% हो जाएगे, अतः 2071 मे हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे क्या हम दुबारा देश के विभाजन को तैयार हैं----?
सावधान--!
सन 2001 की जनगणना से यह सिद्ध है कि भारत में -------!1-हिन्दुओं की बृद्धि दर घट रही है (25% से 2०% हुई)
२- मुसलमानों की बृद्धि दर बढ़ रही है. (34.5% से 36%हो गयी है) यानी भारत की आज़ादी के समय 85% हिन्दू 13% मुसलमान व ईसाई थे, आज 8०% हिन्दू और 16% ईसाई व मुसलमान हैं।
पिछले 4० वर्षों मे हिन्दू अनुपात मे 3% कमी हुई है और मुस्लिम, ईसाई मे तदनुरूप बृद्धि हुई है। 1991से २००1 के दशक मे मुसलमानों मे 9०.5%, इसाइयों मे 98% हिंदुओं मे २०% बृद्धि हुई है, पिछले दसको मे हिंद्दुओं के बृद्धि दर मे कमी हुई है (हिन्दू २०% मुसलमान ३०% ईसाई २३% ) बृद्धि हुआ है ।
हिन्दुओ कब जागोगे--?
विभिन्न प्रदेशो की बृद्धि दर इस प्रकार है--!हिमांचल प्रदेश में हिन्दू बृद्धि दर १६.९७% जब की मुसलमानों ३4.०8% है, हरियाणा में हिन्दू बृद्धि दर २7.०३% मुसलमान का 27.81% है, राजस्थान हिन्दू बृद्धि दर 27.93%, मुसलमान का 35.82% है, बिहार में हिन्दू बृद्धि दर -2.97% जब की मुसलमानों की 7.5०% है, असम की हिन्दू बृद्धि दर 14.95% मुसलमानों की 29.50% है, त्रिपुरा हिन्दू 14.86% मुसलमानों की 27.92% है, प.बंगाल की हिन्दू बृद्धि दर 14.18% मुसलमान 26% है, उत्तरप्रदेश की हिन्दू बृद्धि 17.82% मुसलमान की 27.50%, आंध्रप्रदेश की हिन्दू बृद्धि 14.43% मुसलमान की 18% है, गुजरात की हिन्दू बृद्धि दर 22.13% मुसलमान 27.33%, महाराष्ट्र में हिन्दू बृद्धि दर 21.61% मुसलमानों की 34.63%, मध्य प्रदेश में हिन्दू बृद्धि दर 10.43% मुसलमानों की 17.०2%, कर्नाटक में हिन्दू दर 15.32% मुसलमान 23.48%, उड़ीसा हिन्दू बृद्धि दर 15.86% मुसलमान 31.88%, तमिलनाडु हिन्दू बृद्धि दर 11.01% मुसलमान 17.94%, केरल की हिन्दू बृद्धि दर 7.29% मुसलमानों की 16.01% है, लक्षद्वीप हिन्दू दर -4.96% मुसलमानो की 98.74% है, आज हिन्दू समाज को विचार करने की आवस्यकता है की जिस दिन हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएगा तो कहाँ जाएगे--? देश के विभाजन के समय प्रथम जनगणना 1951 मे हुई उस समय भारत की जनसंख्या का 85% हिन्दू तथा मुसलमान और इसायियों की संख्या का औषत 15% थी इस समय 80% हिन्दू और 16% मुसलमान शेष अन्य हैं, यदि मुसलमानों की जनसंख्या बृद्धि दर इसी प्रकार रही तो 2061 मे यह हिन्दू और मुसलमान 50-50% हो जाएगे, अतः 2071 मे हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे क्या हम दुबारा देश के विभाजन को तैयार हैं----?
परिणाम-! पूज्य भारत माता का विभाजन पर विभाजन और फिर विभाजन --!
जिस समय 15अगस्त 1947 मे देश का विभाजन हुआ था उस समय भारत मे मुसलमानों की संख्या 2.50 करोण थी प॰ पाकिस्तान मे हिंदुओं की संख्या एक करोण और पू॰पाकिस्तान वर्तमान बंगलादेश मे हिंदुओं की संख्या 1.50 करोण थी, वर्तमान मे हिन्दुओ की क्या हालत है पाकिस्तान मे हिंदुओं की संख्या घटकर केवल 15 लाख रह गयी है बंगलादेश मे हिंदुओं की संख्या घटकर 75 लाख रह गयी है आखिर यहाँ से हिन्दू कहाँ चला गया क्या हिन्दुओ ने बच्चे नहीं पैदा किया ? वास्तव मे या तो यहाँ से इन्हे भागा दिया गया या तो मार डाला गया या सभी का बलात धर्मांतरण करा दिया गया, ठीक उसका उलट भारत मे जो मुसलमान 2.50 करोण था उसकी संख्या दिन-दूनी रात-चौगुनी बढ़कर 16 करोण हो गयी, प॰ बंगाल की हालत बद से बदतर हो गयी है सैकड़ो गाव हिन्दू विहीन हो गए हैं दुर्गा पूजा नहीं हो प रही है बहुत से गाव ऐसे हो गए हैं कि मुस्लिम गुंडे हिन्दू-बहन बेटियों को अपनी खेती समझते हैं वे किसी भी हिन्दू के घर के सामने खड़े होते ही पुरुष बाहर चले जाते हैं वे उनकी बहू-बेटियों के साथ मन-माना हरकत करते हैं मुर्सिदाबाद मे 80%, मालदा मे 70% जैसे दसियों जिला मुस्लिम बहुल हो गए हैं पश्चिम चौबीस परगना जिला में 70% मुस्लिम हो जाने के कारण वहां का जन-जीवन तो बंगलादेश से भी बुरा हो गया है जहाँ पर 1906 में मकरसंक्रंती के दिन रविन्द्र नाथ टैगोर ने बंग-भंग आन्दोलन को कुचलने हेतु हिन्दुओ का राष्ट्रबादी मेला शुरू किया था और अंग्रेजों के षण्यंत्र से मुसलमानों ने बंगाल विभाजन की मांग की इसी मेला के द्वारा उस समय इस विभाजन को रोक दिया था आज यह मेला राष्ट्रीय स्वरुप ले चुका है इस समय मेला पर भी संकट आ गया है, इस पर भी ममता जी की आखे नहीं खुलती वे कहती हैं बंगलादेसी घुसपैठियों को हमारे यहाँ वसा दो, बहुत सारे जिले मुस्लिम बहुल हो गए हैं, बिहार की भी हालत भी कुछ इसी प्रकार की है किशनगंज 72%, अररिया 42%, पूर्णिया 42%, कटिहार 44%, मुसलमानों की संख्या हो गयी है।जिहाद गंज
इन जिलों मे तो गावों मे हिंदुओं को लोटा के स्थान पर बधना रखना पड़ता है हिन्दुओ को अपनी सुरक्षा हेतु धोती के स्थान पर इस्लामिक लूँगी लगानी पड़ती है इतना ही नहीं जब किसी गरीब की मृत्यु होती है तो उसे जलाने नहीं दिया जाता बलात दफनाया जाता है, उप्र के अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ, रामपुर, सहारनपुर तमाम जिलो की हालत बड़ी खराब है हजारों हिन्दुओ की लड़कियों को लव जेहाद के माध्यम से भगाया जा रहा है, केरल में केवल 51% हिन्दू बचा है कई जिलों को इस्लामिक जिला घोषित किया जा चूका है, पुर्बांचल की तो पूछो नहीं कोई भी प्रान्त हिन्दू प्रभावी नहीं है असम के जल, जमीन और जंगल पर बंगलादेशियों का ही कब्ज़ा है अधिकांस जिला मुस्लिम बहुल हो गए हैं अब दंगा कर स्थानीय जनजातीय को वहां से भगाने का प्रयास कर रहे हैं, वहां घुसपैठियों की एक राजनैतिक पार्टी भी खड़ी हो गयी है उसके 14 बिधायक भी हैं इसी कारन पुर्बांचल सर्बाधिक आतंकबादी गतिबिधियों का केंद्र बना रहता है फिर भी सेकुलर नेता यह कहते हुए नहीं थकते की मुसलमानों को डराया जा रहा है यदि यहाँ का मुसलमान दुखी है उसके विकाश की संभावना कम है तो इसकी संख्या इतनों जादे कैसे बढ़ गयी, दूसरी तरफ हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं की भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है।इसका उपाय क्या है-?
हम दो हमारे दो का नारा एक धोखा है ---!
भारतीय संविधान सभी के लिए अनिवार्य हो, समान नागरिक संहिता लागू हो, एक देश मे दो विधान की ब्यवस्था समाप्त की जाय, परिवार नियोजन सबके लिए अनिवार्य किया जाय, हम पाँच हमारे पच्चीस नहीं चलेगा ।ऋग्वेद की एक ऋचा है जिसमे भगवान ने कहा की प्रत्येक मनुष्य (हिन्दू ) को 10-10 संतान पैदा करने चाहिए, मंत्र मे और आगे कहा गया है जिस महिला को एक बच्चा है वह माँ कहलाने योग्य नहीं उसे ''काक वंध्यादोष'' लगता है वह (बांझ) बंध्या के समान है, हिन्दू समाज मे आशीर्वाद दिया जाता है ''दुधो नहाओ -पूतो फलो'' भगवान श्री कृष्ण ने अपने 16 हज़ार रानियों से प्रत्येक से दस-दस पुत्र पैदा किए (भागवत पुराण) वे हमारे आदर्श हैं प्रत्येक हिन्दू को कम-से कम 4-5 बच्चे पैदा करना चाहिए तभी भारत बचने वाला है! नहीं तो, ये उदद्योग, फॉरलेन सड़क, इस चका -चौध से देश बचने वाला नहीं है ये थोथा विकाश है, जिसकी संख्या होगी वही देश पर शासन करेगा या तो विभाजन या पूरा देश इस्लामिक होगा इसे नेता नहीं सोचेगे हम हिंदुओं को सोचना है विचार करना है।